नवजात स्वास्थ्य पर वर्चुअल मीटिंग
परिवार कल्याण महानिदेशकएवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे मौजूद

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में एक दिवसीय नवजात स्वास्थ्य पर एक दिवसीय वर्चुअल बैठक की गई। गुरुवार को
स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान तथा उत्तरप्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई(यूपीटीएसयू) इकाई के सहयोग से इको प्लेटफोर्म द्वारा नवजात स्वास्थ्य पर एक दिवसीय वर्च्युअल मेंटरिंग कार्यक्रम आयोजित हुआ।
जिसमें सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के माध्यम से न्यूबोर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) के स्टाफ का क्षमतावर्धन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. पवन कुमार ने की।
उन्होंने बताया कि जन्म के समय बीमारियों से पीड़ित बच्चों व समय पूर्व जन्मे बच्चों में जटिलताओं के प्रबंधन के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा एनबीएसयू स्थापित किये गये हैं। वर्तमान में प्रदेश में कुल 414 एनबीएसयू हैं। नवजात मृत्यु दर में कमी एवं जटिलताओं के प्रबंधन में इन एनबीएसयू की अहम भूमिका है।
वर्च्युअल मेंटरिंग कार्यक्रम एक पायलट है जो कि यूपीटीएसयू के सहयोग से पहले चरण में लखनऊ में शुरू किया गया है। बाद में अन्य जनपदों के एनबीएसयू स्टाफ का क्षमतावर्धन किया जायेगा।
हब एंड स्पोक मॉडल आधारित इस वर्चुअल मेंटरिंग में, वीरांगना अवन्तीबाई जिला महिला चिकित्सालय में स्थापित एसएनसीयू हब से जनपद के एनबीएसयू स्पोक के रूप में मेंटरिंग प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनबी सिंह ने कहा कि जनपद में सभी 19 शहरी एवं ग्रामीण सीएचसी पर एनबीएसयू स्थापित हैं। इस पायलट के पहले चरण में सात एनबीएसयू के 24 नर्सिंग ऑफिसर तथा नोडल अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
इससे पहले अक्टूबर माह में सभी एनबीएसयू के 70 स्टाफ अभिमुखीकरण किया गया था और सुचारू रूप से वह कर सकें इसके लिए सभी को टेबलेट वितरित किये गये थे। वर्चुअल मेंटरिंग कार्यक्रम एक साल तक चलेगा। जिसके तहत हर माह एक-एक घंटे के वर्चुयल मेंटरिंग कार्यक्रम का आयोजन तीन बुधवार को
बैचवार और चौथे बुधवार को सभी 70 स्टाफ को एक साथ प्रशिक्षण मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में दिया जायेगा। इस प्रशिक्षण से स्टाफ जन्म के समय नवजात की बीमारियों का प्रबन्धन अधिक कुशलताओं से कर पायेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इको एक वेब आधारित प्लेटफोर्म है जो केस आधारित शिक्षण और ज्ञान साझा करने के लिए विशेषज्ञों और प्रथमपंक्ति प्रदाताओं को जोड़ता है।
प्रतिभागियों को तकनीकी प्रशिक्षण देते हुए अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि नवजात में यदि खतरे के लक्षण दिखें तो जैसा कि मेंटरिंग में बताया जा रहा है। उसके अनुसार उन लक्षणों का प्रबंधन कर बच्चे को स्टेबिलाइज करें ।
उसके बाद ही एसएनसीयू में रेफर करें । माह के आखिरी बुधवार में जब सभी 70 स्टाफ का प्रशिक्षण होगा तब अपने-अपने एन एबीएसयू की केस स्टडी को उसमें प्रेजेंट करें ।
कार्यक्रम में अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ज्योति मल्होत्रा, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल डॉ. मंसूर हसन सिद्दीकी, यूपीटीएसयू के प्रतिनिधि तथा प्रतिभागी ऑनलाइन प्रतिभाग किया।



