इकोनॉमी बढ़ाने में खनन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका – योगी आदित्यनाथ
भूतत्व एवं खनिज कर्म विभाग के साथ की, उच्च स्तरीय की बैठक

संवाददाता – गंगेश पाठक
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में भूतत्व एवं खनिजकर्म विभाग के साथ उच्च स्तरीय बैठक की गई। रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास 5-कालिदास मार्ग पर भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में खनन क्षेत्र की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अब केवल खनिज उत्पादन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य की आर्थिक प्रगति, निवेश संवर्धन और स्थानीय रोजगार का प्रभावशाली केंद्र बन चुका है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2021-22 से 2024-25 के दौरान खनिज राजस्व में औसतन 18.14% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में ₹608.11 करोड़ और 2025-26 के केवल मई माह तक ही ₹623 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो चुका है, जो विभाग की निरंतर प्रगति और दक्षता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि हाल के वर्षों में फॉस्फोराइट, लौह अयस्क और स्वर्ण जैसे खनिजों के पट्टों की सफल नीलामी की गई है। उन्होंने निर्देश दिए कि कम्पोजिट लाइसेंस प्रक्रिया को और तेज किया जाए तथा संभावित खनन क्षेत्रों की अग्रिम पहचान व भू-वैज्ञानिक रिपोर्टों की समयबद्ध तैयारी सुनिश्चित हो। उन्होंने यह भी कहा कि स्पष्ट, पारदर्शी और प्रोत्साहक नीतियों के चलते जेएसडब्ल्यू, अडानी ग्रुप, टाटा स्टील और अल्ट्राटेक जैसी अग्रणी कंपनियां प्रदेश में निवेश को लेकर गहरी रुचि दिखा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य को स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) की ‘कैटेगरी-A’ में लाने हेतु विभागीय प्रयासों की सराहना करते हुए शेष सुधारों को समयसीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि सभी खनन जिलों में 100% माइन सर्विलांस सिस्टम लागू किया जा चुका है और पर्यावरणीय मंजूरियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर प्रभावी रोक के लिए मुख्यमंत्री ने ट्रांसपोर्टरों के साथ समन्वय बनाकर एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नदी के कैचमेंट क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी और यदि ऐसी गतिविधियाँ सामने आती हैं, तो संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि अब तक 57 तकनीकी चेकगेट स्थापित हो चुके हैं, 21,477 वाहन ब्लैकलिस्ट किए गए हैं और व्हाइट टैगिंग, कलर कोडिंग, व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसी आधुनिक प्रणालियाँ प्रभावी रूप से लागू हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि केवल मानक GPS युक्त वाहन ही खनिज परिवहन हेतु अधिकृत किए जाएं और उन्हें VTS से रीयल टाइम ट्रैक किया जाए।
ड्रोन सर्वेक्षण और PGRS प्रणाली के सहयोग से अब तक 99 संभावित खनन क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें से 23 खनन के योग्य पाए गए हैं। मानसून उपरांत 52 क्षेत्रों में बालू/मौरंग भंडार का मूल्यांकन किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि संचालित पट्टों की निगरानी और वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के ज़रिये वैज्ञानिक मूल्यांकन की प्रक्रिया को और गति दी जाए।
बैठक में यह भी बताया गया कि ईंट भट्ठा क्षेत्र से वर्ष 2024-25 में ₹258.61 करोड़ तथा 2025-26 में अब तक ₹70.80 करोड़ का राजस्व अर्जित किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस क्षेत्र को भी तकनीकी रूप से सशक्त करते हुए सभी ईंट भट्ठा संचालकों से संवाद कर नवाचारों से जोड़ा जाए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि मानसून काल में ही उपखनिज पट्टों की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाए ताकि 15 अक्टूबर से खनन संचालन सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही, जिला खनन निधि (DMF) के प्रभावी उपयोग पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका प्रयोग आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना, खेल मैदानों के विकास, स्वास्थ्य, कौशल प्रशिक्षण और जल-संरक्षण जैसे लोकहितकारी कार्यों में प्राथमिकता से किया जाए।