उत्तर प्रदेशजीवनशैली

योग केवल व्यायाम नहीं बल्कि मन,शरीर के बीच बढ़ाता संतुलन 

एसजीपीजीआई में योग विषय पर कार्यशाला 

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि शरीर के बीच संतुलन बनाने रखने में बढ़ावा देता है। रविवार को एसजीपीजीआई में आगामी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून के उपलक्ष में आयोजित कार्यशाला के दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जानकारी साझा की ।

यह आयोजन अस्पताल प्रशासन विभाग द्वारा जनरल हॉस्पिटल, एसजीपीजीआईएमएस के सहयोग से एसएस अग्रवाल ऑडिटोरियम में किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. आर. हर्षवर्धन, चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रमुख, अस्पताल प्रशासन विभाग के स्वागत भाषण से की गयी। उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और उपस्थितजनों का स्वागत करते हुए कहा कि योग हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके में सामंजस्य लाता है।

उन्होंने संस्थान के “योग और जीवन में संतुलन” मिशन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “योग जीवनशैली रोगों की रोकथाम और पूरक चिकित्सा के रूप में आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में अत्यंत प्रासंगिक है। साथ ही प्रो. देवेंद्र गुप्ता मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने “योग एक जीवनशैली है, केवल व्यायाम नहीं” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि योग केवल एक अभ्यास नहीं बल्कि एक जीने का तरीका है, जो समग्र स्वास्थ्य और दीर्घकालिक आनंद की ओर ले जाता है।

वहीं संस्थान निदेशक प्रो. आरके धीमान ने “योग और दैनिक जीवन सक्रिय और सजग रहने का मार्ग” विषय पर प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने बताया कि योग केवल चटाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें हर पल में वर्तमान रहने की शिक्षा देता है- चाहे हम चल रहे हों, खा रहे हों, काम कर रहे हों या आराम कर रहे हों। इसी क्रम में

विशेष अतिथि के रूप में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ, जनरल हॉस्पिटल ने भाग लिया।

सभी वक्ताओं को प्रो. आर. हर्षवर्धन द्वारा “सेलिब्रेटिंग लाइफ: 6 स्टेप्स टू कम्पलीट दा ब्लॉसोमिंग ऑफ़ योर कंस्यूशियसनेस” (लेखक: ऋषि नित्यप्रज्ञ) पुस्तक के रूप में एक अर्थपूर्ण स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

डॉ. रोहित उनियाल (ईशा फाउंडेशन) ने आत्मचिंतन, संतुलन और आंतरिक परिवर्तन की यात्रा पर सभी को प्रेरित किया। उन्होंने “इनर इंजीनियरिंग जैसी विधाओं को समझाते हुए बताया कि योग जीवन को सरल और संतुलित बनाता है।

इसके बाद डॉ. वीके पालीवाल, प्रोफेसर, न्यूरोलॉजी विभाग ने “साँस से मस्तिष्क तकः प्राणायाम कैसे तंत्रिका तंत्र को शांत करता है” विषय पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि नियंत्रित श्वास प्रक्रिया सीधे हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम, विशेष रूप से पैरासिंपैथेटिक शाखा को प्रभावित करती है, जो विश्रांति और उपचार से जुड़ी होती है। इसके पश्चात डॉ. हर्षित खरे, असिस्टेंट प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी विभाग ने “हृदय स्वास्थ्य में योग की भूमिका” विषय पर बात की।

उन्होंने बताया कि नियमित आसनों से रक्त संचार, लचीलापन और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार होता है। जबकि प्राणायाम और ध्यान तनाव और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

डॉ. अम्बिका टंडन, असिस्टेंट प्रोफेसर, एंडोक्रिनोलॉजी विभाग ने “मधुमेह और मोटापे के प्रबंधन में योग की भूमिका” पर प्रकाश डाला। योग मनोवैज्ञानिक कारकों जैसे तनाव, भावनात्मक भोजन और निष्क्रिय जीवनशैली को नियंत्रित करने में सहायक होता है। कार्यशाला के

अंत में डॉ. श्वेता उपाध्याय और अंजलि सेठ के नेतृत्व में आर्ट ऑफ लिविंग टीम ने सत्र का एक शांत, स्फूर्तिदायक समापन किया। उन्होंने बताया कि जब मन शांत होता है, शरीर स्वस्थ होता है, और आत्मा प्रसन्न होती है-तब व्यक्ति समाज में शांति और करुणा का संचार करता है।

सत्र का समापन डॉ. शालिनी त्रिवेदी, अकादमिक वरिष्ठ रेज़िडेंट, पीडीसीसी इंचार्ज (रोगी सुरक्षा एवं संक्रमण नियंत्रण) के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं, ईशा फाउंडेशन और आर्ट ऑफ लिविंग की टीमों, आयोजकों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।कार्यशाला के दौरान 150 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जिनमें नर्सिंग ऑफिसर, वरिष्ठ नर्सिंग स्टाफ, योग प्रशिक्षक, एनजीओ सदस्य, स्वास्थ्यकर्मी, और मेडिकल टेक्नोलॉजी एवं नर्सिंग कॉलेज के छात्र शामिल थे।

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