थैलेसीमिया की कराएं जीन टेस्टिंग, बच्चों में संभावना होगी शून्य – डॉ. सीएम सिंह
आरएमएल में थैलेसीमिया अनुवांशिक रक्त रोग की जागरूकता को लगा शिविर
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। देश को थैलेसीमिया रक्त विकार से मुक्त बनाने की पहल जारी है। गुरुवार को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान निदेशक प्रो. सीएम सिंह की अगुवाई में अपोलो सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लांट नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय निःशुल्क एचएलए जांच एवं परामर्श शिविर का शुभारम्भ किया गया।
बता दें कि यह शिविर लगाने का उदेश्य थैलेसीमिया अनुवांशिक रक्त रोग के बारे में जागरूकता फैलाना और निःशुल्क एचएलए स्क्रीनिंग प्रदान करने के लिए किया गया । जिसे डॉ. गौरव खर्या वरिष्ट परामर्शदाता सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लान्ट एण्ड सेल्युलर थेरेपी पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी एवं इम्यूनोलाजी ने ‘क्युरिंग थैलेसीमिया यूसिंग अनरीलेटेड एंड हैप्लोआईडेंटिकल डोनर विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बीमारी की जानकारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उस बीमारी को खत्म करने के लिए की जाने वाली पहल है।
संस्थान द्वारा निःशुल्क एचएलए स्क्रीनिंग जांच का आयोजन किया गया । उन्होंने कहा कि हर प्रकार के रक्त विकार के इलाज के दो तरीके होते है,केयर एण्ड क्योर और संस्थान के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में निःसंदेह मरीजों की उत्तम देखभाल होती है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट थैलेसीमिया का स्थायी समाधान है। साथ ही डॉ. गौरव ने थैलेसीमीया उपचार में होने वाले व्यय के बारे में बताया कि सरकारी संस्था कोल इंडिया सीएसआर गतिविधियों के अन्तर्गत रक्त विकार से पीड़ितों के लिये सहायता प्रदान करती है।
इसी क्रम में प्रश्नोत्तर सत्र में थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों के अभिवावको एवं तीमारदारों द्वारा किये गये प्रश्नों साथ ही अभिवावक अखिलेश के दो बच्चों का बोनमैरो ट्रासंप्लाट हुआ उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया।वहीं
संस्थान के निदेशके प्रो.सीएम सिंह ने कहा कि बीमारी से पहले ही उसकी जांच करा ली जाये और दम्पत्ति शादी से पूर्व थैलेसीमिया बीमारी की जीन टेस्टिंग करा लें। जिससे होने वाले बच्चों में थैलेसीमिया बीमारी होने की सम्भावना शून्य हो जायेगी। इससे थैलेसीमिया मुक्त भारत की स्थापना कर सकते है। डॉ.सुब्रत चन्द्रा विभागाध्यक्ष, ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन द्वारा बताया गया कि लगभग भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से ग्रसित हैं। संस्थान के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर एक वर्ष से सुचारू रूप से संचालित है। जिसमें लगभग 200 बच्चे पंजीकृत हैं। जल्द ही संस्थान देश का पहला ऐसा संस्थान हो जायेगा जहॉ थैलेसीमिया के बच्चों को मॉलीक्यूलर जाचें भी उपलब्ध कराई जायेगीं। संस्थान द्वारा बायोऐरर मशीन का क्रय कर लिया गया है और संस्थान प्रदेश ही नहीं अपितु देश भर के संस्थानों के साथ मिलकर इसकी जाचं करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम के दौरान प्रो. नुज़हत हुसैन विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी, प्रो. रितु करोली, विभागाध्यक्ष, क्लीनिकल हेमेटोलॉजी, प्रवीर आर्या, अध्यक्ष थैलेसीमिया सोसाइटी, डॉ. बीके शर्मा, नोडल इंर्चाज, ब्लड बैंक, संकाय सदस्य, रेजीडेन्ट एवं थैलेसीमिया मरीजों के परिजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान थैलेसीमिया रक्त विकार से संबंधित प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करने वाले कार्मिक एवं स्वयंसेवको को प्रतीक चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया गया। जिसमें डॉ.एबीपी, सीनियर कंसलटेंट, अपोलो, डॉ.नम्रता पी अवस्थी, पैथोलॉजी विभाग, डॉ.नितिन चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, क्लीनिकल हेमेटोलॉजी विभाग, डॉ. शिल्पी मिश्रा, सौरभ वर्मा, को-आडिनेट, अखिलेश मिश्रा, थैलेसीमीया सोसाइटी, पुष्पेन्द्र वर्मा, एमएसडब्लू एवं मनीष, स्वयंसेवक शामिल थे।
आज के कार्यक्रम में लगभग 200 बच्चों की अपोलो सेंटर फॉर बोनमैरो ट्रांसप्लांट नई दिल्ली द्वारा निःशुल्क एचएलए जांच की गयी। एचएलए की एक जांच में लगभग 15 हज़ार रूपये का खर्च आता है। कार्यक्रम का समापन डॉ.अनुभा श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती निमिषा सोनकर, जे0आ0रो0 द्वारा किया गया।
जानें थैलेसीमिया रोग क्या है.
थैलेसीमिया रोग में हमारे शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है। जिससे रोगी में स्वस्थ्य रक्त कोशिकाये नहीं बन पाती जिसके कारण रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूर्ण परिवार के आर्थिक शारीरिक व मानसिक तनाव का कारण बन जाता है। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलता रहता है। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कणिका, रेड ब्लड सेल आरबीसी सही नहीं बन पाते हैं। और केवल अल्प काल तक ही रहते हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता है। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष जॉच कराकर आनेवाले पीढ़ी को थैलेसीमिया होने से रोक सकते हैं। थैलेसीमिया रोग को पूर्ण उपचार केवल बोन मैरो ट्रांस्पलाट द्वारा ही सम्भव है ।
आरएमएल में थैलेसीमिया प्रबंधन सुविधा जारी..
थैलेसीमिया प्रबन्धन के लिए संस्थान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा वित्त पोषित थैलेसीमिया डे केयर सेंटर जुलाई 2023 से क्रियान्वित है जो कि प्रदेश का पहला केन्द्र है। थैलेसीमिया रोगी के लिए ओपीडी, आयरन किलेशन एवं अन्य दवाओं के साथ बिना प्रतिस्थापित के निःशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाता है। मरीजों को उनकी ब्लड ट्रान्सफ्यूजन की तिथियों के बारे में पहले से ही सूचित कर दिया जाता है ताकि वे बिना किसी प्रतिक्षा समय के साथ ब्लड ट्रान्सफ्यूजन की सुविधा प्राप्त कर सके। थैलेसीमिया सोसाइटी लखनऊ ने बच्चों के लिए एक प्ले रुम डे केयर सेन्टर में स्थापित किया है। थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में 195 थैलेसीमिया रोगीयों को पंजीकृत किया जा चुका है और रोगी हर 15 से 30 दिनों में ब्लड ट्रांस्फ्यूजन कराते है। अब तक संस्थान के डे केयर सेन्टर में 2700 ब्लड ट्रांस्फ्यूजन हो चुके है।