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पीजीआई में अत्याधुनिक प्रयोगशाला की शुरुआत

संस्थान निदेशक ने प्रयोगशाला का किया उद्घाटन 

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में अत्याधुनिक जाँच सुविधा बढ़ा दी गयी है। शुक्रवार को संस्थान निदेशक प्रो आरके धीमन ने फीता काटकर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। बता दें कि इस सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस , बायोसेफ्टी लेवल 3 कल्चर ड्रग सससेप्शबिलिटी टेस्टिंग एंड मोलेक्युलर नेक्स्ट जनरेशन सेक्वेसिंग टुबरक्यूलोसिस लेबोरेटरी से टीबी रोग को भगाने में सहायक होगी । जिसमें माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एडीशनल प्रो. ऋचा मिश्रा प्रयोगशाला की नोडल अधिकारी और प्रभारी बनाई गयी हैं। ज्ञात हो कि जिसका निर्माण संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन के कुशल मार्गदर्शन में लगभग 3.5 करोड़ रुपये की लागत से 3000 वर्ग फुट के क्षेत्र में कियागया है। साथ ही इस मौके पर सीएसआर पहल के तहत इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड यूपी राज्य कार्यालय 1 यूपी एसओ 1 और एसजीपीजीआई के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता पदमश्री निदेशक डॉ आरके धीमन ने की। इस अवसर पर महाप्रबंधक सीएसआर आईओसीएल यूपीएसओ1 अतुल कपूर, डाक्टर आलोक नाथ, एचओडी पल्मोनरी मेडिसिन, राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर और जिला क्षय रोग अधिकारी, डॉ. अतुल सिंघल मौजूद रहे। डॉ. आरके धीमन ने कहा कि नवीनतम आणविक निदान तकनीकों से सुसज्जित अत्याधुनिक प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश राज्य में 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करेगी। इससे न केवल एसजीपीजीआई में रेफर किए जाने वाले मरीजों को फायदा होगा, बल्कि यूपी के कई जिलों से दवा प्रतिरोधी रोगियों के इलाज के लिए यह शीर्ष प्रयोगशाला भी बन जाएगी। साथ ही डॉ. ऋचा मिश्रा ने बताया कि यह लैब यूपी में अपनी तरह की पहली लैब है और तपेदिक के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में यह दुनिया की किसी भी लैब के बराबर नवीनतम आणविक निदान परीक्षणों से सुसज्जित है। कल्चर और दवा संवेदनशीलता परीक्षण के अलावा प्रयोगशाला में लाइन प्रोब एंड एक्सडीआर सीबीनॉट के माध्यम से सभी एंटी-ट्यूबरकुलर दवाओं के विस्तारित परीक्षण के लिए पूरी तरह से स्वचालित सुविधा है। आईओसीएल एस ओ 1 के उदार समर्थन के माध्यम से स्थापित की जा रही नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग तकनीक सबसे हालिया और यूपी राज्य में स्थापित होने वाली पहली तकनीक है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दवा प्रतिरोधी तपेदिक रोगियों के व्यापक परीक्षण और उपचार की सटीकता के लिए नवीनतम आणविक तकनीक के रूप में अनुमोदित किया गया है। अतुल कपूर ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विशेष रूप से तपेदिक और कैंसर देखभाल के लिए सीएसआर मद के माध्यम से आईओसीएल के समर्थन के बारे में बताया।डॉ. आलोक नाथ ने दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों के इलाज की कठिनाई और कम समय में पूरी तरह सुसज्जित प्रयोगशाला और व्यापक परीक्षण प्रदान करने के महत्व के बारे में चर्चा की। डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य टीबी सेल के 100 दिवसीय अभियान और सक्रिय केस खोज प्रयासों के बारे में बात की। कार्यक्रम में प्रो आशिमा, डॉ दीक्षा,डॉ. अक्षय आर्य डॉ. विक्रमजीत सिंह के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समापन किया गया।

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