पीजीआई को मिली ए ++ ग्रेड की मान्यता
राज्यपाल ने इस उपलब्धि के लिए संस्थान को दी बधाई
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। उत्तर प्रदेश का पहला संस्थान है जिसे ए ++ ग्रेड की उपाधि दी गयी है। संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान को नाक द्वारा ए ++ ग्रेड की मान्यता दी गई है। नाक द्वारा नववर्ष आरम्भ के दूसरे दिन 2 जनवरी पर ए ++ ग्रेड से नवाजा गया है।शुक्रवार को संस्थान निदेशक प्रो.राधा कृष्ण धीमन ने बताया कि एसजीपीजी नाक से ए ++ प्राप्त करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला चिकित्सा संस्थान है। उन्होंने कहा कि उच्चतम ग्रेड (ए++) संस्थान के विकास और अवधारणा के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। संस्थान मान्यता के पहले चक्र में ए ++ प्राप्त करने वाला पहला सरकारी विश्वविद्यालय है। वहीं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं संस्थान की कुलाध्यक्षा आनंदीबेन पटेल ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए एसजीपीजीआई को बधाई दी है। उनहोने कहा कि यह राज्य के लोगों के लिए गर्व का क्षण है और राज्य और देश के अन्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए प्रेरणादायक भी है। इसी क्रम में डॉ. धीमन ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का आभार व्यक्त किया और उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि जिसके कारण यह उपलब्धि हासिल हुई। उन्होंने कहा कि संस्थान को 3.66 के सीजीपीए के साथ मान्यता दी गई है। ज्ञात हो कि नोडल अधिकारी नैक प्रोफेसर विनीता अग्रवाल ने बताया कि संस्थान ने मेडिकल विश्वविद्यालयों की मान्यता के लिए नाक द्वारा आवश्यक सभी दस्तावेज गत वर्ष जून में ही पूरे कर लिए थे और नवंबर 2024 में एक ऑन-साइट टीम ने संस्थान का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि संस्थान के हितधारकों द्वारा सभी स्तरों पर उचित मार्गदर्शन, सावधानीपूर्वक योजना, सामूहिक प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण ही यह संभव हुआ है। नाक संस्थान को सात बिंदुओं पर ग्रेड देता है। सात मानदंडों के प्रमुख डॉ. अमित गोयल प्रथम, डॉ. शुभा फड़के, डॉ. चिन्मय साहू द्वितीय, डॉ. सीपी चतुर्वेदी तृतीय, डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया,डॉ. आवले रूपाली भालचंद्र चतुर्थ, डॉ. पुनीता लाल,डॉ. राघवेंद्र एल पांचवे , डॉ. विनीता अग्रवाल छठे , डॉ. नारायण प्रसाद सातवें के साथ इक़ाक प्रभारी डॉ. राजेश हर्षवर्द्धन, कार्यकारी रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल वरुण बाजपेयी, इकाक समन्वयक डॉ. जय किशुन और कई अन्य लोगों ने इस उपलब्धि के लिए कड़ी मेहनत की है । बता दें कि संस्थान प्रमुख सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान है जिसकी आधारशिला 14 दिसंबर 1980 को तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति महामहिम नीलम संजीव रेड्डी ने रखी थी। संस्थान ने 14 दिसंबर 2024 को अपना 41वां स्थापना दिवस मनाया। संस्थान एनआईआरएफ यानि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क रैंकिंग में 6वें स्थान पर है, और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा में इसके योगदान को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।संस्थान का आदर्श वाक्य “आत्मना सर्गो जितः”, जिसका अर्थ है “इच्छाशक्ति के माध्यम से जीतना”। संस्थान उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण, रोगी देखभाल, अत्याधुनिक अनुसंधान और सामुदायिक आउटरीच के बीच घनिष्ठ अंतर्संबंध पर जोर देता है। संस्थान अपने क्रियाकलापो के सभी पहलुओं में एक बहु-विषयक दृष्टिकोण रखता है। इसका बुनियादी ढांचा अत्याधुनिक है और यह चिकित्सा, शल्य चिकित्सा और पैरा-क्लिनिकल कार्यक्रमों के साथ उन्नत शैक्षिक अवसर प्रदान करता है। योग्य संकाय सदस्यो को स्टैनफोर्ड की वैश्विक रैंकिंग वैज्ञानिकों में दुनिया के शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञानिकों में स्थान दिया गया है और संस्थान को वार्षिक रूप से पर्याप्त अनुसंधान अनुदान प्राप्त होता है। संस्थान ने प्रशासन, शिक्षण, प्रशिक्षण, रोगी देखभाल और अनुसंधान सहित हर क्षेत्र में कई पहल की है। यह देश में कई नए विभाग शुरू करने वाला पहला संस्थान था और यहां अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्राथमिकता देते हुए शुरुआती 2-वर्षीय कार्यक्रम के बजाय 3-वर्षीय डीएम,एमसीएच कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा गया।प्रो. आर के धीमन ने बताया कि संस्थान हमेशा सभी चुनौतियों के सामने खड़ा रहा है और सार्वजनिक स्वास्थ्य और संकट प्रबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए उत्तर प्रदेश की पहली शीर्ष स्तरीय कोविड देखभाल सुविधा की स्थापना की । हाल ही में कई नए विभाग शुरू किए गए हैं, जिनमें पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी, पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी, पीडियाट्रिक यूरोलॉजी और बच्चों के हृदय रोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा केंद्र शामिल हैं, जो बच्चो की चिकित्सा देखभाल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। संस्थान ने इस क्षेत्र में बढती आवश्यकता का आकलन करते हुए एडवांस डायबिटिक सेंटर भी शुरू किया है। साथ ही दूसरे चिकित्सा संस्थानों को भी प्रेरित करता है।