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थैलेसीमिया अनुवांशिक रक्त विकार -डॉ. निशांत

थैलेसीमिया ग्रसित महिला को गर्भधारण करना मुश्किल

कल है अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। थैलेसीमिया बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना भी जरुरी है। यह हर साल 8 मई यानि कल अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी केजीएमयू के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निशांत वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि

थैलेसीमिया एक स्थायी आनुवांशिक रक्त विकार है। जिसमें लाल रक्त कणों में हीमोग्लोबिन नहीं बनता है और शरीर में एनीमिया यानि खून की कमी हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी हीमोग्लोबिन की कोशिकाओं को बनाने वाले जीन में म्यूटेशन के कारण होती है। हीमोग्लोबिन आयरन व ग्लोबिन प्रोटीन से मिलकर बनता है। ग्लोबिन दो तरह का अल्फ़ा व बीटा ग्लोबिन।

थैलीसीमिया के रोगियों में ग्लोबीन प्रोटीन या तो बहुत कम बनता है या नहीं बनता है। जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और शरीर को आक्सीजन नहीं मिल पाती है व व्यक्ति को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है। तीन से चार फीसद माता-पिता इसके वाहक हैं और देश में हर साल लगभग 50 हजार बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। हर साल 10,000 से 15,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ जन्म लेते हैं।

डा. निशांत बताते हैं कि थैलेसीमिया तीन प्रकार का होता है – मेजर, माइनर और इंटरमीडिएट। मेजर थैलेसीमिया में संक्रमित बच्चे के माता और पिता दोनों के जींस में थैलेसीमिया होता है। वहीं माइनर में माता-पिता दोनों में से किसी एक के जींस में और इंटरमीडिएट थैलीसीमिया में मेजर व माइनर थैलीसीमिया दोनों के ही लक्षण दिखते हैं। सामान्यतया लाल रक्त कोशिकाओं की आयु 120 दिनों की होती है लेकिन इस बीमारी के कारण आयु घटकर 20 दिन रह जाती है।

जिसका सीधा प्रभाव हीमोग्लोबिन पर पड़ता है। हीमोग्लोबिन के मात्रा कम हो जाने से शरीर कमजोर हो जाता है व उसकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है परिणाम स्वरूप उसे कोई न कोई बीमारी घेर लेती है।

थैलीसिमिया से ग्रसित बच्चों में लक्षण जन्म से चार या छह महीने में नजर आते हैं। कुछ बच्चों में पांच से 10 साल के मध्य दिखाई देते हैं। त्वचा,आँखें, जीभ व नाखून पीले पड़ने लगते हैं। प्लीहा और यकृत बढ़ने लगते हैं, आंतों में विषमता आ जाती है, दांतों को उगने में काफी कठिनाई आती है और बच्चे का विकास रुक जाता है।

थैलीसिमिया की गंभीर अवस्था में खून चढ़ाना जरूरी हो जाता है। कम गंभीर अवस्था में पौष्टिक भोजन और व्यायाम बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

केजीएमयू की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ प्रो. सुजाता देव बताती हैं कि महिला या पुरुष यदि कोई भी एक या दोनों ही थैलेसीमिया से पीड़ित है तो महिला को गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है। पुरुषों में थैलीसीमिया के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या होती है क्योंकि जननांगों में आयरन एकत्र हो जाता है ।

रोग से बचने के उपाय हैं कि शादी से पहले लड़के व लड़की के खून की जांच करवाएं। नजदीकी रिश्ते में विवाह करने से बचें। गर्भधारण से चार महीने के अन्दर भ्रूण की जाँच करवायें।

थैलेसिमिया से ग्रसित गर्भवती उच्च जोखिम खतरे की गर्भवस्था की श्रेणी में आती है और ऐसे में मृत बच्चे का जन्म, समयपूर्व बच्चे का जन्म, प्रीएक्लेम्पशिया और गर्भ में बच्चे की वृद्धि रुकना (इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन) जैसी स्थितियों की सम्भावना रहती है।

गर्भवती को पहली और दूसरी तिमाही में प्रति माह, फिर उसके बाद प्रसव तक हर 15 दिन पर स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए क्योंकि थैलेसिमिया के कारण गर्भवस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, जेस्टेशनल डायबिटीज, किडनी या गॉल ब्लेडर में पथरी, यूटीआई, गहरी नसों में खून का जमना, अन्य संक्रमण या प्रसव से पहले प्लेसेन्टा का गर्भाशय से अलग होना(प्लेसेन्टल एबरप्शन) आदि समस्याएं हो सकती हैं।

थैलेसीमिया ग्रसित गर्भवती की सामान्यतः हीमोग्लोबिन,थायरॉयड, लिवर, शुगर की जांच, एचबीए -1 सी, हृदय की जांच तो की जाती है इसके साथ ही भ्रूण के विकास की निगरानी के लिए हर माह अल्ट्रा साउंड किया जाता है और गर्भवती की स्थिति को देखते हुए अन्य जाँचें भी की जाती है।

थैलेसीमिया ग्रसित गर्भवती को संक्रमण आसानी से हो सकता है। इसलिए स्वच्छता, हाथों की सफाई और नियमित स्वास्थ्य जांच जरूर करवानी चाहिए। यह थैलेसिमिया से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में पर्याप्त है।

गर्भवती को फॉलिक एसिड की गोलियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है जो कि भ्रूण के मस्तिष्क और स्पाइन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही हरी सब्जियां, खट्टे फल, चुकंदर, नारियल का तेल, नारियल पानी, केले, फलियाँ, और खूब मात्रा में पानी लेना चाहिए।

थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित गर्भवती को खून चढ़ाया जाता है। इसलिए चिकित्सक की सलाह के बगैर उसे आयरन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। थैलेसीमिया मेजर पीड़ित गर्भवती को मांसाहारी खाद्य पदार्थ और हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनमें आयरन की अधिकता होती है।

जानना भी जरुरी है..

हर वर्ष आठ मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलीसिमिया दिवस मनाया जाता है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस 2025 की थीम है “थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, रोगियों को प्राथमिकता देना। ” इसका मतलब है कि हमें मिलकर काम करना है, ताकि थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की बेहतर देखभाल की जा सके, और उनकी ज़रूरतों को पहले रखा जाए।

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