उत्तर प्रदेशजीवनशैली

पीजीआई में थायराइड विषय पर कार्यशाला

 नवजात शिशु की हाइपोथायरायडिज्म जांच की अनिवार्यता पर दिया जोर

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। विश्व थायराइड दिवस पर डॉक्टरों ने नवजात शिशु की हाइपोथायरायडिज्म जांच जरुरी करने पर जोर दिया। शनिवार को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग ने नर्सिंग कॉलेज के सहयोग से विश्व थायराइड दिवस के उपलक्ष्य में कार्यशाला आयोजित की गयी। जिसे एडवांस्ड डायबिटीज सेंटर के नर्सिंग कॉलेज ऑडिटोरियम में स्वास्थ्य पेशेवरों और छात्रों के बीच थायराइड विकारों के बारे में जागरूक किया गया। वहीं

कार्यक्रम की शुरुआत एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष बी यादव के स्वागत उद्बोधन से की गयी। उन्होंने प्रतिनिधियों का अभिवादन कर समुदाय में थायराइड स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित किया।साथ ही एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के संकाय डॉ. शिवेंद्र वर्मा और डॉ. बिभूति द्वारा किया गया।

कार्यशाला में डॉक्टरों के सुझाव..

डॉ. आयुषी सिंघल ने हाइपर थायरायडिज्म की जटिलताओं को संबोधित किया व नवीनतम निदान दृष्टिकोण और उपचार विकल्पों पर चर्चा की।

डॉ. प्रशांत ने हाइपोथायरायडिज्म पर एक जानकारीपूर्ण सत्र दिया, जिसमें इसके कारणों, लक्षणों और प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

डॉ. निरुपमा ने गर्भवती महिलाओं में थायराइड विकारों के उपचार पर बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया। जिसमें मातृ और भ्रूण स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया गया।

डॉ. संगीता ने जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के लिए नवजात शिशु की जांच की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला और इसकी प्रारंभिक पहचान और समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्थान निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन छुट्टी पर होने के बावजूद इस उद्देश्य के लिए अपने समर्पण और समर्थन प्रदान करते हुए कार्यक्रम में शामिल हुए। डीन डॉ. शालीन कुमार ने इस पहल को प्रोत्साहन दिया। नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. राधा के का विशेष उल्लेख कर नर्सिंग विद्यार्थियो को कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया और कॉलेज परिसर में कार्यक्रम के आयोजन में भी मदद की।

कार्यक्रम में नर्सिंग छात्रों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। कार्यक्रम ने थायराइड स्वास्थ्य के बारे में अधिक समझ और जागरूकता को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया गया। जिससे स्वास्थ्य सेवा शिक्षा और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को बल मिला।

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