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पुराने ढर्रे पर चल रहा आयुर्वेद एवं यूनानी सिस्टम, आखिर कब होगा सुधार..?

प्रदेश में क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारियों की कमी, 16 जिले पदों से अभी भी खाली 

 

प्रदेश की आबादी बढ़ी, लोकसभा, विधासभा सदस्य बढे, नहीं बढ़ सके क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद एवं यूनानी सिस्टम अभी भी पुराने ढर्रे पर चलने को मजबूर है। जिसमें प्रदेश स्तर पर 75 जिला तो बना दिए गए लेकिन अभी भी 16 जिलों में क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। ऐसे में आम जनमानस को चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ आखिर कैसे संभव हो पायेगा। वहीं ग्रामीण स्तर पर आज भी लोग आयुर्वेद पर अधिक भरोसा भी करते हैं।भारत आयुर्वेद का जन्मदाता होने से चलते आज भी लोगों का विश्वास आयुर्वेद पर अधिक टिका हुआ है। वहीं भारत 76 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। आजादी के 78 वर्ष पूरे होने को है और उत्तर प्रदेश का आयुर्वेद स्वास्थ्य महकमा पुराने तौर तरीके से ऊपर अभी नहीं उठ सका है।

प्रदेश में क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी 59 के भरोसे आयुर्वेद स्वास्थ्य सिस्टम..

प्रदेश में अभी भी जिलों में आयुर्वेद यूनानी अधिकारी कार्यालय स्थापित नहीं किया जा सका है। जिसमें एक जिले से दूसरे जिलों का कार्यभार क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी संभाल रहें हैं। अगर जिले की बात करें तो पूरे जिले में एक आयुर्वेद यूनानी क्षेत्राधिकारी की नियुक्ति करने का शासनादेश है। वहीं लखनऊ की जनसंख्या की बात की जाए तो लगभग 55 लाख का अनुमान लगाया जाता है। जिसमें वर्तमान में 9विधानसभा सीटें हैं। उसमें 9 विधायकों का चुनाव होता है। वहीं क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी की बात की जाए तो इसके लिए 1990-91 की सेवा नियमावली बनाई गयी। उस दौरान 59 जिला हुआ करते थे और आयुर्वेद यूनानी अधिकारी के 59 पद सृजित किए गए थे। इसी नियमावली के तहत विभिन्न जिलों में नियुक्ति दी गयी। अब 2025 चल रहा है और देश आजादी का अमृत काल भी मना चुका है और उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 75 जिले हैं। जिसमें जनसंख्या बढ़ी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, एलौपैथिक डॉक्टर, मरीज बढे,विधायक , सांसद, जिलाधिकारी, जिला पंचायत, स्कूल, प्रधान,सीडीओ, बीडीओ, एडीओ, एसडीएम,तहसीलदार बढे लेकिन लेकिन जिलों में आयुर्वेद यूनानी अधिकारी नहीं बढ़ाये जा सके। इन व्यवस्थाओ को बढ़ाने में अभी भी शासन प्रशासन सुधारने तत्परता नहीं देखी जा सकी है । वहीं 2011 जन गणना के अनुसार प्रदेश की आबादी 19,9812,341 थी अब 25 करोड़ से अधिक अनुमान लगाया जा रहा है। यही कोरोना काल में अधिकांश लोगों का भरोसा आयुर्वेद की तरफ बढ़ता देखा भी गया है और बढ़ता जा रहा है । इसके लिए अभी तक शासन भी बेखबर है कि आखिर बीमारी को हराने के लिए जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ आखिर कैसे संभव होगा। वहीं अभी तक इसके लिए आयुष विभाग द्वारा कोई संसोधन प्रक्रिया नहीं अपनाई गयी। ज्ञात हो कि प्रदेश की नियमावली के अनुसार प्रत्येक जिले में एक यूनानी क्षेत्राधिकारी पद सृजित है। लेकिन शासन प्रशासन की ढूलमुल कार्यशैली से आज भी तरीके से कार्य किया जा रहा है। जिससे आयुर्वेद यूनानी स्वास्थ्य सिस्टम में आखिर कैसे सुधार हो सकता है। जब सभी पदों पर अधिकारी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं होगी तो सुधार की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। वहीं लखनऊ राजधानी की बात करें तो 40 आयुर्वेद अस्पताल हैं और 6 यूनानी अस्पताल और 53 होमियोपैथ व एक आयुर्वेद कॉलेज है। जिसमें कल्ली पश्चिम में 50 बेड का आयुर्वेद अस्पताल स्थापित हैं। वहीं आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ अध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र का कहना है कि अभी प्रदेश 16 ऐसे जिलों में क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी कार्यालय स्थापित नहीं किया गया है। जिसमें दो -दो जिलों की जिम्मेदारी के चलते चिकित्सा अधिकारी कार्य कर रहें हैं।

क्या कहती है क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी सेवा नियमावली.. 

हर एक आयुर्वेद अस्पताल में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक वार्ड बॉय, एक स्विपर को लेकर चार पद सृजित किए गए हैं। इन अस्पतालो की बात करें तो लगभग आधे से अधिक पद खाली चल रहें हैं। जिस तरह से खाली चल रहें पदों के कारण सुधार की उम्मीद करना मतलब सच्चाई पर पर्दा डालने जैसा ही साबित होता है। वहीं आयुष विभाग द्वारा बजट बढ़ाने के बजाय कम करने पर ज्यादा जोर देने में लगा हुआ है। अभी हाल ही में 5 आयुर्वेद अस्पतालों को एनएबीएच का दर्जा हासिल हुआ है। जिसमें कानपुर रोड का चन्द्रावल, गुडांबा आयुर्वेद अस्पताल, गोसाईगंज आयुर्वेद अस्पताल, रायबरेली रोड दखिला शेखपुर, सीतापुर रोड आयुर्वेद अस्पताल एचडब्ल्यूएस को दिया गया। ज्ञात हो कि एनएबीएच की श्रेणी में वे अस्पताल आते हैं। जिसमें पोलूशन, बायोवेस्ट, मरीजों का बैठने की व्यवस्था, सीनियर सिटीजन चार्ट, वाटर, इलेक्ट्रिटिक सिटी, लाइट, बैकअप, दवाओं का सही तरीके से रखरखाव, औषधि भण्डारण यह सब सही पाए जाने पर अस्पताल को सर्टिफिकेट दिया जाता है।

प्रदेश के 75 जिलों में अभी 16 ऐसे जिले हैं जहां पर क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी कार्यालय स्थापित नहीं हुआ है। शासन स्तर पर फ़ाइल चल रही है। आयुर्वेद यूनानी चिकित्साधिकारी संवर्ग की यही मांग है कि सभी जिलों में आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय स्थापित हो। जिससे दूसरे जिलों का प्रभार कम होने से आयुर्वेद यूनानी चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर सुधार हो सके और आम जनमानस को त्वरित सुविधाएं मिलती रहें।

डॉ. धर्मेंद्र सिंह

आयुर्वेद एवं यूनानी प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ अध्यक्ष उत्तर प्रदेश

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