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डिप्टी सीएम ने दिव्यांग पति को पीठ पर लादने के मामले पर लिया संज्ञान 

डॉक्टर समेत तीन पर कार्रवाई करने के दिए निर्देश 

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। दिव्यांग को पीठ पर लाद कर ले जाने वाले मामले का डिप्टी सीएम ने संज्ञान ले लिया है। मामला रायबरेली में व्हील चेयर न मिलने पर दिव्यांग पति को पत्नी द्वारा पीठ लादकर सीएमओ कार्यालय पहुंचने के इस प्रकरण को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गंभीरता से लेते हुए अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल को जांच कराने के आदेश दिए। जिसमें जांच में डॉक्टर समेत दो कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हुई और डिप्टी सीएम के आदेश पर सीएमओ ने तीनों पर कार्रवाई कर दी है । बता दें कि सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं। बीते दिनों एक महिला अपने दिव्यांग पति का प्रमाण पत्र बनाने के लिए पहुंची थी । आरोप है कि सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग पति को व्हील चेयर नहीं मिली। जिससे पत्नी ने दिव्यांग पति को पीठ पर लाद लिया और दिव्यांग बोर्ड के समक्ष पेश हुई। इस मार्मिक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण लखनऊ मंडल को जांच के आदेश दिए। अपर निदेशक ने रायबरेली सीएमओ डॉ. नवीन चन्द्रा को तीन दिन में प्रकरण की जांच के आदेश दिए। सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार, जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. ब्रजेश कुमार और जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना शामिल थे। कमेटी की जांच में लापरवाही उजागर हुई। वहीं जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डिप्टी सीएम ने सीएमओ को तीनों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की। उप मुख्य चिकित्साधिकारी व जिला दिव्यांग बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ. अम्बिका प्रकाश को मुख्यालय से हटा दिया गया है। उन्हें जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती दी गई है। डाटा इंट्री ऑपरेटर अनुकांत आनंद को यूडीआईडी कार्य से हटा दिया गया है। उन्हें मूल तैनाती स्थल भेजा गया है। जांच कमेटी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनिल कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की। कमेटी की सिफारिश पर अनिल कुमार को निलंबित कर दिया गया है। उन्हें बेलाभेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से संबद्ध किया गया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि दिव्यांग बोर्ड में सभी आवश्यक संसाधन जुटाए जाएं। ताकि दिव्यांगजनों को असुविधा से बचाया जा सके। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाह डॉक्टर या कर्मचारियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।

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