कल आरएमएल में होगी अपडेट्स इन क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी पर कार्यशाला
डायग्नोस्टिक एल्गोरिदम के बारे में करेंगे जागरूक

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। संक्रमण के बढ़ते प्रभाव की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मंथन होने जा रहा है। जिसमें विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस संक्रमण विश्व में आम है और यह विश्व में उभरते हुए अन्य संक्रमण का कारण भी है। स्वास्थ्य प्रणाली में नैदानिक तस्वीर और डायग्नोस्टिक एल्गोरिथदम के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है। जिससे वायरस की पहचान की जा सके,जो न केवल समुदाय में अज्ञात बुखार का कारण बनता है बल्कि बचपन और आईसीयू संक्रमण का प्रमुख कारण भी है। रविवार को यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य दिवस और माइक्रोबायोलॉजी विभाग डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा दी गयी। संस्थान द्वारा बताया गया कि 12वें वार्षिक न्यूज़लेटर विमोचन के अवसर पर कल यानि सोमवार को “अपडेट्स इन क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी विषय पर एक सीएमई का आयोजन किया जाएगा। जिसके मुख्य अतिथि संस्थान निदेशक प्रो. सीएम सिंह होंगे। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख और डीन एकेडमिक प्रोफेसर अमिता जैन शामिल होंगी। प्रो जैन मौजूदा केजीएमयू के वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरीज (वीआरडीएल) की नोडल अधिकारी भी हैं। वह “एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम” पर अपने विचारों से श्रोताओं को अवगत कराएंगी और इंसेफेलाइटिस के मुख्य कारण के रूप में वायरस पर जोर देंगी। उनके व्याख्यान के बाद ‘वायरल एसोसिएटेड ट्रॉपिकल फीवर ’, “कॉमन वायरल इंफेक्शंस इन आईसीयू” और “वायरल इंफेक्शन” पर दिलचस्प बातचीत होगी। वक्ताओं में ‘बच्चों में वायरल संक्रमण’ पर डॉ. अतुल गर्ग, एडिशनल प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, एसजीपीजीआई, डॉ. साई सरन, एसोसिएट प्रोफेसर, क्रिटिकल केयर विभाग, एसजीपीजीआई और डॉ. केके यादव, एडिशनल प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, डॉ. आरएमएल जानकारी साझा करेंगे। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी के पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट्स के बीच वार्षिक “अगार आर्ट” प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेता और एमबीबीएस छात्रों के बीच पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को भी हमारे निर्णायकों द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। कार्यशाला का उदेश्य वायरल इन्फेक्शन का क्लिनिकल प्रेजेंटेशन एवं डायग्नोस्टिक्स के आधार पर पहचान व प्रबंधन करना है और सीएमई का लक्ष्य चिकित्सकों, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, कम्युनिटी मेडिसिन और रेजिडेंट्स मेडिकल छात्रों को निपुण बनाने के लिए किया गया है।