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मोनोपोली दवा की बिक्री पर लगेगी लगाम

सभी थोक व फुटकर दवा विक्रेताओं को डीपीसीओ के अंतर्गत बेचनी होगी दवा 

 

अपर आयुक्त प्रशासन ने संबंधित अधिकारियो को आदेश किया जारी 

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। मेडिकल स्टोरों पर मोनोपोली दवाओं की धड़ल्ले से बिक्री पर लगाम लगाने की तैयारी शुरु हो गयी।

डॉक्टरों व मेडिकल स्टोर की मिली भगत से मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था अब निजात मिलेगी । बता दें कि अधिकांश थोक व फुटकर दवा विक्रेता द्वारा दवाओं की मोनोपोली कराकर कमीशन वाले मेडिकल स्टोर पर लंबे समय से खेल चल रहा है ।

जिससे डॉक्टर द्वारा बाहर की लिखी जाने वाली दवा किसी दूसरे मेडिकल स्टोर पर नहीं मिल पाती है। इसमें डॉक्टरो द्वारा अपने चहेते मेडिकल स्टोर पर दवा भंडार करने की पहले से सलाह हो जाती है।

ज़ब मरीज के परिजनो को मजबूरी बस कमीशन वाले मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ता है। बीते दिनों 21 अक्टूबर को दवाओं की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए

अपर आयुक्त प्रशासन रेखा एस चौहान ने समस्त मंडल आयुक्त, जिलाधिकारी व खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन को आदेश जारी कर दिया है।

जारी आदेश में उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पताल एवं नर्सिंग होम में मरीजों को औषधियों उपलब्ध कराये जाने के लिए औषधि अधिनियम के अन्तर्गत बनी नियामवली के अधीन यथावश्यक फुटकर एवं थोक औषधि विक्रय लाईसेंस प्राप्त किये जाते हैं।

जिसमें नियमावली को दर किनार करते हुए दवा विक्रेता डीपीसीओ का उल्लंघन कर मोनोपोली यानि एकाधिकार की औषधियों की बिक्री जारी है।जिसमें डॉक्टर के चहेते मेडिकल स्टोर के अलावा मरीज कहीं दूसरे मेडिकल स्टोर से खरीदना चाहे तो नहीं मिल पाती है।

वहीं अपर आयुक्त प्रशासन ने कहा कि अस्पताल एवं नर्सिंग होम मरीजों को विक्रय प्रतिष्ठान से ऊंचे दामों पर औषधियों को क्रय करने के लिये बाध्य नहीं कर सकते है,

जबकि उसी औषधि का दूसरा ब्राण्ड सस्ते दाम पर अन्य औषधि विक्रेता प्राइवेट अस्पताल नर्सिंग होम द्वारा एकाधिकार बनाकर मरीजों से अधिक धन की वसूली करते आ रहे है। उन्होंने जारी आदेश के अनुपालन में कहा कि उचित मूल्य पर गुणवत्तापरक औषधि की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।

जिसके लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम के अधीन औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश डीपीसीओ लागू किया गया है। डीपीसीओ के अंतर्गत औषधियों का अधिकतम खुदरा मूल्य एवं उनकी उपलब्धता नियंत्रित किया जाता है।

जिसके प्राविधानानुसार कोई दवा निर्माता किसी औषधि विक्रेता को अकारण औषधि विक्रय करने से इंकार नहीं कर सकता है। वहीं सभी दवा विक्रेताओं को मरीजों को लिखी जाने वाली दवाओं का भंडार रखना होगा। ऐसा न करने वाले दवा विक्रेताओं पर कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।

अपर आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों में..

अस्पताल, नर्सिंग होम में स्थित औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण करके यह सुनिश्चित करेंगे कि औषधियों की बिक्री तकनीकी व्यक्ति फार्मासिस्ट की उपस्थिति में ही किया जा रहा है या नहीं।

औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों में उपलब्ध औषधियों का परीक्षण डीपीसीओ के प्राविधानों के अधीन तथा एनपीपीए द्वारा निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य पाये जाने पर नियमानुसार न होने पर कार्रवाई की जायेगी।

औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध औषधियों आस-पास के औषधि विक्रय प्रतिष्ठान पर भी उपलब्ध हों तथा यदि कोई निर्माता फर्म डिस्ट्रीब्यूटरथोक औषधि विक्रेता वांछित औषधियों की आपूर्ति करने से मना करता है तो,

उसके विरुद्ध डीपीसीओ एवं अन्य सुसंगत नियमों के अन्तर्गत कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि दवाओं के सिंडिकेट बहुत दूर तक फैले हुए हैं इस पर लगाम लगाना किसी चुनौती से कम नहीं हो सकता है।

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