उत्तर प्रदेशजीवनशैली

संचारी अभियान को सफल बनाने के लिए की कार्यशाला

कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की प्रगति पर समीक्षा बैठक

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। संचारी रोग व कलाजार उन्मूलन के लिए बैठक की गयी। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मिशन निदेशक की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक की गई। जिसमें प्रदेश में विशेष संचारी अभियान को सफल बनाने कि रणनीति और कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। इस मौके पर राज्य स्तरीय अधिकारी, 18 जिलों के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी और सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक के दौरान मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने कालाजार उन्मूलन के लिए की जा रही विभिन्न रणनीतियों, प्रगति रिपोर्ट एवं आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि कालाजार उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे सर्वेक्षण, स्क्रीनिंग और उपचार की गति को तेज किया जाए तथा उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाए। मिशन निदेशक ने कहा कि कालाजार उन्मूलन के लिए सामुदायिक भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में प्रभावी जन-जागरूकता अभियान चलाने, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप करने, तथा मल्टी-सेक्टरल सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। निदेशक संचारी डॉ.मधु गैरोला ने बताया कि इस अभियान में संचारी रोग जैसे डेंगू, मलेरिया, दिमागी बुखार आदि के साथ ही टीबी, कुष्ठ, कालाजार एवं फाइलेरिया के लक्षणयुक्त मरीजों को भी चिन्हित करने पर जोर रहेगा। अभियान के अंतर्गत ही 10 से 30 अप्रैल तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा। जिसमें आशा व आगंनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों का आभा आईडी बनाने, डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया आदि संचारी रोगों के प्रति जागरूक करेंगी। उन्होंने सभी अधिकारियों को संचारी रोग नियंत्रण अभियान में समर्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि कालाजार को प्रदेश से पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। अपर निदेशक मलेरिया और राज्य कार्यक्रम अधिकारी कालाजार और फाइलेरिया डॉ. एके चौधरी ने कालाजार उन्मूलन के लिए अपनाई जा रही वर्तमान रणनीतियों, दवा वितरण व्यवस्था, और बीमारी की निगरानी से संबंधित आंकड़ों को प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशक छिड़काव, रोगियों की त्वरित पहचान और उनके उपचार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी रूप से लागू करना तथा इसे सफल बनाने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा के साथ साथ आगामी दस्तक अभियान में समस्त संदिग्ध रोगियों की पहचान करने तथा आईआरएस गतिविधि को और अधिक गुणवत्तापरक रूप से संपादित करने के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार करना था। कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी विशेषज्ञों ने कालाजार रोग, लक्षण, प्रसार इलाज, रोकथाम रिपोर्टिग और अभिलेखीकरण के बारे में विस्तार से प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जिला मलेरिया अधिकारीयों विस्तार से समझाया और उनके प्रशनों के जवाब भी दिए। इसके साथ ही सामुदायिक स्तर पर कार्यक्रम को मजबूत करने वाली संचार और जागरूकता गतिविधियों के बारे में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजिस तथा प्रोजेक्ट कंसर्न इन्तेर्नेश्नल के प्रतिनिधियों ने बताया।

उत्तर प्रदेश में कालाजार कि स्थिति..

उत्तर प्रदेश 2019 से उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किये हुए है यानि किसी भी ब्लाक में 10 लाख की आबादी में एक से ज्यादा केस नहीं हैं |वर्तमान में उत्तरप्रदेश के 18 जिलों के 65 ब्लॉक में कालाजार से प्रभावित है,जिनमे मात्र 6 कैसेज में एक केस को दोबारा कालाजार हुआ है।

 प्रभावित जिले..

आजमगढ़, बलिया, बलरामपुर, बुलंदशहर, कुशीनगर, देवरिया, गाजीपुर, वाराणसी, भदोही, गोरखपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर, मउ, गोंडा, बहराईच, महराजगंज, लखनऊ, खीरी उन्मूलन कि रणनीति- प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित इलाको में आईआरएस गतिविधि करवाना, त्वरित जाँच और इलाज और समुदाय में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ाना

जाने क्या है कालाजार..

कालाजार (विसीरल लेइशमानासिस) एक गंभीर परजीवी संक्रमण है, जो लेइशमानिआ दोनोवानी नामक परजीवी के कारण होता है। यह मुख्य रूप से बालू मक्खी (सैंड फ्लाई) के काटने से फैलता है। कालाजार एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है। समय पर पहचान और सही इलाज से इसे रोका जा सकता है। जागरूकता और बचाव ही इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। लक्षण -कालाजार धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके लक्षण इस प्रकार होते हैं। लंबे समय तक बुखार (2 सप्ताह से अधिक)वजन में तेज़ी से कमी,तिल्ली और यकृत (लिवर) का बढ़ जाना,त्वचा का काला पड़ना (कुछ मामलों में),रक्त की कमी (एनीमिया),थकान और कमजोरी भूख न लगना,त्वचा और मसूड़ों से रक्तस्राव (कभी-कभी)

कालाजार से बचाव व सावधानियां..

बालू मक्खी के काटने से बचाव,पूरी बाजू के कपड़े पहनें,कीटनाशक और मच्छरदानी का उपयोग करें। घर और आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें। बालू मक्खियों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें। रोगी का जल्दी इलाज कराना,संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाए गए दवाओं का उपयोग करें। रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा ली जा सकती है।

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button