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डॉक्टरों ने गर्भवती हृदय रोगी की दुर्लभ सर्जरी कर दी नई जिंदगी 

कार्डियोलॉजी के डॉक्टरों की सूझबूझ से बची तीनों की जिंदगी 

 

6 माह की गर्भवती महिला, वजन 35 किलो, हेपेटाइटिस सी से थी ग्रसित

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। डॉक्टरों की सूझबूझ से गर्भवती महिला को नई जिंदगी मिली है।बाराबंकी की रहने वाली 6 माह की गर्भवती महिला उम्र करीब 28 वर्ष वजन 35 किलो से भी कम हृदय रोग सांस की तकलीफ और हेपेटाइटिस सी से ग्रसित थी। जिसे परिजनों ने महिला की परेशानी को देखते हुए केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में ले गए। जहाँ डॉक्टरों ने महिला की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग रेफर किया था। वहीं कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ मोनिका भंडारी का कहना है कि भर्ती महिला को हृदय रोग, हेपेटाइटिस सी संक्रमण था और 35 किलो वजन जो बहुत ही कम था। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सर्जरी करना किसी चुनौती से कम नहीं था जो सफल रहा। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी स्थिति में हृदय रोगी में गर्भावस्था जानलेवा है। यह भ्रूण की हानि के साथ-साथ मातृ मृत्यु का एक बड़ा कारण भी है। ऐसी अवस्था में हृदय रोग में गर्भधारण वर्जित है। इसके बावजूद भी हृदय रोग से पीड़ित कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के उन्नत चरण में हमारे पास आती हैं। हृदय की स्थिति के साथ उनकी गर्भावस्था का प्रबंधन करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। गर्भवती महिला के हृदय के एक वाल्व (माइट्रल स्टेनोसिस) में गंभीर संकुचन था। इस स्थिति में समय पर इलाज न होने पर मृत्यु की अत्यधिक संभावना रहती है । गर्भावस्था स्वयं हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालती है। यह पीड़ित महिला अत्यंत जोखिम वाले हृदय रोग से पीड़ित थी। गर्भवती महिला का कम वजन, खून की कमी, हेपेटाइटिस सी संक्रमण और जुड़वां भ्रूण ने स्थिति को घनघोर चुनौतीपूर्ण बना दिया था। जिसे महिला को बैलून माइट्रल वाल्वोटॉमी की आवश्यकता थी। तीन जीवन को बचाने के लिए संभावित खतरों के साथ मरीज का डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने का निर्णय ले लिया। वहीं संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ ऋषि सेठी के मार्गदर्शन व डॉ प्रवेश विश्वकर्मा द्वारा मरीज का बैलून माइट्रल वाल्वोटॉमी की गई। डॉक्टरों की टीम में डॉ मोनिका भंडारी, डॉ प्राची शर्मा, डॉ गौरव चौधरी, डॉ अखिल शर्मा,डॉ उमेश त्रिपाठी ने सहायता प्रदान की जो सफल रही और रोगी को राहत मिली। अब माँ और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं। इस जोखिम प्रक्रिया के माध्यम से डॉक्टरों ने तीन लोगों की जान बचाने में सफलता अर्जित की है । साथ ही पीड़ित महिला को प्रसूति विभाग से रोगी की देखभाल प्रो अमिता पाण्डे, प्रो अंजू अग्रवाल, प्रो शालिनी एवं प्रो नम्रता द्वारा की गई। इस उपलब्धि के लिए संस्थान कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई देते हुए जुड़वाँ भ्रूणों को धारण किए 35 किलोग्राम से कम वजन वाली गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के लिए लारी कार्डियोलॉजी की सराहना की। वहीं प्रो ऋषि सेठी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान इस तरह के रोगी का ऑपरेशन करना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है,लेकिन परिणाम सुखद है। रोगी बहुत गरीब हालात में थी और उसके पास पैसे नहीं थे। यह प्रक्रिया विपन्ना योजना के अंतर्गत की गई, जिसे राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। साथ ही कुलपति द्वारा राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया गया। ज्ञात हो कि संस्थान में हृदय रोग से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए आईसीएमआर के मार्गदर्शन में एक कार्डियो-प्रसूति देखभाल कार्यक्रम राष्ट्रीय गर्भावस्था और हृदय रोग अध्ययन शुरू किया गया है जो कई मातृ और भ्रूण के जीवन को बचाने में मददगार होगा।

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