उत्तर प्रदेशजीवनशैली

वायु गुणवत्ता की खराबी से बढ़ रहे सीओपीडी के मरीज – डॉ वेद प्रकाश 

अच्छे स्वास्थ्य के लिए चाहिए शुद्ध हवा

 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने फेफड़ों में होने वाली बीमारी के बारे में दिया सुझाव 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। दुनिया भर में सीओपीडी के मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। अधिक धुंए में रहने से सीओपीडी के मरीज बन सकते हैं। एक आंकड़े के अनुसार पुरुषो की अपेक्षा, महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है। यह जानकारी मंगलवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान विभाग अध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश, डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं पीएमआर विभाग अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से दी। डॉ वेद प्रकाश ने कहा कि वर्ष 2030 तक, बढ़ती आबादी, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क के कारण सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बने रहने की उम्मीद है। विशेष रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में यह बीमारी प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि भारत में 5.5 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं।इसके जोखिम कारकों में धूम्रपान शामिल है, जो भारत में लगभग 40 प्रतिषत मामलों के लिए जिम्मेदार है। खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन का उपयोग सीओपीडी को बढ़ाता है जैसे विशेष रूप से ग्रामीण घरों में इस्तेमाल होने वाले कंडे, उपलो से होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण सीओपीडी को ग्रासित परिवेष में हाने वाली प्रमुख बीमारी बनाता है।डॉ वेद प्रकाश ने कहा कि

विश्व सीओपीडी दिवस, जो इस वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाएगा, दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व सीओपीडी का विषय “अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जानें”। जिसे स्पाइरोमेट्री भी कहा जाता है। स्पिरोमेट्री एक सरल और प्रारम्भिक परीक्षण है जो यह मापता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और बाहर छोड़ सकते हैं।

जानें सीओपीडी के लक्षणों में..

पुरानी खांसी, सांस लेनेे में तकलीफ,घरघराहट, सीने में जकडन, थकान, बार-बार श्वसन संक्रमण होना, अनपेक्षित वजन घटना, दैनिक कार्यशैली करने में कठिनाई होना।

सीओपीडी होने के कारणो में..

तम्बाकू धूम्रपान में सिगरेट, बीडी प्राथमिक कारण है। जिसमें धूम्रपान न करने वालों को भी धूम्रपान के संपर्क में आने से सीओपीडी होने का खतरा होता है। कार्यस्थल के प्रदूषकों और धूल,रसायन और धुएं जैसे उत्तेजक पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सीओपीडी विकसित होने का खतरा बढ सकता है। गोबर के उपले, कोयला, लकड़ी के उपयोग से घर के अंदर वायु प्रदूषण हो सकता है। अनुवांशिक कारण अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी एक दुर्लभ आनुवंषिक स्थिति है जो जल्दी सीओपीडी की शुरूआत का कारण बन सकती है। बार-बार श्वसन संक्रमण, विषेष रूप से बचपन के दौरान होने वाले संक्रमण जीवन में बाद में सीओपीडी विकसित होने का खतरा बढ सकता है। स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच, और अपर्याप्त पोषण सीओपीडी के विकास और प्रगति में योगदान कर सकते है।अस्थमा जैसी पहले से मौजूद श्वसन संबंधी स्थितियों से पीडित व्यक्तियों में विकसित होने का खतरा बढ सकता है।

जानें सीओपीडी का उपचार..

ब्रोंकोडाईलेटर्स, इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, पलमोनरी रिहैबिलिटेसन,ऑक्सीजन थेरेपी, सर्जरी शामिल है। अच्छी जीवनशैली को अपनाकर अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सकता है।इस मौके पर पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख प्रो.वेद प्रकाश, रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रो. राजेंद्र प्रसाद, पीएमआर विभाग के प्रो.अनिल गुप्ता व अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।

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