पीजीआई में फंडामेंटल लैबोरेट्री टेक्निक्स एंड प्रैक्टिसेस विषय पर कार्यशाला
28 फरवरी तक चलेगी कार्यशाला, देशभर से 20 प्रतिभागी होंगे शामिल

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई में फंडामेंटल लैबोरेट्री टेक्निक्स एंड प्रैक्टिसेस विषय पर कार्यशाला की शुरुआत की गई। सोमवार को संस्थान के वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा “डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी फंडामेंटल लैबोरेटरी टेक्निक्स एंड प्रैक्टिसेस” विषय पर हैंड्स-ऑन राष्ट्रीय कार्यशाला की शुरआत की गयी जो 28 फरवरी तक चलेगी । इस कार्यशाला में देश भर से 20 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं और जिन्हें 10 राज्यों से चयनित किया गया है। जिसमें प्रतिभागियों में वायरोलॉजिस्ट और अनुसंधान वैज्ञानिक शामिल हैं, जो कोविड-19, इन्फ्लूएंजा और वायरल हैमरेजिक फीवर जैसी वायरल बीमारियों के प्रकोप की स्थिति में डायग्नोस्टिक परीक्षण करने में संलग्न हैं। वीआरडीएल प्रयोगशाला, माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बीते वर्ष 1 अगस्त से कार्य करना प्रारंभ किया और तब से यह लखनऊ तथा आसपास के क्षेत्रों की बड़ी आबादी को सेवाएं प्रदान कर रही है। वहीं इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. अमिता अग्रवाल प्रमुख, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी द्वारा किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. अमिता जैन (डीन, केजीएमयू और प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी उपस्थित रहीं। इस मौके पर डॉ. सीपी चतुर्वेदी फैकल्टी इंचार्ज, रिसर्च सेल, प्रो. रुंगमेई एसके मराक आयोजन अध्यक्ष एवं प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी, डॉ. अतुल गर्ग आयोजन सचिव, माइक्रोबायोलॉजी विभाग एवं डॉ. चिन्मय साहू सह-आयोजन सचिव, माइक्रोबायोलॉजी विभाग मौजूद रहे। कार्यशाला में पहले दिन सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिष्ठित माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ने अपने व्याख्यान दिए। प्रो. अमिता जैन ने वायरल हैमरेजिक फीवर, इसके कारक एजेंट्स और समय पर निदान न होने की स्थिति में इसके वैश्विक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वीएचएफ के विभिन्न डायग्नोस्टिक तरीकों पर भी प्रकाश डाला। प्रो. ज्योत्सना अग्रवाल कार्यकारी रजिस्ट्रार आरएमएल एवं प्रमुख, माइक्रोबायोलॉजी ने उभरते हुए संक्रमणों जैसे मेटाप्नूमोवायरस, मंकीपॉक्स और “डिजीज एक्स ” के बारे में जानकारी दी और बताया कि यदि हम पहले से तैयार नहीं हुए तो इसका मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसी क्रम में आईसीयू विशेषज्ञ प्रो. मोहन गुर्जर सीसीएम ने आईसीयू रोगियों में साइटोमेगालोवायरस संक्रमण और इसके पुनः सक्रिय होने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने आईसीयू रोगियों के उपचार में सुधार लाने वाली विभिन्न तकनीकों पर भी चर्चा की। डॉ. प्रेरणा कपूर (मेडिकल स्पेशलिस्ट ने वायरल संक्रमणों के समग्र निदान दृष्टिकोण और उनके कारण होने वाली गंभीर बीमारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने दो या अधिक बीमारियों के सह-अस्तित्व और मलेरिया एवं टाइफाइड जैसी आम बीमारियों की बदलती प्रस्तुति पर चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने टीकाकरण से संबंधित नवीनतम जानकारियों को भी साझा किया। प्रो. विमल के. पालीवाल (न्यूरोलॉजी विभाग ने तीव्र वायरल एन्सेफलाइटिस के लक्षणों, निदान और प्रबंधन पर जानकारी दी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में पाए गए एन्सेफलाइटिस के विभिन्न मामलों और इसके प्रकोपों पर चर्चा की। पांच दिवसीय इस शैक्षणिक आयोजन में प्रतिभागियों को सेल लाइन इनोकुलेशन और उसकी व्याख्या, न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रैक्शन तकनीक, पारंपरिक एवं मल्टीप्लेक्स पीसीआर विधियां, सीएमवी और बीके वायरस का परीक्षण एवं मात्रात्मक विश्लेषण, और बायोफायर एवं क़िसतात स्वचालित प्रणाली द्वारा सिंड्रोमिक पैनल परीक्षण की व्यावहारिक ट्रेनिंग दी जाएगी। यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। प्रतिभागियों का चयन उन संस्थानों से किया गया है जो आईसीएमआर , नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी नेटवर्क का हिस्सा हैं और जहां यह वायरोलॉजिकल परीक्षण करने की आवश्यक सुविधाएं एवं बुनियादी ढांचा मौजूद है। इस कार्यशाला को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता दोनों प्रदान किए जाएं, ताकि प्रतिभागी अपने संस्थानों में इन तकनीकों को आत्मविश्वास के साथ लागू कर सकें। यह राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम संस्थान की चिकित्सा अनुसंधान और डायग्नोस्टिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया।