मशीनों, स्कैन के बारे में नहीं,बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाना-डॉ. अर्चना गुप्ता
एसजीपीजीआई में रिकॉन 2025 का 37 वां वार्षिक सम्मेलन संपन्न

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई में रिकॉन 2025 राज्य रेडियोलॉजिस्ट 37 वां वार्षिक सम्मेलन संपन्न हुआ।
भारतीय रेडियोलॉजिकल एवं इमेजिंग एसोसिएशन (यूपी आईआरआईए) के उत्तर प्रदेश चैप्टर का 37वां वार्षिक राज्य सम्मेलन, रिकॉन 2025, 4-5 अक्टूबर को संस्थान में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
दो दिवसीय कार्यक्रम में राज्य भर से 400 से अधिक रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों ने भाग लिया। वहीं
यूपी आईआरआईए की अध्यक्ष और एसजीपीजीआईएमएस में रेडियोडायग्नोसिस प्रमुख डॉ. अर्चना गुप्ता और आयोजन सचिव डॉ. अनुराधा सिंह के नेतृत्व में सम्मेलन की शुरुआत की गयी।
जिसमें संस्थान निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमान निदेशक ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से सम्मेलन की शुरुआत की। उन्होंने शैक्षणिक प्रयासों के महत्व और राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय चिकित्सा सम्मेलनों में अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला।
रिकॉन 2025 का एक प्रमुख आकर्षण लाइव भ्रूण अल्ट्रासाउंड प्रदर्शन था। प्रमुख रेडियोलॉजिस्टों ने वास्तविक समय में गर्भवती माताओं का स्कैन किया। जिससे प्रतिभागियों को यह देखने का दुर्लभ अवसर मिला कि आधुनिक इमेजिंग कैसे विसंगतियों का शीघ्र पता लगाती है।
जिससे समय पर हस्तक्षेप संभव होता है, माताओं और शिशुओं दोनों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
साथ ही मस्कुलोस्केलेटल इमेजिंग सत्रों में चोटों, गठिया, अस्थि ट्यूमर और जोड़ों के विकारों का पता लगाने की नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे उन्नत इमेजिंग निदान और उपचार को बदल रही है, जिससे देखभाल पहले से कहीं अधिक सटीक और प्रभावी हो रही है।
भारत के शीर्ष विशेषज्ञों का समागम
रिकॉन 2025 में भारत भर के प्रतिष्ठित रेडियोलॉजिस्ट एकत्रित हुए। जिसमें डॉ. पीके श्रीवास्तव (लखनऊ), डॉ. टीएलएन प्रवीण (हैदराबाद), डॉ. विवेक कश्यप (नई दिल्ली), डॉ. शिल्पा सितारकर (औरंगाबाद), डॉ. कृष्ण गोपाल (गाजियाबाद) और डॉ. प्राची अवस्थी सिंघल (मोदीनगर) शामिल थे।
व्याख्यानों, केस चर्चाओं और इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्रों के माध्यम से, इन विशेषज्ञों ने ज्ञान, अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया।
रिकॉन 2025 ने तकनीक से आगे बढ़कर नैतिक चिकित्सा पद्धति और सामाजिक जागरूकता पर ज़ोर दिया। भ्रूण इमेजिंग को केवल एक चिकित्सा उपकरण के रूप में ही रेखांकित किया गया, लिंग निर्धारण के लिए नहीं, जो कि अवैध और अनैतिक दोनों है।
सभी प्रतिनिधियों ने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” पहल का समर्थन करते हुए सार्वजनिक रूप से शपथ ली और प्रत्येक बालिका के महत्व पर ज़ोर दिया।
सम्मेलन में नियमित प्रसवपूर्व जाँच, जन्मजात विकारों का शीघ्र पता लगाने और ज़िम्मेदार रेडियोलॉजी प्रक्रियाओं के महत्व पर भी जनता को शिक्षित किया गया, जिससे जन स्वास्थ्य के प्रतिनिधि के रूप में डॉक्टरों की भूमिका पर ज़ोर दिया गया।
व्यावहारिक प्रशिक्षण मार्गदर्शन और इंटरैक्टिव पैनल चर्चाओं ने युवा रेडियोलॉजिस्टों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया।जिससे उन्हें तकनीकी विशेषज्ञता, नैतिक निर्णय और सहानुभूति विकसित करने में मदद मिली,जो आज के स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए आवश्यक हैं। नेटवर्किंग के अवसरों ने डॉक्टरों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया। जिससे एक समग्र और दूरदर्शी शिक्षण अनुभव सुनिश्चित हुआ।
स्वस्थ समाज का विजन
डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा, “रिकॉन 2025 केवल मशीनों और स्कैन के बारे में नहीं था।”यह जीवन बचाने, महिलाओं को सशक्त बनाने और अगली पीढ़ी को शिक्षित करने के बारे में था। हमारा लक्ष्य यह दिखाना था कि मेडिकल इमेजिंग सिर्फ़ तकनीक नहीं है।यह समाज की भलाई के लिए एक ज़िम्मेदार उपकरण है।”
अत्याधुनिक चिकित्सा, व्यावहारिक शिक्षा, नैतिक मार्गदर्शन और सामाजिक प्रतिबद्धता के अपने मिश्रण के साथ, रिकॉन 2025 ने राज्य-स्तरीय चिकित्सा सम्मेलनों के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया। साथ ही एक स्वस्थ, अधिक सूचित और समतावादी समाज के निर्माण में रेडियोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रस्तुत किया गया।



