हमारा लक्ष्य टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश बनाना -पार्थ सारथीसेन शर्मा
विश्व टीबी दिवस पर दिया सुझाव,टीबी रोग संक्रामक, इलाज संभव

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए जोर दिया जा रहा है। सोमवार को विश्व टीबी दिवस पर टीबी रोग के प्रति जागरूक किया गया। जिसे प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने टीबी उन्मूलन के लिए सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य “टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश बनाना है। टीबी एक संक्रामक लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य रोग है। यदि किसी व्यक्ति को टीबी के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार नि:शुल्क जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध करा रही है। टीबी उन्मूलन के प्रयासों में जन-समुदाय का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। जनता की सतर्कता और भागीदारी से ही ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’ के सपने को पूरा कर सकते हैं। प्रमुख सचिव ने कहा कि जन प्रयास से ही टीबी उन्मूलन में सफलता मिलेगी और हम सबको टीबी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में सहयोग करना चाहिए। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया द्वारा होने वाली संक्रामक बीमारी है जो कि नियमित इलाज से ठीक हो जाती है। इसीक्रम में राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि टीबी का बैक्टीरिया जब फेफड़ों को संक्रमित करता है तो पल्मोनरी टीबी होती है,जो कि संक्रामक होती है। इसके अलावा अन्य किसी भी अंग में टीबी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहलाती है जो कि गैर संक्रामक होती है। टीबी नाखून और बालों को छोड़कर किसी भी अंग में हो सकती है। देश में 80 फीसद टीबी के मामले पल्मोनरी टीबी के और 20 फीसद एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि टीबी के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है, जिससे कि समय से जाँच और इलाज हो सके।
जानें टीबी होने के लक्षण..
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार, रात में पसीना आना, मुंह से खून आना, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, वजन कम होना, भूख न लगना, थकान, गर्दन में गांठ,बांझपन आदि शामिल है। इसके लिए सरकार द्वारा टीबी की जाँच और इलाज को लेकर कई योजनायें चलायी जा रही हैं। निःशुल्क जाँच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों पर निशुल्क जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। डॉट्स केंद्रों पर इसके माध्यम से टीबी की दवाएं दी जाती हैं। निक्षय पोषण योजना पोषण के लिए इलाज के दौरान टीबी रोगियों को 1000 रूपये उनके खाते में दिए जाते हैं। इसके अलावा निक्षय मित्र योजना इस योजना के तहत टीबी रोगियों को समाज के सभ्रांत व्यक्तियों, औद्योगिक, शैक्षणिक तथा अन्य संस्थानों द्वारा गोद लेकर उन्हें इलाह के दौरान उन्हें पोषणात्मक सहयोग दिया जाता है। इसके साथ ही उन्हें पुनर्वास में भी सहयोग देते हैं।मोबाइल हेल्थ वैन रिमोट क्षेत्रों में टीबी मरीजों की जाँच और इलाज के लिए मोबाइल हेल्थ वैन चलायी जा रही हैं।निक्षय पोर्टल इसके द्वारा टीबी मरीजों को ट्रैक किया जाता है और उनका पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। इसमें निजी अस्पतालों और चिकित्सकों द्वारा इलाज करा रहे टीबी मरीजों का भी विवरण होता है। टीबी निवारक उपचार (टीपीटी)- टीबी रोगियों के साथ रहने वाले सभी आयु वर्ग के लोगों को टीबी रोग न होने पर टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) दिया जाता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार टीबी का नियमित इलाज जरूरी है अन्यथा मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। टीबी की जाँच एक्सरे, माइक्रोस्कोपी, ट्रूनेट, सीबीनेट के द्वारा की जाती है। ऐसी स्थिति में धूम्रपान या नशा करने वाले व्यक्तियों में सामान्य की अपेक्षा ढाई से तीन गुना ज्यादा टीबी होने की सम्भावना होती है। कुपोषित व्यक्ति को स्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा टीबी होने की सम्भावना होती है। टीबी मरीज के साथ रहने वाले लोग,वायु प्रदूषण,या ऐसे व्यवसाय जिनमे धूल, धुआं होता है, वहां काम करने वाले व्यक्तियों में,मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग जहाँ सूर्य की रौशनी कम होती है, सीलन होती है। डायबिटीज, एचआइवी या कैंसर या किडनी सम्बन्धी बीमारी से ग्रसित,इसके साथ ही उन लड़कियों और महिलाओं में संक्रमण के बाद टीबी होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है जिनकी कम उम्र में शादी हो गयी है, जिनके ज्यादा बच्चे है, जो एनीमिक हैं।
टीबी ग्रसित व्यक्ति बरते यह सावधानी..
खांसते सौर छींकते समय मुंह को ढंकें,मास्क पहने,इसके साथ ही अपने पोषण स्तर में सुधार करें, नियमित संतुलित एवं पौष्टिक भोजन करें, भोजन में अंकुरित अनाज, दालें, दूध , हरी सब्जियां, मौसमी फल और प्रोटीनयुक्त आहार शामिल करें। धूम्रपान या एल्कोहोल या अन्य कोई नशा कर रहे हैं तो उसे छोड़ दें | डायबिटीज को नियंत्रित रखें। तनाव या अवसाद में हैं तो जीवन शैली में बदलाव करें। फ़ास्ट फ़ूड, संरक्षित भोजन, कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन कम करें या नहीं करें। योग, प्राणायाम, ध्यान करें। नियमित 40-45 मिनट पैदल चलें,पर्याप्त नींद लें। टीबी के व्यक्ति से हाथ मिलाने, साथ खाना खाने, बैठने उठने से टीबी नहीं फैलती है। टीबी के मरीजों के साथ भेदभाव बिलकुल सही नहीं होता है। बच्चों को लगवाएं वैक्सीन टीबी से बचाव के लिए बच्चों को जन्म के तुरंत बाद बीसीजी का टीका लगवाएं।