प्रदेश में 10 से 20 प्रतिशत शिशुओं की समय से पहले जन्म- डॉ शालिनी त्रिपाठी
नवजात शिशुओं की जन्म से देखभाल जरुरी

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। नवजात शिशुओं के जन्म के बाद देखरेख करना बेहद जरुरी है।
समय से पहले जन्मे (प्री-टर्म) नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद से ही विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। ज़रा-सी असावधानी उनकी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। शनिवार को
केजीएमयू की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी त्रिपाठी बताया कि प्रदेश में लगभग 10 से 20 प्रतिशत शिशु समय से पहले जन्म लेते हैं। 37 हफ्ते से पहले जन्मे बच्चे प्री-टर्म कहलाते हैं।
वहीं, 2500 ग्राम से कम वजन के बच्चों को कम वजन (लो बर्थ वेट) और 1800 ग्राम से कम वजन वाले शिशुओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि 1800 ग्राम से कम वजन वाले बच्चों की अस्पताल में तो देखभाल हो जाती है, लेकिन घर लौटने के बाद लापरवाही अक्सर भारी पड़ जाती है।
अस्पताल से मिली सलाह का पालन न करने के कारण ऐसे लगभग 50 प्रतिशत नवजातों की मृत्यु घर जाने के बाद हो जाती है।
डॉ. शालिनी ने बताया कि पहले जो ‘सौर’ की परंपरा थी, वह बेहद सही थी
एक साफ-सुथरे कमरे में मां और बच्चे को एक महीने तक आराम दिया जाता था, बाहर वालों की आवाजाही सीमित रहती थी। इससे बच्चा सुरक्षित रहता था और मां को पर्याप्त आराम मिलता था। लेकिन अब हर कोई कमरे में आता-जाता है, जिससे संक्रमण और अन्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
कम वजन वाले बच्चों की सावधानियों में..
1800 ग्राम से कम वजन वाले बच्चों के अभिभावकों के लिए आवश्यक सावधानियाँ में नवजात को अनावश्यक रूप से कोई भी न छुए
, बाहर से आने पर हाथ साबुन से धोएँ या सैनिटाइज़र का उपयोग करें,जब तक बच्चे का वजन 2500 ग्राम न हो जाए, उसे बाहर न ले जाए,बच्चे को न नहलाएँ; साफ सूती कपड़े से पोंछें,ठंड से बचाएँ, खुली हवा या भीड़भाड़ में न ले जाएँ,
केवल और केवल स्तनपान कराएँ,यदि सीधे स्तनपान न हो पाए, तो माँ का दूध निकालकर कटोरी-चम्मच से पिलाएँ कटोरी-चम्मच को 15 मिनट तक उबालकर सुखाएँ और फिर उपयोग करें। इसके अलावा बच्चे को मालिश न करें इससे संक्रमण और तापमान में गिरावट का खतरा बढ़ता है।
डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी जांचें समय पर कराएँ,कोई भी दवा स्वयं न दें; फॉलो-अप पर अवश्य जाएँ
कंगारू मदर केयर (KMC) प्री-टर्म शिशुओं के लिए जीवनरक्षक उपाय
डॉ. शालिनी का कहना है कि ऐसे बच्चों में ठंड लगना या हाइपोथर्मिया का खतरा अधिक रहता है। इसलिए मां, पिता या परिवार का कोई सदस्य KMC अवश्य दे।
जानें KMC के बारे में..
KMC में बच्चे को सीने से सटा कर त्वचा से त्वचा के संपर्क में रखा जाता है। इससे बच्चे का तापमान नियंत्रित रहता है,वजन जल्दी बढ़ता है,संक्रमण का जोखिम कम होता है।
महत्वपूर्ण जांचें फॉलो-अप अनिवार्य डॉ. शालिनी के अनुसार प्री-टर्म और कम वजन वाले बच्चों के लिए नियमित फॉलो-अप अत्यंत जरूरी है।
इसके साथ ही रेटिना (ROP) की जांच,श्रवण शक्ति (Hearing Screening) कराना भी अनिवार्य है, ताकि भविष्य में किसी गंभीर समस्या से बचा जा सके।



