उत्तर प्रदेशराष्ट्रीय

क्रिप्टोगैम्स पौधे पर्यावरणीय बदलाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील – डॉ. शासनी 

एनबीआरआई में अपुष्पी अनुसंधान राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में वैज्ञानिकों ने पौधों की विशेषताओं के बारे में जानकारी साझा की। बुधवार को राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से चल रहे तीन दिवसीय ‘अपुष्पी अनुसंधान में प्रगति एवं दृष्टिकोण’ राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन किया गया । इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के संयुक्त निदेशक डॉ. डीके श्रीवास्तव समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

वहीं प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने कहा कि क्रिप्टोगैम्स पौधे पर्यावरणीय बदलाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं एवं साथ ही पर्यावरण में इनके योगदान को देखते हुए इनके महत्त्व, शारीरिक क्रियाओं, औषधीय गुणों आदि पर अधिकाधिक ध्यान केन्द्रित किये जाने की आवश्यकता है। जिनका मानवता के हित में प्रयोग किया जा सके । साथ ही डॉ श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की सफलता की बधाई देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लाइकेन संग्रह उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के पादपालय में उपलब्ध है । उन्होंने विभिन्न विजेता प्रतिभागियों से आवाहन करते हुए कहा कि अपने अपने क्षेत्रों में और अधिक मेहनत करें ताकि इन अल्प ज्ञात पौधों के क्षेत्र में उच्च स्तर का शोध किया जा सके । इसी क्रम में अतिथियों ने सम्मेलन के दौरान आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता और मौखिक प्रस्तुतियों के विजेताओं को भी सम्मानित किया।

मुख्य व्याख्यान में असम विश्वविद्यालय, सिलचर की प्रो. जयश्री राउत ने ऑक्सीजन उत्पादन से लेकर जैव ईंधन तक में शामिल शैवाल के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि लाइकेन कवक के साथ पाया जाने वाला शैवाल ट्रेबौक्सिया जैविक रूप से महत्वपूर्ण विभिन्न यौगिकों का संभावित स्रोत है।

एक अन्य मुख्य व्याख्यान में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के प्रो. सुशील के शाही ने माइक्रोबियल तकनीक पर अपने शोध, पेटेंट और विभिन्न हर्बल फॉर्मूलेशन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि लाइकेन में अद्वितीय बायोमॉलीक्यूल्स होते हैं जिनमें रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर रोधी गतिविधियाँ पायी जाती हैं और इनका उपयोग मानव जाति के लाभ के लिए किया जा सकता हैं ।

सम्मेलन के आयोजन सचिव एवं सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. गौरव मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में आज विभिन्न सत्रों में क्रिप्टोगैमिक शोध के विभिन्न क्षेत्रों पर दो मुख्य व्याख्यान और विषय विशेषज्ञों द्वारा 11 आमंत्रित वार्ता आयोजित की गईं।

इस मौके पर एनबीआरआई के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ डीके उप्रेती, मुख्य वैज्ञानिक एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ. संजीवा नायका एवं अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button