भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों से गुंजायमान हुआ मठ
रामकृष्ण मठ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जुटे भक्त

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मठ मंदिरों में भगवान का आवाहन किया गया। शनिवार को
निराला नगर रामकृष्ण मठ में ’श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर पूजा अर्चना भव्य रूप से की गयी। प्रातः कालीन शंखनाद के उपरांत मंगल आरती मठ के स्वामी इष्टकृपानन्द द्वारा भगवद् गीता से पाठ-भक्तियोग श्रीकृष्ण वंदना मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द के नेतृत्व में आयोजित की गयी।
वहीं स्वामी मुक्तिनाथानन्द द्वारा (ऑनलाइन) ‘‘श्री रामकृष्ण के श्रीकृष्ण भाव’’ विषय पर विशेष सत् प्रसंग किया। जिसमें उन्होंने बताया है कि श्री कृष्ण और श्री रामकृष्ण एक ही वास्तविकता के दो अलग-अलग प्रतिनिधित्व हैं। स्वामी ने भगवान श्री रामकृष्ण का वर्णन करते हुए बताया कि श्री रामकृष्ण को कृष्ण के दर्शन जब मधुर भाव की साधना का चरण महाभाव की ऊँचाई पर पहुँच गया।
श्री रामकृष्ण पूरी तरह से राधारानी के साथ पहचाने गए, तो उन्हें अंततः शुद्ध अस्तित्व, ज्ञान और आनंद के अवतार, श्रीकृष्ण के दर्शन का आशीर्वाद मिला। वे कृष्ण के चिंतन में पूरी तरह खो जाते थे और कभी-कभी स्वयं को कृष्ण मानते थे, तथा ब्रह्मा से लेकर घास के तिनके तक सभी प्राणियों को कृष्ण का रूप मानते थे।
श्री रामकृष्ण की सुबह की पूजा की शुरूआत स्वामी इष्टकृपानन्द द्वारा हुई तदोपरान्त
*प्रातः 9ः15 बजे त्रिवेणी नगर, लखनऊ की 10 साल की अदभुत बालिका अर्यमा शुक्ला जो सिटी मांटेसरी स्कूल, अलीगंज की छात्रा है, द्वारा श्रीमद् भगवदृ गीता का पाठ हुआ। जिसे सुनकर लोग दंग रह गये। खास बात यह है कि वह गीता पाठ, मंत्र और स्तोत्र बिना पुस्तक देखे ही सुनाती हैं।
अर्यमा को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनकी इस प्रतिभा देखकर उनको आपना आशीर्वाद भी दिया है। अर्यमा को संस्कृत के मंत्रों को सुनकर याद करने की अद्भुद क्षमता है।
उन्हें महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, श्री कनकधारा स्तोत्र, श्री विष्णु सहस्रनाम, श्री राम स्तुति, सरस्वती वंदना, ओम शिवोहम, शिव रक्षा स्तोत्र, शिव तांडव, श्री रामाष्टकम, कृष्णाष्टक पूरी तरह से याद हैं। वह इन मंत्रों और स्तोत्रों को उतनी ही मधुर आवाज में पढ़ती हैं जितनी आसानी से मधुराष्टकम, श्री गणेश पंचरत्नम, ’नवदुर्गा स्तोत्रम्, श्री हरि स्तोत्रम, अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्ः’ रुद्राष्टकम, शिवाष्टकम, निर्वाण शतक, शिव षडाक्षर स्तोत्रम् आदि का पाठ करती हैं।
गीता पाठ के पश्चात भोग निवेदन के पश्चात उपस्थित सभी भक्तगणों को प्रसाद वितरण किया गया।
सायंकाल में ठाकुरजी की संध्या आरती व भजन स्वामी इष्टकृपानन्द द्वारा किया गया। रामकृष्ण मठ के स्वामी कृष्णपदानन्द द्वारा जन्माष्टमी की विशेष पूजा प्रारम्भ हुई। तत्पश्चात समूह में श्यामनाम संकीर्तन स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में हुआ।
स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म पर श्रीमद् भागवतम् से पाठ किया गया। स्वामी ने कहा श्रीमद्भगवद्गीता (4ः9) में उल्लिखित है जो भगवान के अवतार का अलौकिक जन्म कथा तत्वतः जान लेंगे उसका पुनर्जन्म नहीं होगा।
इसलिए आज श्रीमद्भागवतम् के दशम् स्कन्द में श्री शुकदेव वर्णित श्रीकृष्ण के दिव्य जन्म की चर्चा हो रही है ताकि भक्तगण यह सुनकर पवित्र एवं मुक्त हो सके। उसके पश्चात गदाधर अभ्युदय प्रकल्प के बच्चों द्वारा मनमोहक भजन एवं श्रीकृष्ण लीला पर नृत्य की प्रस्तुति दी तथा उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया।



