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यूनानी चिकित्सा जटिल बीमारियों की रोकथाम में कारगर

 प्रदेश की आधारशिला को मजबूत करने में स्वस्थ समाज होना जरुरी 

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। स्वस्थ समाज ही विकसित भारत की आधारशिला को मजबूत बनाती है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत की देखभाल करना भी उतना ही आवश्यक है। जितना हम जरूरतों को पूरा करने के लिए रात दिन भागते रहते हैं। यह बातें बिजनौर रोड औरंगाबाद स्थित राजकीय तकमिल उत्तिब यूनानी कॉलेज चिकित्सालय के एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष निस्वां व क़बालत के डॉ. मनीराम सिंह ने भारत प्रकाश न्यूज़ को साक्षात्कार के दौरान दी। उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सा के द्वारा स्वस्थ समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की नींव मजबूत बनाती है ।आधुनिक जीवन की भागदौड़ में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं। प्रदेश के लोग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे, तो वे विकास के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले सकेंगे, जिससे “विकसित उत्तर प्रदेश” का मार्ग प्रशस्त होगा। डॉ सिंह ने प्रदेश में यूनानी विधा के योगदान के कई बिन्दुओ के बारे में बताया कि यूनानी चिकित्सा केवल बीमारियों के इलाज पर ध्यान केंद्रित नहीं करती, बल्कि रोगों की रोकथाम और संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने पर भी जोर देती है। यह शरीर के चार अहम रसों (अखलात) के संतुलन पर आधारित है। जब ये रस संतुलन में होते हैं, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है।आहार (घिज़ा ) में स्वस्थ आहार को प्राथमिकता देकर लोगों को पौष्टिक भोजन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे कुपोषण और रोगों से बचाव हो सके। साथ ही जीवनशैली में सुधार के माध्यम से, जैसे व्यायाम (रियाज़त), सही नींद और दैनिक आदतें, व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।तनकिया-ए-बदन में शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने की प्रक्रियाओं के माध्यम से रोगों से सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा दिया जाता है।

जानें यूनानी विधा का शरीर पर क्या प्रभाव डालती है..

जब राज्य के नागरिक शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे, तो वे विकास के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले सकेंगे, जिससे “विकसित उत्तर प्रदेश का मार्ग प्रशस्त होगा।उन्होंने बताया कि बीमारियों की रोकथाम के लिए यूनानी चिकित्सा का एक बड़ा उद्देश्य बीमारियों से पहले ही उनके रोकथाम के उपाय करना है। इसमें यूनानी सिद्धांतों के माध्यम से जन जागरूकता पैदा करना शामिल है। यूनानी चिकित्सक विभिन्न जागरूकता शिविरों और कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर सकते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।इलाज बिल तदबीर द्वारा शारीरिक गतिविधि, आहार और स्वच्छता पर जोर दिया जाता है, ताकि लोग बीमारियों से दूर रहें। जब लोग स्वस्थ रहेंगे, तो वे अधिक उत्पादक होंगे।उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। यूनानी चिकित्सा, जो सरल, किफायती और प्राकृतिक उपचार पर आधारित है, ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रभावी समाधान हो सकती है।ग्रामीण क्षेत्रों में यूनानी चिकित्सा शिविर के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में यूनानी चिकित्सा के माध्यम से आसानी से उपलब्ध उपचार प्रदान किया जा सकता है। यूनानी चिकित्सक ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को पूरा कर सकते हैं।ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग करके, ग्रामीण लोग अपने आसपास के प्राकृतिक संसाधनों से स्वस्थ रह सकते हैं। डॉ मनीराम सिंह ने बताया कि जब ग्रामीण जनसंख्या स्वस्थ होगी, तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और राज्य के ग्रामीण विकास में योगदान मिलेगा।आज के आधुनिक जीवन में, मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। यूनानी चिकित्सा में इन बीमारियों का प्रबंधन समग्र और प्राकृतिक तरीके से किया जाता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और मोटापा जैसी बीमारियों के लिए यूनानी उपचार लंबे समय तक प्रभावी रहते हैं और बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगी की हालत में सुधार करते हैं। इसके अलावा आधुनिक जीवन की भागदौड़ में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी आम हो गई हैं। यूनानी चिकित्सा तनाव प्रबंधन, हिजामा (कपिंग थेरेपी) और सुगंध चिकित्सा अरोमा थेरेपी जैसी तकनीकों से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करती है। यूनानी चिकित्सा के माध्यम से लोगों को इन बीमारियों से राहत मिलती है और वे अधिक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, जिससे उनके कार्यक्षमता और राज्य की समग्र उत्पादकता में वृद्धि होती है।

यूनानी चिकित्सा का महिलाओं पर प्रभाव..

महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देकर यूनानी चिकित्सा उन्हें मासिक धर्म विकारों, हार्मोनल असंतुलन और प्रसवोत्तर देखभाल जैसी समस्याओं के लिए प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है। यूनानी चिकित्सा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचारों के माध्यम से इन समस्याओं का प्रभावी प्रबंधन करती है। बांझपन और पीसीओएस जैसी समस्याओं के लिए यूनानी उपचार उपलब्ध हैं, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के समाधान प्रदान करते हैं। जब महिलाओं का स्वास्थ्य सुधरेगा तभी लोग सुख शांति से जीवनयापन कर सकेंगे। चिरकालिक बीमारियों का प्रबंधन गठिया, अस्थमा, और पाचन समस्याएं जैसी चिरकालिक बीमारियों के लिए यूनानी चिकित्सा दीर्घकालिक और समग्र समाधान प्रदान करती है। प्राकृतिक उपचार और प्रबंधन यूनानी चिकित्सा रोगी के सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करती है और बीमारी की जड़ से ठीक करने का प्रयास करती है। यूनानी चिकित्सा से लोग बीमारी के बावजूद स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं।चिरकालिक बीमारियों का प्रबंधन समाज को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखता है। उन्होंने कहा कि पुरानी बीमारियों के प्रबंधन में यूनानी चिकित्सा आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलकर काम कर सकती है। एलोपैथिक चिकित्सा और यूनानी चिकित्सा के समन्वय से रोगियों को समग्र और दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है। डॉ सिंह ने कहा कि यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान करके इसके लाभों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जा सकता है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और बढ़ेगी।आधुनिक और यूनानी चिकित्सा के एकीकरण से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती मिलेगी।यूनानी चिकित्सा के लाभों के बारे में जन जागरूकता फैलाना आवश्यक है, ताकि लोग इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति का लाभ उठा सकते हैं।डॉ सिंह इस यूनानी विधा का प्रसार प्रचार करने पर जोर देते हुए कहा कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से यूनानी चिकित्सा के बारे में लोगों को जागरूक करना भी जरुरी है जिससे यूनानी विधा का लाभ ले सके।यूनानी पद्धति यह न केवल बीमारियों का इलाज करती है, बल्कि रोकथाम, समग्र स्वास्थ्य, और जीवनशैली प्रबंधन में कारगर है।

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