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आरएमएल में लिवर,पोषण को ले हुआ सम्मेलन

देश भर से लगभग 300 प्रतिभागी रहे शामिल

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में पोषण को लेकर इस्पघनकॉन का सम्मेलन किया गया। रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अकादमिक ब्लॉक में आयोजित नेशनल मिड-टर्म आईएसपी घनकॉन सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन किया गया।

जिसमें भारतीय पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेपेटोलॉजी और न्यूट्रिशन सोसाइटी के संरक्षण में आयोजित सम्मेलन में देश भर से करीब 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिनमें प्रतिष्ठित पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, हेपेटोलॉजिस्ट, वयस्क गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन और नियोनेटोलॉजिस्ट शामिल रहे। सम्मेलन में विभिन्न

संस्थानों में आईएलबीएस नई दिल्ली, एसजीपीजीआई,केजीएमयू, एमजीएम हॉस्पिटल और रेनबो हॉस्पिटल चेन्नई, स्टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्नई, एसएसकेएम कोलकाता, आईएमएस एंड एसयूएम भुवनेश्वर, मैक्स नानावटी मुंबई, और इम्पीरियल हॉस्पिटल जयपुर के 85 विशिष्ट फैकल्टी सदस्यों ने अपने विशेषज्ञ विचारों और अनुभव से वैज्ञानिक सत्रों में साझा किया। वहीं डॉ. पीयूष उपाध्याय आयोजन सचिव ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा विशेषज्ञों का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात थी।

उनके सक्रिय योगदान और उत्साही सहभागिता ने इस सम्मेलन को एक शानदार शैक्षणिक सफलता में बदल दिया। उन्होंने कहा कि आज विविध चर्चाओ और सहयोग की भावना हमारे देश में पीडियाट्रिक लिवर स्वास्थ्य और पोषण सेवा को आगे बढ़ाने के हमारे साझा संकल्प को दर्शाती हैं। साथ ही

डॉ. दीप्ति अग्रवाल आयोजन अध्यक्ष और डॉ. संजीव कुमार वर्मा, सह-आयोजन सचिव ने भी सभी विशिष्ट फैकल्टी सदस्यों और प्रतिभागियों का सम्मेलन को सफल बनाने में दिए गए उत्साहपूर्ण योगदान के लिए विशेष आभार व्यक्त किया। इसी क्रम में

डॉ. उपाध्याय ने मुख्य अतिथि प्रो. सीएम सिंह, संस्थान निदेशक तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. सीमा आलम, अध्यक्ष इसपघ्न, का भी विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। प्रो. सीएम सिंह ने इस संस्थान की परिवर्तनकारी यात्रा, विशेषकर पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी डिवीजन के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थान हमारी उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि प्रदान की जाने वाली समग्र देखभाल की गुणवत्ता में भी झलकती है।

पिछले एक वर्ष में हमने 1000 से अधिक पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी, प्रतिदिन 100 से अधिक बच्चों की ओपीडी उपस्थिति और 1200 से अधिक जटिल पीडियाट्रिक लिवर और जठरांत्र मामलों को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया है। आज संस्थान न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि आस-पास के राज्यों के लिए भी एक प्रमुख रेफरल केंद्र बन गया है। इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करना हमारे नैदानिक उत्कृष्टता, अकादमिक कठोरता और अनुसंधान नवाचार के समन्वय के दृष्टिकोण के अनुकूल है।

इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “नवजात और शिशु कोलेस्टेसिस: नवीन प्रगति” पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र पर केंद्रित था। जिसमें प्रारंभिक निदान उपचार संबंधी दुविधाओं और दीर्घकालिक प्रबंधन रणनीतियों में नवीनतम प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया।

सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिक कार्यक्रम में मुख्य व्याख्यान, बहुविषयक पैनल चर्चाएं, जटिल नैदानिक मामलों की प्रस्तुति और एक व्यावहारिक “हैंड्स-ऑन एंडोस्कोपी” सत्र शामिल किया गया। सम्मेलन के माध्यम से प्रतिभागियों को विशेषज्ञ पर्यवेक्षण में पीडियाट्रिक एंडोस्कोपिक तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान किया। सम्मेलन का उदेश्य वरिष्ठ फैकल्टी और युवा चिकित्सकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने, विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने और भारत में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी में भविष्य के नवाचारों की नींव रखने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करने के लिए किया गया।

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