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परिवहन विभाग प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा माध्यम – योगी आदित्यनाथ

 बस ट्रैकिंग ऐप ’यूपी मार्गदर्शी’ व सरल परिवहन हेल्पलाइन ’149’ का शुभारम्भ

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। परिवहन विभाग प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा माध्यम है। देश में भी किसी राज्य में सर्वाधिक 14,000 बसों के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम सफलतापूर्वक अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।

शनिवार को यह बातें इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में परिवहन विभाग तथा उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की विभिन्न सेवाओं का शुभारम्भ एवं योजनाओं का लोकार्पण तथा शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री उप्र योगी आदित्यनाथ ने कही।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की विशाल आबादी के लिए सुविधाएं देने की अपनी चुनौतियां भी हैं। ट्रांसपोर्ट की अधिक सेवाएं और विभाग के कार्यां का विस्तार किया जाना आज की आवश्यकता है। कोई भी व्यक्ति, समाज, गांव, शहर, जिला, राज्य अथवा देश अगर समय की गति से पिछड़ जाता है, तो हमेशा के लिए पिछड़ जाता है।

जो समय की गति से दो कदम आगे चलने की सामर्थ्य रखता है, वही प्रगति के पथ पर आगे बढ़कर विजयश्री प्राप्त करता है।

1.5 लाख जन सेवा केंद्रों के माध्यम से परिवहन सेवाओं का शुभारम्भ..

मुख्यमंत्री ने 1.5 लाख जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से परिवहन सेवाओं का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने पीपीपी मॉडल के अंतर्गत 07 बस स्टेशनों और अनुदान आधारित 25 बस स्टेशनों,कार्यशालाओं का डिजिटल लोकार्पण,शिलान्यास किया।

उन्होंने एक्रीडिटेड ड्राइविंग ट्रेनिंग सेन्टर, रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी, नवीनतम ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन के निवेशकों एवं जनसुविधा केन्द्र परिवहन सेवा उपलब्ध कराने वाले सीएससी के प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला परिचालकों को नियुक्ति पत्र का वितरण किया।

बस ट्रैकिंग एप लांच..

मुख्यमंत्री ने डिजिटल बस ट्रैकिंग ऐप ’यूपी मार्गदर्शी’ तथा सरल परिवहन हेल्पलाइन ’149’ का शुभारम्भ, इन्टरनेशनल ड्राइविंग परमिट की नई बुकलेट तथा स्मारिका का विमोचन किया। उन्होंने डबल डेकर इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक एवं सीएनजी बस सहित नई 400 बीएस-6 बसों एवं परिवहन विभाग के 70 इंटरसेप्टर वाहनों को झण्डी दिखाकर रवाना किया।

मुख्यमंत्री के समक्ष आईआईटी खड़गपुर तथा परिवहन विभाग के मध्य एवं परिवहन विभाग और सीएससी के मध्य एमओयू का आदान-प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश परिवहन अधिकारी कल्याण संघ के पदाधिकारियों तथा पीपीपी मोड पर चयनित बस अड्डों के विकासकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का सम्मान किया। इस अवसर पर प्रयागराज महाकुम्भ-2025 तथा परिवहन निगम की विभिन्न उपलब्धियों पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री ने इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के विभिन्न ऑडिटोरियम के नवीनीकरण,उच्चीकरण कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।

इसमें ज्यूपिटर हॉल के नवीनीकरण,उच्चीकरण कार्यों का लोकार्पण तथा मार्स एवं मरकरी ऑडिटोरियम के नवीनीकरण,उच्चीकरण कार्यां का शिलान्यास शामिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विजयश्री और प्रगति की यात्रा में हम भी विकसित भारत की परिकल्पना के सारथी बनें। विकसित भारत की दृष्टि से परिवहन विभाग को अगले 03 साल, 10 साल और 22 साल में प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों और योजनाओं का निर्माण करना होगा। विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विकसित उत्तर प्रदेश बनाना आवश्यक है।

विकसित उत्तर प्रदेश के लिए परिवहन विभाग की शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म प्लानिंग के तहत अपनी सेवाओं को और बेहतर करना होगा।

यदि थोड़ा सा प्रयास किया जाए, तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में जो भी संभावनाएं हैंं, उन्हें हम आसानी से अचीव भी कर सकते हैं। इसके लिए विभागीय कार्यों में जवाबदेही तय करने, जन सुनवाई को तेजी के साथ आगे बढ़ाने एवं टीम वर्क को और सशक्त करना पड़ेगा। फिर परिणाम आने में देर नहीं लगेगी। विभिन्न अवसरों पर परिवहन विभाग ने यह करके भी दिखाया है। आज परिवहन विभाग की अनेक सेवाओं की शुरूआत की जा रही है।

