राम कृष्ण मठ में गीता जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यक्रम
अर्यमा ने गीता आरती की दी अद्भुत प्रस्तुति
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी के निराला नगर स्थित राम कृष्ण मठ में धूमधाम के साथ एक दिवसीय गीता जयंती का आयोजन किया गया।साथ ही यूटयूब चैनल ‘रामकृष्ण मठ लखनऊ’ के माध्यम से सीधा प्रसारण भी किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत प्रातःकाल 5 बजे शंखनाद व मंगल आरती के साथ हुई। इस अवसर पर रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने सतप्रसंग में बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है, जोकि सनातन धर्म का विशेष पर्व है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत और गीता जयंती का पर्व बुधवार 11 दिसंबर विधान है। कहा जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश देकर जीवन की सच्चाई से रूबरु कराया था। उसे ही भगवत गीता कहा जाता है। पौराणिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे, उस दिन मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी। मार्गशीर्ष या अगहन एकादशी पर श्रीकृष्ण के उपदेश देने के कारण इसी दिन को गीता का जन्म का दिन माना जाता है और हर साल इसी दिन गीता जयंती मनाई जाती है। गीता का जन्म स्वयं श्रीकृष्ण ने मुख से हुआ है, क्योंकि इसके हर श्लोक भगवान श्रीकृष्ण ने मुख से निकले हैं। उन्होंने कहा कि गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपदेश नाम से भी जाना जाता है। मार्गशीर्ष एकादशी पर इसलिए भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही इस दिन गीता का पाठ भी जरूर करना चाहिए।वहीं
सायंकाल संध्या आरती के उपरान्त रामनाम संर्कीतन हुआ तथा सायं 7ः15 बजे से त्रिवेणी नगर, लखनऊ की आठ साल की अदभुत बालिका अर्यमा शुक्ला जो एक स्कूल, अलीगंज की छात्रा है द्वारा गीता आरती पर बडे ही मनोरम और सुन्दर प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने अपने बालमुख से भगवत गीता व उनके उपदेशों की प्रसंसा में लयबद्ध तरिके से गाकर प्रसंसा की। भगवतगीता एक हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ है जो महाभारत महाकाव्य को एक हिस्सा है जो कर्म के रास्ते को निर्देशित करने का कार्य करती है और साथ ही साथ अध्यात्मिक ज्ञान व भगवान के प्रति भक्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान भी देता है। इतने दार्शनिक ग्रन्थ का अक्षरः शुद्ध उच्चारण में बिना देखे पाठ करने का काम अद्भूद बालिका ने बडे ही सुन्दर तरीके से किया जिसे वास्तविकता में विश्वास करना असंभव है। ज्ञात हो कि अर्यमा शुक्ला को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनकी इस प्रतिभा देखकर उनको आपना आशीर्वाद भी दिया है। अर्यमा को संस्कृत के मंत्रों को सुनकर याद करने की अद्भुद क्षमता है। इतना ही नही इस अद्भूद बालिका को भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों से परिपूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों के सभी 700 श्लोक कंठस्थ हैं तथा वह उन्हें दो घण्टे में सुना सकती है गीता के अतिरिक्त अर्यमा को संस्कृत में महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, श्री कनकधारा स्तोत्र, श्री विष्णु सहस्रनाम, श्री राम स्तुति, सरस्वती वंदना, ओम शिवोहम, शिव रक्षा स्तोत्र, शिव तांडव, श्री रामाष्टकम, कृष्णाष्टक पूरी तरह से याद हैं। वह इन मंत्रों और स्तोत्रों को उतनी ही मधुर आवाज में पढ़ती हैं जितनी आसानी से मधुराष्टकम, श्री गणेश पंचरत्नम, ’नवदुर्गा स्तोत्रम्, श्री हरि स्तोत्रम, अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्ः’ रुद्राष्टकम, शिवाष्टकम, निर्वाण शतक, शिव षडाक्षर स्तोत्रम् आदि का पाठ करती हैं। खास बात यह है कि ये मंत्र और स्तोत्र बिना पुस्तक देखे ही सुनाती हैं। इन श्लोकों का उच्चारण सटीक है और इन्हें पूरी श्रद्धा और समझ के साथ सुनाया गया है, जिससे यह इस युवा बुद्धिजीवी द्वारा एक शक्तिशाली प्रस्तुति बन गई है। वहीं स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज ने नन्ही प्रतिभाशाली अदभुद बालिका की प्रसंसा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यह नन्ही बालिका संस्कृत जैसे कठिन भाषा को इतनी सहजता और मधुरता के साथ उच्चारित करती है जो अविष्यस्मरणीय है। साथ ही साथ यह भी बताया कि निश्चित रूप से इस बालिका पर मॉ सारदा के आर्शिवाद से पूर्ण रूप से अर्शिवादित है। यह बालिका अध्यात्म के क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर पर जरूर पहुॅचेगी तदोपरान्त गीता आरती की गयी। कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित सभी भक्तों के मध्य प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।