गौशालाओं में चारा, भूसा पानी औषधि प्रकाश की व्यवस्था करें सुनिश्चित – धर्मपाल सिंह
15 नवीन गोसंरक्षण केन्द्रों का किया लोकार्पण

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। प्रत्येक केंद्रों में 400 गोवंशो को संरक्षित करने की क्षमता वाले केंद्रों का लोकार्पण किया गया। बुधवार को पशुपालन निदेशालय में आयोजित कार्यक्रम में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने वर्चुअल 15 नवीन गो संरक्षण केंद्रों का लोकार्पण किया।
उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने पशुपालन निदेशालय में आयोजित एक कार्यक्रम में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश के 12 जनपदों के 15 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों का वर्चुवल लोकार्पण किया। इसके तहत जनपद ललितपुर में 03, बिजनौर में 02 तथा जनपद हरदोई, आगरा, श्रावस्ती, बिजनौर, संभल, बरेली, जौनपुर, लखीमपुरखीरी, बहराइच एवं महोबा में 01-01 वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों का शत-प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इन 15 गो संरक्षण केन्द्रों की कुल निर्माण लागत रुपए 2401.80 लाख है। प्रत्येक केंद्र में लगभग 400 गोवंश को संरक्षित किया जा सकता है।
इस अवसर पर धर्मपाल सिंह ने सम्बंधित जनपदों के क्षेत्रीय विधायकों, ग्रामप्रधानों, जिलाधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी तथा केयरटेकरों से भी गोवंश के रखरखाव और सहयोग पर बात की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि गो संरक्षण कार्यों में स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए और गौसंरक्षण केंद्रों के निर्माण कार्य में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाए।
निराश्रित गोवंश के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। गोशालाओं में गाय भूखी न रहे, चारा, भूसा, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था हो। गर्मी एवं लू से बचाव के पूरे इंतजाम किए जाए। वर्षा ऋतु एवं संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण एवं आवश्यक व्यवस्थाएं की जाए।
प्रदेश सरकार द्वारा अब तक 560 वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्वीकृति प्रदान की गई है जिसके सापेक्ष 387 केंद्रों का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा 375 केन्द्र क्रियाशील किए जा चुके है। संरक्षित गोवंशो के भरण-पोषण हेतु शत-प्रतिशत अनुदान राशि का भुगतान डीबीटी द्वारा मार्च, 2025 तक किया जा चुका है। गो-संरक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं आर्थिक उन्नति के अनेक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि सड़कों तथा राजमार्गों के समीपस्थ ग्रामों में पशुपालकों के गोवंशों के रात्रि के समय सड़क पर आ जाने की स्थिति में मार्ग दुर्घटना की आशंका बना रहती है। पशुओं के गले में रेडियम पट्टी लगाये जाने हेतु तीव्र गति से कार्य किया जाए।
कार्यक्रम के उपरांत श्री सिंह ने पशुधन एवं दुग्ध विकास के कार्यों की समीक्षा की। उन्होने कहा कि पशुधन की समृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन बढ़ाए जाने के लिए नस्ल सुधार एवं कृत्रिम गर्भाधान जैसे कार्यक्रमों की निरंतरता एवं सफलता आवश्यक है। उन्होंने बर्ड फ्लू के संबंध में भी पोल्ट्री एवं कुक्कुट के बचाव हेतु आवश्यक सर्तकता एवं निगरानी बरतने के भी निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि गोवंशों के भरण-पोषण हेतु भूसा संग्रहण अभियान चलाकर 2662198 कु० (छब्बीस लाख बासठ हजार एक सौ अठ्ठान्वे कुन्तल) भूसा संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक दान द्वारा 796134 कु० (सात लाख छियान्वे हजार एक सौ चौतीस कुन्तल) तथा क्रय द्वारा 4768233 कु० (सेतीस लाख अरसठ हजार दौ सौ तैतीस कुन्तल) भूसा संग्रह किया जा चुका है। लक्ष्य के सापेक्ष 62.7 प्रतिशत पूर्ति की गयी है। गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश को नियमित रूप से हरा चारा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से प्रदेश में उपलब्ध 61118.85 हे० गोचर, चारागाह भूमि में से 10635.13 हे० गोचर, चारागाह भूमि को गो आश्रय स्थलों से सम्बद्ध किया गया है। अभी तक 4513.20 हे. भूमि पर हरे चारे की बुआई की चुकी है।
वर्तमान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 6719 अस्थायी गो आश्रय स्थल, 375 वृहद गो संरक्षण केन्द्र, 306 कांजी हाऊस एवं शहरी क्षेत्र में 295 कान्हा गो आश्रय स्थल सहित कुल 7695 गो आश्रय स्थलों में 1246764 निराश्रित गोवंश संरक्षित है। मा० मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 112008 इच्छुक लाभार्थियों को 173891 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किये गये हैं। प्रदेश सरकार द्वारा सहभागिता योजनान्तर्गत सुपुर्द गोवंशों तथा गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों के भरण-पोषण पर प्रतिदिन लगभग धनराशि रू0-07.00 करोड़ व्यय कर रही है।
कार्यक्रम में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेन्द्र पांडे, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक वैभव श्रीवास्तव, पशुपालन विभाग के निदेशक (प्रशासन एवं विकास) डॉ. जयकेश पाण्डे ,निदेशक,(रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) डॉ योगेंद्र सिंह पवार,संयुक्त निदेशक डॉ पीके सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।