इनकी नियमित समीक्षा तथा मॉनिटरिंग और इनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हमें सदैव तैयार रहना होगा।

वर्ष 2019 में प्रयागराज कुम्भ तथा वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान परिवहन विभाग ने सराहनीय कार्य किए। कोरोना महामारी के दौरान जब 01 करोड़ कामगार और श्रमिकों ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों से अपने गांवों के लिए प्रस्थान किया था, तब परिवहन विभाग की बसों ने उन्हें अपने गन्तव्यों तक पहुंचाया था। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, प. बंगाल, ओडिशा, असम आदि राज्यों से जुड़े हुए कामगार और श्रमिक शामिल थे। इनमें उत्तर प्रदेश के लोग सर्वाधिक थे।

हमने उत्तर प्रदेश वासियों को उनके गांवों और उत्तर प्रदेश के बाहर के कामगार और श्रमिकों को प्रदेश की सीमा तक पहुंचाया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोगों को वहां की सरकार की मांग पर देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार तथा अन्य स्थलों तक पहुंचाने में योगदान दिया था। इसी प्रकार मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कुछ स्थानों पर परिवहन विभाग के चालकों एवं परिचालकों ने सफलतापूर्वक लोगों को पहुंचाने में अपना योगदान दिया था।

हाल ही में इस वर्ष के प्रारम्भ में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयोजन प्रयागराज महाकुम्भ सम्पन्न हुआ। 66 करोड़ से अधिक लोग 45 दिन के आयोजन में सम्मिलित हुए। सर्वाधिक लोग बसां से तथा अपने-अपने वाहनों से आ रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ के दौरान परिवहन निगम लगातार अपनी सेवाएं दे रहा था। रेलवे स्टेशन पर अचानक भीड़ होने पर लोगां को प्रयागराज से बाहर पहुंचाने के लिए परिवहन निगम का बेड़ा हमेशा सतर्क रहते हुए कार्य करता था। इसीलिए परिवहन विभाग को प्रदेश में संकट का साथी कहा गया है। जब कोई आवश्यकता पड़ती है, उस समय आवश्यकता के अनुरूप अपनी सेवाएं देने के लिए परिवहन विभाग तत्पर दिखाई देता है।

राज्य सरकार ने समय-समय पर परिवहन निगम के पुनर्विकास तथा पुनरुद्धार कार्यों के लिए सहायता भी की है। आज उन्हीं सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए हैं, जिसमें जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से परिवहन सेवाओं को उपलब्ध कराने के कार्य का शुभारम्भ हुआ है।

आज हम यहां एक अच्छे माहौल में इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के ज्यूपिटर हॉल में बैठे हैं। इसका पुनर्विकास अपने आप में एक मॉडल है। ज्यूपिटर हॉल को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने फिर से रेनोवेट किया है। इसके माध्यम से विगत 04 वर्षों में 32 करोड़ रुपये से अधिक की आय लखनऊ विकास प्राधिकरण को हुई है। आज लखनऊ विकास प्राधिकरण ने परिवहन विभाग के कार्यक्रम के लिए ज्यूपिटर हॉल उपलब्ध कराया है।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की राजधानी में सर्वाधिक सार्वजनिक कार्यक्रमों के केन्द्र बिन्दु इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के ज्यूपिटर, मार्स और मरकरी के साथ ही अन्य सभागारों के पुनर्विकास तथा सौन्दर्यीकरण की योजना के लिए बधाई देते हुए कहा कि यहां पहला कार्यक्रम परिवहन विभाग का आयोजित हो रहा है।

इसी प्रकार परिवहन विभाग के बस स्टेशन भी सुंदर और व्यवस्थित बनने चाहिए, जिससे वह आमजन को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। इस दृष्टि से आज का यह कार्यक्रम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हमारे बस स्टेशन वर्ल्ड क्लास हो सकते हैं। इसके लिए प्रयास करना होगा। यह सभागार इस बात का उदाहरण है कि इसके पुनर्विकास की भांति बस स्टेशनों का भी कायाकल्प हो सकता है। हमें जवाबदेही तय करनी पड़ेगी।

हमें बस स्टेशन को उस रूप में विकसित करना होगा। इससे विभाग की आय भी बढ़ेगी, जिससे लोगों को सुविधाएं भी बढ़ा सकते हैं। हमारे पास धन की कमी नहीं है। हमें समय की गति और लोगों की मांग के अनुसार चलना होगा।

मुख्यमंत्री ने लोकार्पित, शिलान्यास तथा शुभारम्भ की जा रही परियोजनाओं के लिए परिवहन विभाग को बधाई देते हुए कहा कि हाल ही में रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर बहनों को तीन दिनों तक लगातार निःशुल्क बस सेवा परिवहन निगम ने उपलब्ध करवाई। यह बहुत शानदार कार्य था। इससे लोगों में विभाग के प्रति और विश्वास बनता है।

परिवहन विभाग और सीएससी माध्यम से एमओयू..

