परिवार नियोजन केवल जन संख्या नियंत्रण नहीं, स्वस्थ समाज का निर्माण करना -पार्थ सारथी
परिवार नियोजन के लिए नई दिशा देने को कार्यशाला

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। परिवार नियोजन को नई दिशा देने के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने के उद्देश्य से राजधानी स्थित होटल में राज्य स्तरीय कार्यशाला की गई।
जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड तथा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की गई। कार्यशाला की शुरुआत डॉ. सुनील मेहरा, कार्यकारी निदेशक, ममता एचआईएमसी द्वारा परिवार नियोजन को सशक्त करने के प्रयासों पर संदर्भ-स्थापन और स्वागत वक्तव्य के साथ हुई।
कार्यशाला में अन्तर्विभागीय समन्वय को सशक्त कर परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच, गुणवत्ता और प्रभावशीलता बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे, 2024 के राज्य-स्तरीय परामर्श की सिफारिशों को आधार बनाते हुए, जिला-स्तरीय योजनाओं में गति लाने और उच्च सकल प्रजनन दर, कम आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर व अपूर्ण आवश्यकताओं से जूझते जिलों की विशेष चुनौतियों पर भी विचार हुआ। वहीं”
परिवार नियोजन केवल संख्या नियंत्रण नहीं, समग्र विकास की बुनियाद है” कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा “परिवार कल्याण का उद्देश्य केवल जनसंख्या नियंत्रण नहीं है, बल्कि एक सशक्त, शिक्षित, और स्वस्थ समाज का निर्माण है। इसके लिए हमें शिक्षा, पोषण, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य को एकीकृत दृष्टिकोण से देखना होगा। अंतर्विभागीय समन्वय के बिना यह संभव नहीं है। श्रावस्ती जिले में अपनाया गया समग्र विकास मॉडल इसकी मिसाल है, जिसे अन्य 12 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में भी दोहराया जाना चाहिए।
महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि “मैं” और “आप” नहीं, “हम” से बनेगी बात। परिवार नियोजन को महिला व बाल विकास नीतियों के साथ जोड़कर ही हम स्थायी सामुदायिक स्वास्थ्य परिणाम हासिल कर सकते हैं। इसके लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा।
कार्यशाला में शामिल विशेषज्ञ सत्र में..
डॉ. सुषमा सिंह, महानिदेशक, परिवार कल्याण, ने उत्तर प्रदेश के परिवार कल्याण कार्यक्रम की रणनीतिक समीक्षा प्रस्तुत की। प्रो. सुजाता देव, केजीएमयू ने बांझपन और सहायक प्रजनन तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अमित कुमार यादव, गेट्स फाउंडेशन, ने राज्य में एफपी की उभरती रणनीतियों पर अपनी बात रखी।
जलवायु परिवर्तन और प्रजनन स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण चर्चा पैनल चर्चा में जलवायु परिवर्तन के मातृ व शिशु स्वास्थ्य पर प्रभावों और जलवायु-संवेदनशील रणनीतियों पर जोर दिया गया। इस सत्र में डॉ. स्मृति (ममता), डॉ. विकासेंदु अग्रवाल (नेशन प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड चाइल्ड हेल्थ), विजय अग्रवाल (यूनिसेफ), डॉ. आशुतोष अग्रवाल (विश्व स्वास्थ्य संगठन), डॉ.प्रीति आनंद (यूपीटीएसयू), और डॉ. दिनेश (जपाईगो) ने भाग लिया।
अंतर-विभागीय सहयोग पर केंद्रित संवाद में..
डॉ. अमित कुमार यादव (गेट्स फाउंडेशन), डॉ. उदय प्रताप (संयुक्त निदेशक, एफडब्ल्यू), जे. राम (समाज कल्याण विभाग), डॉ. अनुपमा शांडिल्य (आईसीडीएस), मनोज शुक्ला (पंचायती राज), डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव (एसीएमओ, श्रावस्ती)। वक्ताओं ने जिला-स्तरीय सफलताओं, समुदाय-केंद्रित प्रयासों और स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण पर अनुभव साझा किए।
श्रम, संवाद और समर्पण से बनेगा रास्ता श्रावस्ती जिले की रणनीति को नवाचार मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें एफपी सेवाओं का पुनर्स्थापन, सीएचओ की सक्रिय भूमिका, और समुदाय आधारित संचार की रणनीति को सराहा गया।
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन , समाज कल्याण, आईसीडीएस, पंचायती राज, के अधिकारीयों के साथ साथ सहयोगी संस्था यूपीटीएसयू, सीफॉर, पीएसआई, आई- पास, सी3, जपाइगो, जेएसआई, यूएनडीपी, केजीएमयू गूंज के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।