उत्तर प्रदेशजीवनशैली

लड़कियां देश में ही नहीं,दुनिया भर में नाम किया रोशन – डॉ.एनबी सिंह 

पीसीपीएनडीटी एक्ट पर कार्यशाला,डॉक्टरों ने दिए सुझाव 

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में डॉक्टरों ने लड़का लड़की के मतभेद को दूर करने के लिए जानकारी साझा की। शनिवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में “गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक पीसीपीएनडीटी एक्ट विषय पर मुख्य क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की गयी। जिसमें लखनऊ सहित हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर, उन्नाव, अयोध्या, अमेठी, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर, बरेली, पीलीभीत और अयोध्या के नोडल अधिकारी और जिला समन्वयक शामिल रहे। वहीं कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करता हुए कहा कि 21वीं सदी चल रही है, आज भी लोग लड़कियों अधिक लड़कों से ज्यादा अपेक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि लड़कों के साथ जो भ्रांतियां जुड़ी हैं कि लड़के वंश को आगे बढ़ाते हैं और चिता को मुखाग्नि देते हैं जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। डॉ. सिंह ने कहा कि जबकि लड़कियां लड़कों से कम नहीं है। अरुणिमा सिन्हा चावला, बबिता फोगाट आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने देश में ही नहीं विदेश में भी नाम रोशन किया है । लोग भ्रांतियों के चलत गर्भ में ही लड़कियों के लिंग की पहचान कर उनको मार देत थे कई नारद हिम, क्लिनिक और चिकित्सक गैर कानूनी तौर पर लिप्त थे । इन गैर कानूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), लागू किया है । मुखबिर योजना चलाई है तथा तथा गर्भ समापन संशोधन अधिनियम(एमटीपी एक्ट), लागू किया गया है । उन्होंने कहा कि लड़का लड़की बराबर हैं समुदाय में इसका प्रचार प्रसार व्यापक तौर से करना जरूरी है। तभी समुदाय की मानसिकता में बदलाव आएगा । उन्होंने कहा कि इसी क्रम में मुखबिर योजना चलाई जा रही है जिसके तहत लिंग चयन,भ्रूण हत्या,अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों,संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार प्रोत्साहन राशि देती है । इस योजना के तहत सहायता करने पर गर्भवती को एक लाख रुपए, मुखबिर को 60,000 रुपए तथा  सहायक को 40,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है । सभी का नाम और पहचान गोपनीय रखा जाता है । हम सभी की जिम्मेदारी है कि इसका अधिक से अधिक प्रचार करें जिससे कि लोग इस योजना में मदद के लिए आगे आएं । सरकार के प्रयासों से लिंगानुपात में कमी आई है लेकिन और इस पर और काम करने की जरूरत है । उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से कहा कि एक्ट संबंधी नियम और कानूनों की जानकारी अपने अपने जिलों में चिकित्सकों, अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट को दें। जिससे कि यह अधिनियम प्रभावी रूप से लागू हो सके। इसको लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. केडी मिश्रा ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम तथा इससे जुड़े अन्य अधिनियमों की विस्तार से जानकार दी और बताया कि अधिनियम के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि वेबसाइट www.pyaribitia.com है जिस पर अल्ट्रासाउंड करने वाले चिकित्सक और करवाने वाले लाभार्थी का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है जिसके माध्यम से पता चलता है कि अल्ट्रासाउंड क्यों करवाया जा रहा है ।लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों,नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है। लिंग जांच करके बताने वाले को पांच साल की सजा या एक लाख का जुर्माना है और जो व्यक्ति भ्रूण लिंग जांच करवाता है उस को पांच साल की सजा या 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया किnवेटिंग एरिया में पीसीपीएनडीटी एक्ट की एक प्रतिलिपि जरूर रखें और आने वाले लोगों को इसको पढ़ने के लिए अवश्य दें जिससे कि उन्हें एक्ट की जानकारी हो।डायग्नोस्टिक सेंटर पर अल्ट्रा साउंड करने वाले चिकित्सक, नाम, पंजीकरण संख्या और केंद्र पर उसकी उपस्थिति के समय की जानकारी स्पष्ट भाषा में चस्पा करना अनिवार्य है । उन्होंने एमटीपी एक्ट की जानकारी विस्तार से दी ।कार्यशाला में संस्था एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव (आली) की कार्यकारी निदेशक रेनू मिश्रा ने पीपीटी के माध्यम से अधिनियम संबंधी कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीएन यादव, डॉ. गोपीलाल, डॉ.एमएच सिद्दीकी, डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव, डॉ. अमिताभ श्रीवास्तव, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एपी सिंह, डॉ. निशांत निर्वाण, डॉ.ज्योति कामले, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी समेत अन्य अस्पतालों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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