एचआईवी से निपटने को सामाजिक परिवर्तन जरूरी – प्रमुख सचिव
2030 निर्धारित लक्ष्य तक वायरस को काबू करने पर जोर
कल विश्व एड्स दिवस
लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। एचआईवी संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जन सहभागिता बढ़ाने की रणनीति तैयार की जा रही है। शनिवार को पार्थ सारथी सेन शर्मा प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने कहा कि एचआईवी से निपटने के लिए चिकित्सीय समाधान के साथ सामाजिक परिवर्तन भी जरूरी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में अनुमानित 1.97 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हैं, जिनमें से लगभग 1.20 लाख लोग जनपदों में स्थापित एआरटी केंद्रों के माध्यम से उपचार प्राप्त कर रहे हैं। हर साल 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस साल इस दिवस का विषय है “टेक द राइट पाथ” एड्स को समाप्त करने का लक्ष्य 2030 तक है। यह लक्ष्य सतत विकास लक्ष्यों का एक हिस्सा है और इस दिशा में वर्ष 2025-26 बेहद महत्वपूर्ण है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नए संक्रमणों में 80 फीसदी की कमी लाना, एड्स से होने वाली मृत्यु दर को घटाना, और एचआईवी संक्रमित माताओं से बच्चों में संक्रमण का खतरा पूरी तरह समाप्त करना प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। वहीं
प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश विशाल और विविधतापूर्ण प्रदेश है यहां पर एचआईवी से निपटने की चुनौती के लिए न केवल चिकित्सीय समाधान की जरूरत है बल्कि सामाजिक परिवर्तन की भी आवश्यकता है । एचआईवी के इलाज और रोकथाम की रणनीतियों में लगातार प्रगति हुई है। इसके बावजूद एचआईवी को लेकर भ्रांतियां, भेदभाव और भ्रामक सूचनाएं एक बड़ी बाधा हैं । यह बाधाएं लोगों को जांच, इलाज और सहायता लेने से रोकती हैं । यह एक मानवाधिकार का मुद्दा है । इसी क्रम में एचआईवी मरीजों के साथ भेदभाव को दूर करने के लिए सरकार द्वारा एचआइवी,एड्स प्रीवेंशन एंड कण्ट्रोल एक्ट, 2017 लागू किया गया है। किसी को भी उसकी एचआई वी स्थिति के आधार पर स्वास्थ्य देखभाल , शिक्षा और रोजगार की पहुंच से वंचित नहीं किया जा सकता है । ऐसा करना मानवाधिकारों का उल्लंघन है । अब यह कहने के लिए एक साथ खड़े हैं कि “अब और नहीं ।
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के अपर परियोजना निदेशक रवीन्द्र कुमार का कहना है कि एचआईवी संचरण और उपचारों के बारे में लोगों को जागरूक कर इस चुप्पी को तोड़ा जा सकता है। निर्णय और भेदभाव से मुक्त सुरक्षित समाज बनाकर एच आई वी पीड़ित लोगों का समर्थन करना उनके जीवन में बदलाव ला सकता है ।
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एचाईवी एड्स संक्रमण के प्रसार को रोकने और इलाज के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। जिसमें स्वयंसेवी संगठन भी सहयोग कर रहे हैं | एचआईवी एड्स संक्रमण का प्रसार साल 2023 में , साल 2010 के मुकाबले नगण्य है। इसके अलावा एचआईवी, एड्स के नए संक्रमण और इससे होनेवाली मौतों की संख्या भी शून्य है।
राज्य में एचआईवी जांच के लिए 399 इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, 52 एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी केंद्रों पर उपचार की सुविधा दी जा रही है। राज्य में 35 संपूर्ण सुरक्षा केंद्र और 115 एसटीआई,आरटीआई यानि यौन संचारित संक्रमण प्रजनन मार्ग संक्रमण केंद्र भी कार्यरत हैं, जो एड्स और इससे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। टोल फ्री नम्बर 1097 पर कॉल कर एचआइवी,एड्स से सम्बन्धित शंकाओं का समाधान भी किया जा सकता है। एचआईवी, एड्स की जाँच के क्रम में प्रदेश में कुल तीन वायरल लोड प्रयोगशालाएं हैं जहाँ लाभार्थियों जांचें सुनिश्चित कि जाती हैं।
जानें एड्स क्या है..
एचआईवी ह्युमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है जो कि मानव शरीर में पाया जाता है। यह मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है। एड्स एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम एचआईवी की एक अवस्था है। यह वंशानुगत बीमारी नहीं है। हकीकत को जानना जरुरी होता है। जिससे भ्रम की स्थिति ख़त्म होती है तो स्वस्थ महसूस किया जा सकता है।