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एसजीपीजीआई में घुटने का सफल इलाज, मरीज को मिली नई जिंदगी

 महिला मरीज को चलने फिरने की थी भारी दिक्कत, मिली निजात

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने घुटने की समस्या से ग्रसित महिला को नई जिंदगी प्रदान की है। संस्थान में पहली बार घुटने का मेगाप्रोथीसिस सर्जरी द्वारा सफलतापू‌र्ण उपचार किया गया।

बताते चले कि एपेक्स ट्रामा सेंटर के हड्डी रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित कु‌मार एवं उनकी टीम के द्वारा फतेहपुर की रहने वाली 45 वर्षीय संगीता देवी के दाहिने घुटने का प्रत्यारोण मेगाप्रोसथीसिस के द्वारा सफलता पूर्वक इलाज किया गया। रविवार को

डा. अमित ने बताया कि संगीता देवी का दाहिना घुटना काफी क्षतिग्रस्त हो चुका था। जिसका प्रत्यारोपण टीआरके के इम्प्लांट द्वारा नहीं किया जा सकता था।इसके लिया चिकित्सकीय परामर्श के बाद उन्हे मेगाप्रोसथीसिस लगाने की सलाह दी गई। मेगाप्रोसथीसिस एक विशेष प्रकार का बड़ा कृत्रिम प्रोथीसिस होता है, जिसका उपयोग हड्डी संबंधी दोषों, विशेष रूप से ट्यूमर को हटाने के बाद अंगों को बचाने के लिए किया जाता है।

संगीता देवी के अनुसार उन्हें लगभग चार साल पहले दोनों पैरो में दर्द एवं खिंचाव की शिकायत हुई। एमआरआई जांच में स्पाइन टुमर बताया गया, जिसकी सर्जरी उन्होंने कानपुर के किसी प्राइवेट अस्पताल में कराई। कुछ वर्षो के आराम के बाद उन्हें फिर से तकलीफ होने लगी। तब उन्होने एम्स रायबरेली मे चिकित्सकीय परामर्श लिया, जहाँ टुमर के दोबारा होने का पता चला और फिर से उनकी स्पाइन सर्जरी हुई।

उनके बाए पैर में ताकत वापस आ गई, पर दाहिने पैर मे कमजोरी और सुन्नपन रहने लगा। उन्हें चलने पर अक्सर दाहिने घुटने में मोच आ जाती थी, पर दर्द का अहसास कम होने के कारण वह चोट को अनदेखा कर देती थी। क्रमशः उनके दाहिने पैर में सूजन आने लगी। जाँच में पता चला कि उनके दाहिने घुटने की हड्डी अपनी जगह से उतर गई है एवं पूरे दाहिने पैर में खून का जमाव हो गया है, जिसे एक्सपेंडिंग हेमाटोमा कहते हैं।

कई जगह सलाह लेने के बाद उनके पति ने एपेक्स ट्रामा सेंटर के डा० अमित कुमार से संपर्क किया। डा० अमित ने रेडियोडायग्नोसिस विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डा. अनिल सिंह की मदद से पहले उनके पैर के खून के जमाव को यूएसजी (अल्ट्रासाउंड) गाइडेड पेर्कुटनेस ड्रेन प्लेसमेंट की मदद से हटाया। फिर डोक्सीसाइक्लिन स्कूलेरोथेरेपी कर खून के जमाव (हेमाटोमा) का इलाज किया गया।

6 महीने बाद दोबारा सीटी एंगियोग्राफी के द्वारा हेमाटोमा के सफल इलाज को पुष्टि की गई और उन्हें मेगा प्रोथीसिस प्रत्यारोपण के लिए एपेक्स ट्रामा सेंटर के ऑरथोपेडिक्स वार्ड में भर्ती किया गया।

रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के कारण एनेस्थीसिया टीम द्वारा कन्वेंशनल स्पाइनल एसेस्थीसिया देना, एक जटिल समस्या थी । ऐसे में एनेस्थीसिया विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डा. वंश द्वारा अल्ट्रासाउंड की मदद से स्पाइनल एनेस्थीसिया दिया गया।

जिसके बाद उनका घुटना प्रत्यारोपण डा.अमित कुमार के नेतृत्व में सफलतापूर्वक हो पाया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने सफल घुटना प्रत्यारोपण के लिए पूरी टीम को बधाई दी।

एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रोफेसर अरुण कुमार श्रीवास्तव ने इस बड़ी उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि एपेक्स ट्रामा सेंटर ऐसे जटिल रोगों के उपचार के लिए उपयुक्त सेंटर है, जहां विभिन्न विभागों में उत्तम तालमेल के साथ रोगी को बेहतर इलाज मिलता है।

वर्तमान में घुटना प्रत्यारोपण के बाद संगीता देवी होकर स्वस्थ और अपने पैरो पर चल पा रही हैं।

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