हमारा देश मोटापे और मधुमेह की वैश्विक राजधानी
एसजीपीजीआई में मना अंतर्राष्ट्रीय नैश दिवस

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। वैश्विक स्तर पर भारत में बढ़ते मोटापा और मधुमेह बीमारी के मामलों का हब बताया गया।
फैटी लिवर रोग आधुनिक युग की एक तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। फैटी लिवर रोग के गंभीर रूप को नैश यानी नॉन-अल्कोहलिक स्टेटो-हेपेटाइटिस के नाम से जाना जाता है। आम लोगों में फैटी लिवर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर हर साल जून के दूसरे गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय नैश दिवस मनाया जाता है।
शनिवार को एसजीपीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग ने अंतरराष्ट्रीय नैश दिवस मनाया। कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान निदेशक प्रो. आरके धीमान, चिकित्सा अधीक्षक डॉ हर्षवर्धन, हेपेटोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो.अमित गोयल, केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. सुमित रूंगटा और मेदांता अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अभय वर्मा ने किया।
वहीं फास्ट विशेषज्ञों ने सुझाव देते हुए बताया कि हमारे देश में हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर की बीमारी से प्रभावित है। मधुमेह और मोटापा फैटी लिवर की बीमारी के प्रमुख जोखिम कारक हैं। हमारा देश मोटापे और मधुमेह की वैश्विक राजधानी है। भविष्य में हमारे फैटी लिवर की बीमारी की वैश्विक राजधानी बनने की संभावना है।उन्होंने विशेष रूप से फैटी लिवर रोगों का जल्द पता लगाने पर जोर दिया ताकि सिरोसिस और लिवर कैंसर की प्रगति को रोका जा सके।
हेपेटोलॉजी के सहायक प्रो.सुरेंद्र सिंह और वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ रीता आनंद, शिल्पी त्रिपाठी एवं अर्चना सिन्हा द्वारा एक प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर राज्य भर के 150 से अधिक युवा आहार विशेषज्ञों ने फैटी लिवर रोग, विशेष रूप से एनएएसएच के प्रबंधन के लिए आहार सलाह पर व्यावहारिक युक्तियों के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं में प्रोफेसर हिमांशु रेड्डी (केजीएमयू), प्रोफेसर अभय वर्मा (मेदांता अस्पताल लखनऊ), प्रोफेसर एलके भारती और अन्य शामिल थे। उन्होंने (नाश)और मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लीवर डिजीज (एमएएसएलडी) को उलटने में स्वस्थ भोजन और उपयुक्त शैली के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम का आयोजन टेलीमेडिसिन लेक्चर थियेटर में किया गया था और इसमें प्रतिभागियों के लिए एक प्रश्नोत्तरी और व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल था। प्रीति पांडे, मृदुल विभा, कल्पना सिंह और अन्य सहित विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के संकाय सदस्यों ने अपने विचार और चर्चाएँ साझा कीं।
इस समारोह का उद्देश्य नाश के बारे में जागरूकता, रोकथाम और प्रबंधन को बढ़ावा देना था। जिसमें इस स्थिति को उलटने में स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
जागरूकता फैलाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के माध्यम से, विभाग भारत में यकृत रोगों के बढ़ते बोझ को दूर करना चाहता है। इस बात पर जोर दिया गया कि एक साथ काम करके, हम लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं और व्यक्तियों और समुदायों पर नाश के प्रभाव को कम कर सकते हैं।