उत्तर प्रदेशजीवनशैली

एनीमिया मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को करती प्रभावित – ब्रजेश पाठक 

एनीमिया विषय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने व्यक्त किए सुझाव 

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में एनीमिया से निपटने के लिए गहन मंथन किया गया। शुक्रवार को केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग, एवं सोसाइटीज ऑफ इंडिया, फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रेटिक एवं गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में एनिमिया विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन राजधानी के एक होटल में किया गया। वहीं

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने दीप प्रजवालित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वहीं मंच पर संस्थान कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश अग्रवाल, वाइस प्रेजिडेंट, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज, इंडिया, डॉ. जयदीप टेंक, प्रेजिडेंट ऑफोकसी एवं डॉ. शुरूचि शुकला, एसोसिएट प्रो. माइक्रोबायोलॉजी विभाग मौजूद रही । राष्ट्रीय गोष्ठी के दौरान देश भर से करीब 200 से अधिक विशेषज्ञों शामिल होकर अपने अनुभव को साझा किए। इसी क्रम में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से आयोजक मण्डल को राष्ट्रीय गोष्ठी आयोजित करने की बधाई देते हुए कहा कि उप्र सरकार पहले से ही एनिमिया के निदान के लिए व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है।

एनीमिया, एक ऐसी स्थिति है जो उत्तर प्रदेश में लगभग आधी गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती है। इसके स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों से परे, एनीमिया आर्थिक उत्पादकता और संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करता है, जो गरीबी के चक्र को जारी रखता है। इसके दूरगामी परिणामों को पहचानते हुए, सम्मेलन ने बेहतर परिणामों के लिए सटीक परीक्षण और उन्नत उपचार विकल्प के लिए डिजिटल स्क्रीनिंग उपकरणों के उपयोग जैसे कार्रवाई योग्य समाधानों को प्राथमिकता दी।

उन्होने कहा कि मातृ एनीमिया से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और उन्होंने कहा कि एनीमिया एक महत्वपूर्ण चुनौती है, और माताओं और बच्चों में इसके प्रसार को कम करना हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके दूरगामी सामाजिक-आर्थिक परिणाम हैं, और मुझे उम्मीद है कि सम्मेलन में मौजूद सभी हितधारक इस पर विचार-विमर्श करेंगे और हर स्तर पर इससे निपटने के लिए प्रभावी समाधान निकालेंगे। ब्रजेश पाठक ने कहा प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमने कोविड-19 से निपटने से लेकर जल जीवन मिशन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करने तक परिवर्तनकारी पहल देखी हैं, जो दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प और जमीनी स्तर पर कार्रवाई के साथ कोई भी चुनौती असंभव नहीं है।

उन्होंने एनीमिया की समस्या से व्यापक रूप से निपटने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया और आश्वासन दिया कि चर्चाओं से प्राप्त सुझावों को पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि मातृ एनीमिया के प्रसार में 2016 में 51 प्रतिशत से 2021 में 45.9 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

केजीएमयू अनुसंधान, प्रशिक्षण और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से एनीमिया से निपटने के प्रयासों में सबसे आगे रहा है।साथ ही डॉ. सोनिया नित्यानंद ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ’’स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सामुदायिक कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच सहयोग एनीमिया की समस्या को हल करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, अभिनव नैदानिक समाधान और डिजिटल तकनीकें एनीमिया के इलाज और प्रबंधन के तरीके को बदलने में सहायक होंगी।

डॉ. जयदीप टांक ने निजी क्षेत्र के अनुभव से जानकारी दी तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में अंतःशिरा फेरिक कार्बोक्सिमाल्टोज जैसे उन्नत उपचारों को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया।

सम्मेलन में डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर जैसे डिजिटल उपकरणों की परिवर्तनकारी क्षमता पर चर्चा की गई, जो एनीमिया की त्वरित और सटीक जांच करते हैं, और अंतःशिरा आयरन जैसे उन्नत उपचार, जो न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ प्रभावी समाधान प्रदान करते हैं। ये नवाचार, मजबूत सामुदायिक जुड़ाव और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए क्षमता निर्माण के साथ मिलकर एनीमिया कम करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।

विशेषज्ञों ने गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) में खराब परिणामों में एनीमिया की महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगाया, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के बीच, साथ ही कमजोर आबादी में एनीमिया के प्रसार को बढ़ाने में संक्रमण और भारी धातु के संपर्क के प्रभाव का भी पता लगाया। विशेषज्ञों ने संभावित समाधानों पर चर्चा की, जिसमें बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप, पर्यावरण सुरक्षा उपायों को मजबूत करना और एनीमिया में इन अद्वितीय योगदानकर्ताओं को संबोधित करने के लिए लक्षित नीति सुधारों को लागू करना शामिल है।

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