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज परिवहन विभाग और सीएससी के मध्य एमओयू हुआ है। अब कॉमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से आम जन को परिवहन विभाग की सेवाओं की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। आईआईटी खड़गपुर और परिवहन विभाग के बीच एमओयू किया गया है।

जिससे विभाग में तकनीक का उपयोग करते हुए सड़क सुरक्षा के मानकों को नेशनल एवरेज से अच्छा करने में सफलता मिलेगी। इन्टरनेशनल ड्राइविंग परमिट की नई बुकलेट का भी विमोचन और सरल परिवहन हेल्पलाइन ‘149’ भी जारी हुई है। यह हेल्पलाइन एक सामान्य पैसेंजर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। परिवहन विभाग द्वारा डिजिटल बस ट्रैकिंग ऐप तथा हेल्पलाइन एक सामान्य नागरिक को विभिन्न सुविधाओं से जोड़ेगा।

आज पीपीपी मोड के अंतर्गत प्रदेश में बनने जा रहे बस स्टेशनों का शिलान्यास भी किया गया है। इनकी लागत 82 करोड़ रुपये है। अब तक हमने 23 बस स्टेशनों को पीपीपी मोड पर विकसित किए जाने का अनुमोदन कैबिनेट से दिया है। इनमें से 07 का शिलान्यास हो रहा है। शेष 16 भी जल्दी तैयार होने चाहिए।

इसी प्रकार हमें हर जनपद में यह कार्य करने हैं। इस दृष्टि से 54 ऐसे अन्य बस स्टेशनों पर भी पीपीपी मोड पर वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना है। यहां एक ही छत के नीचे बस स्टेशन, रेस्टोरेन्ट, यात्री, चालक एवं परिचालकों के लिए फैसिलिटेशन सेन्टर होंगे। यहां होटल आदि की सुविधा भी होनी चाहिए। एडीटीसी के चार नवीन केन्द्रों, आरबीएसएफ के चार केन्द्रों तथा चार नवीन ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेन्टर के निवेशकों को भी प्रमाण पत्र वितरित किए गए हैं।

जनसेवा केन्द्रों के माध्यम से परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने के विषय में भी यहां पर प्रमाण पत्र दिए गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत तीन महिलाओं को नियुक्ति पत्र भी यहां वितरित किया गया है। इनके साथ ही, आज कुछ क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक बस सेवा भी प्रारम्भ हो रही है। यह ध्यान रखना होगा कि हम अभी और अच्छा कर सकते हैं।

सड़क सुरक्षा हमारे सामने एक चुनौती बनी है। सड़क पर चलने वाले एक-एक व्यक्ति की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। इसके प्रति आमजन को जागरूक करना और सतर्क बनाना आवश्यक है। कोरोना कालखण्ड के तीन वर्षों में हमने वैश्विक महामारी के दौरान जितने लोगों को नहीं खोया, उससे ज्यादा लोग हम हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में खोते हैं। इनमें नौजवानों की संख्या अधिक होती हैं। अनेक परिवार समाप्त हो जाते हैं।

यह समाज के लिए एक चुनौती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई नाबालिग, अनट्रेण्ड व्यक्ति टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, फोर-व्हीलर या बसों और ट्रक न चलाए। हमें इस व्यवस्था को आगे बढ़ाना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर समन्वय एवं व्यापक जनजागरूकता से हम सड़क दुर्घटनाओं को चरणबद्ध रूप से न्यूनतम स्तर पर लाने में सफल हो सकते हैं। अगर आपके कार्यों से किसी की जान बचती है, तो परिवहन निगम के बारे में लोगों के मन में एक सुरक्षित यात्रा की अवधारणा बनेगी।

हमारा प्रयास होना चाहिए कि सभी ड्राइवरों का नियमित रूप से मेडिकल और फिजिकल फिटनेस होता रहे। हर तीन महीने में कैम्प लगाकर उनके मेडिकल फिटनेस के कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए। किसी को भी दूसरों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती है। सड़क सुरक्षा के बारे में व्यापक जन जागरूकता में आईआईटी खड़गपुर अच्छा योगदान दे सकता है।

हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग करें। उत्तर प्रदेश पुलिस तथा परिवहन विभाग के अधिकारी आपस में सहयोग करें। पीडब्ल्यूडी, नगर विकास और अन्य विभागों में भी बेहतर समन्वय हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सड़क दुर्घटना के कारणों की खोज करनी होगी। संस्थाओं को भी अपने साथ सहभागी बनाना होगा। ट्रैफिक के नियमों के बारे में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा से जुड़े संस्थानों तथा स्कूलों में व्यापक जनजागरूकता का कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने मीडिया से प्रचार प्रसार पर दिया जोर..

