टाइप वन से डायबिटीज टू अधिक प्रभावी – डॉ अनुज महेश्वरी
विश्व डायबिटीज दिवस पूर्व स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने किया जागरूक
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। दुनिया भर में डायबिटीज के बढ़ते मरीजों को जागरूक करना जरुरी है। टाइप वन डायबिटीज से अधिक प्रभावी टाइप 2 डायबिटीज होती है। टाइप टू डायबिटीज वाले मरीज की आने वाली जनरेशन भी ग्रसित होती है। बल्कि टाइप वन डायबिटीज के मरीजो को घबराने की जरूरत नहीं होती। इसमें इंसुलिन की आवश्यकता बढ़ जाती है। यह जानकारी बुधवार को रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनुज महेश्वरी एवं सचिव डॉ अजय तिवारी व अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से दी।
डॉ माहेश्वरी ने कहा कि हर वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। जिसका उदेश्य यही है कि अधिक से अधिक लोगों को मधुमेह के बारे में जागरूक किया जा सके। जिससे मधुमेह के बढ़ते मरीजों के ग्राफ को कम किया जा सके । उन्होने कहा कि कम से कम 136 मिलियन प्री-डायबिटिक लोग थे। जिन्हें अच्छी जीवनशैली, संतुलित आहार और जागिंग, साइकिलिंग और अन्य खेलों जैसे व्यायाम को अपनाकर मधुमेह से बचाया जा सकता है।
प्रो.अनुज माहेश्वरी ने कहा कि मधुमेह रोगियों को दिन के हर हिस्से में निरंतर सावधानी और अतिरिक्त प्रयास के साथ काम करना पड़ता है। मधुमेह के मरीज को धमकाने से निराशा की भावना पैदा हो सकती है। खासकर जब देखभाल तक पहुंच सीमित हो,जिससे यह जीवन और मृत्यु का मामला बन जाता है। जबकि मधुमेह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, देखभाल अक्सर केवल रक्त शर्करा प्रबंधन पर केंद्रित होती है। जिससे कई लोग परेशान हो जाते हैं। डॉ माहेश्वरी ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के बीच किए गए हाल के अध्ययनों से पता चला है कि 36 फीसदी मधुमेह से परेशानी का अनुभव करते हैं, मधुमेह से पीड़ित 63 फीसदी लोगों का कहना है कि मधुमेह से संबंधित जटिलताओं के विकसित होने का डर उनकी भलाई को प्रभावित करता है। मधुमेह से पीड़ित 28 फीसदी लोगों को अपनी स्थिति के संबंध में सकारात्मक बने रहना कठिन लगता है। इसी क्रम में सचिव डॉ अजय तिवारी ने कहा कि लाखों लोग मधुमेह की बीमारी से पीड़ित है उन्हें बचाव के लिए कोई सटीक जानकारी नहीं है। साथी उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस चुनौतियों से निपटने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना ही बचाव है।
ज्ञात हो कि मधुमेह दिवस हर साल 14 नवंबर को फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन पर मनाया जाता है। जिन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की खोज की थी। विश्व मधुमेह दिवस 1991 में अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ द्वारा बनाया गया था। और विश्व स्वास्थ्य संगठन और 2006 में संयुक्त राष्ट्र संकल्प पारित होने के साथ आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस बन गया। दुनिया भर में मधुमेह से पीड़ित 537 मिलियन लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी संघर्षपूर्ण हो सकती है। यूपी चैप्टर के अध्यक्ष प्रो.जलीस फातिमा ने कहा कि 2019 में 70 मिलियन लोगों की तुलना में भारत में अब 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। समारोह में प्रोफेसर ऋचा मिश्रा भी शामिल हुई। कार्यक्रम का संचालन डा. अंकिता पांडे द्वारा किया गया ।