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मिट्टी हमारी संपत्ति नहीं विरासत – सद्गुरु 

मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने को लोगों को चेताया

 

लखनऊ ,भारत प्रकाश न्यूज़। खेती किसानी में प्रयोग होने वाले रासायनिक कैमिकल से मिट्टी के सूक्ष्म जीव विलुप्त हो रहें हैं। जिससे खेती किसानी कैमिकल पर निर्भर हो गई। जिसका प्रभाव बीमारियों के बढ़ते ग्राफ से लगाया जा सकता है। वहीं मिट्टी को बचाने के लिए सद्गुरु देश दुनिया में सन्देश देकर लोगों को जगाने का कार्य कर रहें हैं।

जिसमें सद्गुरु कॉप 29 के चौथे दिन, मिट्टी बचाओ अभियान और सद्गुरु ने कई प्रमुख नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया। जिनमें मिस्टर अज़ीज़ अब्दुहकीमोव उज़्बेकिस्तान गणराज्य के पर्यावरण, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन मंत्री, मिस्टर येरलान निसानबायेव कज़ाकिस्तान गणराज्य के पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधन मंत्री और, मिस्टर साइमन स्टीयेल, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कार्यकारी सचिव शामिल थे। साथ ही सद्गुरु ने कई जगह बातचीत की।

उन्होंने फोर्ब्स को फोन पर साक्षात्कार दिया और दो महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात की मिस्टर एरिक सोलहेम जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक रहे हैं ,और शी योंग्जिन जो चीन के शाओलिन मंदिर के मुख्य पुरोहित हैं। पुरोहित ने सद्गुरु को बोधिधर्म की अनूठी कलाकृति भेंट की। बोधिधर्म, जिन्होंने दक्षिण भारत से चीन तक मार्शल आर्ट्स को पहुंचाया और जिन्हें कुंग फू का जनक माना जाता है। पुरोहित ने सद्गुरु को शाओलिन मंदिर के पास एक गुफा देखने का निमंत्रण भी दिया।

कहा जाता है कि बोधिधर्म ने इसी गुफा में नौ साल तक ध्यान किया था। इसी क्रम में सद्गुरु ने मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए ,खेती की मिट्टी को बचाने के लिए, इसके जैविक तत्वों को बढ़ाने के महत्व पर और मिट्टी से जैविक तत्वों को खत्म होने से रोकने वाली नीतियों की जरूरत पर बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी हमारी संपत्ति नहीं है, बल्कि एक विरासत है। जिसे हमें आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़कर जाना है। सद्गुरु ने ये भी समझाया कि इकोोनॉमी को इकोलॉजी के साथ विरोध में नहीं होना चाहिए और इकोलॉजी संबंधी समाधानों से आर्थिक लाभ होना चाहिए, तभी वो लंबे समय तक कारगर होकर सफलता अर्जित कर सकेंगे।

Source – social media..

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