हेलमेट कैसे लोगों की जान बचा सकता है, शराब पीकर या नशे में बस चलाना कितना खतरनाक हो सकता है, ओवरस्पीडिंग कैसे जानलेवा हो सकती है, सीट बेल्ट कैसे हमारे लिए सुरक्षित हो सकती है, यदि इन सबके बारे में हम विजुअल मीडिया, डिजिटल, प्रिंट मीडिया या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करें, तो बहुत से लोगों की जान बचा सकते हैं।

ड्राइविंग ट्रेनिंग सेन्टर को जवाबदेही के साथ संचालित करना होगा। लोगों की जिम्मेदारी तय करनी होगी। यह सभी कार्य परिवहन विभाग की छवि को और बेहतर करने में एक निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेंगे। अक्सर कानून का पालन करना लोगों को बुरा लगता है, यही कानून अंततः उनकी सुरक्षा और संरक्षण का आधार बनता है।

पेट्रोल पम्प संचालकों ने वर्तमान में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान चलाया है। सच्चाई यह है कि यह व्यवस्था पेट्रोल पम्प संचालकों के हित में नहीं है, बल्कि यह लोगों के हित में है। हमें इन मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना होगा। हर व्यक्ति को इस अभियान का हिस्सा बनाना होगा। गांव, शहर, नौजवान, बुजुर्ग, महिला, पुरुष सभी जब इस अभियान से जुड़ेंगे, तब हम सड़क सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। हमें इसके लिए अपने आप को तैयार करना होगा। यह सम्भव है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस दिशा में अच्छे कार्य किए हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़क पर उतरना होगा और लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में बताना पड़ेगा। बस टैक्सी, थ्री व्हीलर आदि के लिए पार्किंग स्पेस तय करना होगा। सड़क वाहन खड़ा करने के लिए नहीं है। ट्रक, टैंकर आदि सड़क के किनारे खड़े न हो, बल्कि अपनी निर्धारित जगह पर ही खड़े हों।

यह परिवहन विभाग की जिम्मेदारी बनती है। परिवहन विभाग के अधिकारी पेट्रोलिंग बढ़ाएं और इन चीजों को दुरुस्त करें। सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करके हम सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम स्तर पर ला सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देशवासियों को नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य दिया हैं। हमें कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करना है। इलेक्ट्रिक व्हीकल इसका एक बेहतर माध्यम है। परिवहन विभाग और नगर विकास विभाग इस दिशा में अच्छे कार्य कर सकते हैं। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।

यदि परिवहन और नगर विकास विभाग प्रयास करें, तो अकेले उत्तर प्रदेश में 03 लाख नई नौकरियां सृजित की जा सकती हैं। नई बसें खरीद करके गांव-गांव तथा शहर से शहर की कनेक्टिविटी को बेहतर करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बेहतरीन सुविधा भी दे सकते हैं। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। परिवहन विभाग भी बसें चलाएं और निजी क्षेत्र को भी परमिट प्रदान करे।

इसी प्रकार नगर विकास विभाग भी बसें चलाएं और निजी क्षेत्र को भी उसमें परमिट करें। लोगों को अच्छी सेवाएं दें। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आगे बढ़नी चाहिए। जिससे अनेक नौजवानों को कार्य मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक बस सेवा के प्रति लोगों में एक नया उत्साह है। इससे पर्यावरण की रक्षा भी होती है, साथ ही, बेहतरीन यात्रा का आनंद भी लोग ले पाते हैं। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना पड़ेगा। इसके लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पड़ेंगे। इस कार्य में निजी वेन्डर आ सकते हैं। परिवहन विभाग को थोड़ा प्रयास आगे बढ़ाना होगा। आउटडेटेड सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग करनी चाहिए। भारत सरकार इसका लाभ दे रही है।

निजी वाहनों को स्क्रैप किए जाने पर हम रोड टैक्स में छूट दे रहे हैं। इससे पर्यावरण की सुरक्षा भी हो रही है और रोड टैक्स का लाभ भी मिल रहा है।

परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में परिवहन विभाग ने नई ऊंचाईया प्राप्त की हैं। उत्तर प्रदेश देश में प्रथम राज्य है, जिसने डेढ़ लाख सीएससी से परिवहन विभाग की विभिन्न सेवाओं को जोड़ा है। प्रदेश में 1,540 नए रूट निर्धारित किए गए हैं, जिससे विभाग की सेवाओं का लाभ प्रदेशवासियों को मिल सकेगा।

इस अवसर पर लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक जयदेवी, मुकेश शर्मा, रामचन्द्र प्रधान, योगेश शुक्ल तथा अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव परिवहन अमित गुप्ता, परिवहन आयुक्त बीएन सिंह, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबन्ध निदेशक मासूम अली सरवर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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