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कल पीजीआई में शिरा रोग प्रबंधन पर होगी कार्यशाला 

 स्वास्थ्य विशेषज्ञ शिरा विकार पर जानकारी करेंगे साझा

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। शिरा विकार की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ जानकारी आदान प्रदान करेंगे। यह कार्यशाला

एसजीपीजीआई के जनरल अस्पताल का शल्य चिकित्सा प्रभाग, वेनस एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया और भारतीय शल्य चिकित्सक संघ,उत्तर प्रदेश चैप्टर के सहयोग से शुक्रवार को यानि कल एसजीपीजीआई के एचजी खुराना सभागार में शिरा रोगों पर कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा।

यह जानकारी गुरुवार को कार्यक्रम आयोजक जनरल अस्पताल, एसजीपीजीआई के वरिष्ठ परामर्शदाता शल्य चिकित्सक डॉ. ब्रजेश सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि

शिरा रोग, जिन्हें कभी नैदानिक ​​अभ्यास में अपेक्षाकृत उपेक्षित माना जाता था, अब दुनिया भर में एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहे हैं।

वैरिकोज़ वेन्स, डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) और क्रोनिक वेनस इन्सुफ़्फ़िइंसी जैसी बीमारियाँ न केवल काफी रुग्णता का कारण बनती हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता और उत्पादकता को भी प्रभावित करती हैं।

जीवनशैली में बदलाव, बढ़ती उम्र और बढ़ती जागरूकता के साथ, शिरापरक विकारों का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में शिक्षा, जागरूकता और कौशल संवर्धन सभी कार्यरत शल्य चिकित्सकों और स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं के लिए आवश्यक है। डॉ सिंह ने बताया कि

यह कार्यशाला शिरा रोग प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्रीय संकाय और विशेषज्ञों को एक साथ लाएगी। जो व्याख्यानों, केस चर्चाओं और वैरिकोज़ वेन्स और डीप वेन थ्रोम्बोसिस की उन्नत उपचार तकनीकों के रिकॉर्ड किए गए वीडियो प्रदर्शनों के माध्यम से अपना ज्ञान साझा करेंगे।

कार्यशाला में शामिल विषय..

शिरापरक शरीर रचना विज्ञान और पैथोफिज़ियोलॉजी की मूल बातें, एंडोवेनस लेजर एब्लेशन (ईवीएलए), साइनोएक्रिलेट ग्लू क्लोजर और वैरिकोज़ वेन्स की फोम स्क्लेरोथेरेपी, एक्यूट इलियोफेमोरल डीवीटी का प्रबंधन, क्रोनिक शिरापरक रोग में औषधीय चिकित्सा और क्रोनिक शिरापरक अल्सर में कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स और चार परत वाली पट्टियों की भूमिका शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को पारंपरिक और अत्याधुनिक दोनों तरह के इंटरवेंशन की जानकारी रहे। इस वीडियो कार्यशाला प्रारूप से प्रतिनिधियों को विशेषज्ञों से सीधे प्रक्रियाओं, तकनीकों और सुझावों को देखने का अवसर मिलेगा। जिससे सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटा जा सकेगा।

यह सीएमई, शिरा रोग प्रबंधन में क्षमता निर्माण, व्यावसायिक विकास और सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार के प्रति एसजीपीजीआई, एएसआई-यूपी चैप्टर और भारतीय शिरा संघ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

देश भर के प्रमुख संकाय सदस्यों, डॉ. मलय पटेल, डॉ. अजय खन्ना, डॉ. रावुल जिंदल, डॉ. जयंत दास शामिल होंगे। उन्होंने शिरा विकारों के क्षेत्र में नवीनतम अंतर्दृष्टि से लाभ उठाने के लिए सर्जनों, इंटरवेंशनल विशेषज्ञों, रेजिडेंट डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा जताई।

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