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गर्भवती को नौ माह में प्रसवपूर्व करानी चाहिए, चार जांचें – डॉ. अंजू अग्रवाल

जांचो से संक्रमण होने के खतरे से मिलेगी निजात

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच जरूर करनी चाहिए।जिससे संक्रमण होने के खतरे से निजात मिलती है। यह जानकारी गुरुवार को केजीएमयू की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंजू अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से सरकार योजनाओं को धरातल पर उतारने में जुटी है।

गर्भावस्था में कोई समस्या न हो और प्रसव सुरक्षित हो इसके लिए समुदाय से लेकर स्वास्थ्यप्रणाली सुदृढ़ीकरण पर जोर है। सरकार द्वारा जहाँ समुदायिक स्तर पर सुधार किये जा रहे हैं वहीँ नए उपकरण, चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति, जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता और समय समय पर चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने के साथ ही सेवायें मुहैया कराने में पीपीपी मॉडल को भी अपनाया गया है। डॉ. अंजू अग्रवाल बताती हैं कि “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का उद्देश्य माताओं और नवजातों की स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

इस अभियान के तहत सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को हर घर तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जिससे गर्भवती को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह, आवश्यक परीक्षण और समय पर उपचार मिल सके। सरकार स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कृतसंकल्पित है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि गर्भवती को नौ माह के दौरान कम से कम चार प्रसवपूर्व जांचें करानी चाहिये क्योंकि गर्भावस्था के कारण एनीमिया, हाइपरटेंशन,डायबिटीज के अलावा अन्य संक्रमण होने की सम्भावना हो सकती है।

इसके साथ ही गर्भवती थायरॉयड, एचआईवी, ह्रदय रोग सहित संचारी रोगों से भी ग्रसित हो सकती है। नियमित जांचें कराने से इन बीमारियों का समय से पता लगाया जा सकता है और उचित प्रबन्धन किया जा सकता है। इसके साथ ही चिकित्सक की सलाह पर टिटेनस और व्यस्क डिप्थीरिया का टीका(टीडी), पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल, आयरन फोलिक एसिड और कैल्शियम का सेवन जरूर करना चाहिए। दो घंटे का आराम जरूर करना चाहिए। संतुलित एवं पौष्टिक भोजन जरूर करें जिसमें उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर और खनिज हों। खूब पानी पीयें। सकारात्मक रहें। चिकित्सक की सलाह पर व्यायाम करें। मेडिटेशन करें।

इसके अलावा गर्भवती को प्रसव से पहले कुछ तैयारियां करनी चाहिए जैसे कि पैसे का प्रबन्धन, एम्बुलेंस का नम्बर, व्यक्ति की पहचान जिसके साथ अस्पताल जायेंगे और स्वास्थ्य केंद्र की पहचान। इसके अलावा प्रसव के बाद प्रसूता को अस्पताल से घर वापिस तब तक नहीं आना चाहिए जब तक कि चिकित्सक उन्हें घर जाने की सलाह न दें।

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चिकित्सक जो भी सलाह दे उसकी अनदेखी न करें। प्रसव संस्थागत ही कराएँ।

सरकारी योजनाओं में..

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान(पीएमएसएमए)इस अभियान के अंतर्गत प्रत्येक माह की एक, नौ, 16 एवं 24 तारीख को दूसरी और तीसरी तिमाही की सभी गर्भवती हेतु स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लिनिक का आयोजन कर प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा निःशुल्क प्रसवपूर्व गुणवत्तापरक जाँच एवं उपचार दिया जाता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उच्च जोखिम की गर्भावस्था का पता लगाना है। जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई)इस योजना का उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ाना देना है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव कराने पर गर्भवती को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव कराने पर 1400 रुपये की और शहरी क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव कराने पर 1000 रुपये की धनराशि प्रसूता के खाते में भेजी जाती है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके)जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी गर्भवती को चिकित्सीय देखभाल, प्रसव संबंधी सेवाएं, बीमार नवजात और बीमार एक साल तक के बच्चे को इलाज पूर्णतया निःशुल्क प्रदान करना । सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन)

गर्भवती को गुणवत्तापूर्वक और निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें दी जाती हैं। एनीमिया मुक्त भारत अभियान गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद 100 दिनों तक आयरन और फोलिक की एक लाल गोली प्रतिदिन 400 मिग्रा की पेट से कीड़े निकालने की एक गोली दूसरी तिमाही में दी जाती है।ई वाउचर गर्भवती को निःशुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा सरकारी के साथ निजी स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से ई वाउचर जारी करके दी जा रही हैं।मातृ मृत्यु सर्विलांस समीक्षा कार्यक्रम इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु की समीक्षा कर उनके कारणों एवं कारकों( स्वास्थ्य इकाई, समुदाय जनपद एवं राज्य स्तर) की विस्तरी जानकारी एकत्र कर एक रणनीति तैयार करते हुए महत्वपूर्ण स्तरों में सुधार कर मातृ मृत्यु में कमी लाना है। इसके अलावा सभी उपकेन्द्र-आयुष्मान आरोग्य मन्दिरों में हर बृहस्पतिवार को प्रसवपूर्व(एएनसी) क्लिनिक चलाई जाती है।

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