उत्तर प्रदेशधर्म-अध्यात्म

बड़े मंगल पर वैदिक मन्त्रोंच्चारण के साथ पूजा आरती

हनुमान जी की आराधना भक्ति से बुरी शक्तियों का होता नाश

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में ज्येष्ठ माह प्रारम्भ होते ही हनुमान जी की अटूट श्रद्धा भक्ति से मठ मंदिर गुलजार रहे। मंगलवार को रामकृष्ण मठ, निराला नगर में बड़ा मंगल बडे ही हर्षोल्लास के साथ रामकृष्ण मन्दिर में मनाया गया।

कार्यक्रम की शुरूआत स्वामी इष्टकृपानन्द द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण श्री ठाकुर जी की मंगल आरती एवं प्रार्थना के साथ की गयी। तत्पश्चात मुख्य मंदिर के सामने श्री हनुमानजी की पूजा और आरती के बाद स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज के नेतृत्व में हनुमानचालीसा का पाठ किया गया और भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। साथ ही स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा सत प्रसंग हुआ।

सायंकाल में भगवान श्री रामकृष्ण की सध्या आरती के पश्चात श्री हनुमानजी की पूजा एवं आरती रामकृष्ण मठ के स्वामी कृष्णपदानन्द द्वारा किया गया।वहीं

बड़ा मंगल के अवसर पर अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने संध्याकालीन प्रवचन में ‘‘बड़ा मंगल की उत्पत्ति एवं महत्व’’ के बारे में बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के सभी मंगलवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जिन्हें बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार भगवान हनुमान ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर किया। यही दिन आगे चलकर बुढ़वा मंगल कहलाने लगा। इस दौरान विशेष रूप से भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। इन दिनों श्रद्धालु मंदिरों में विशेष पूजा करते हैं, भंडारे आयोजित करते हैं और प्रसाद वितरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि

इसका धार्मिक महत्व भी है कि हनुमान जी को भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी की आराधना करने से व्यक्ति को बुरी शक्तियों, दुर्घटनाओं और अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है।

स्वामी ने बताया कि लगभग 400 साल पहले इसकी शुरुआत अलीगंज में पुराना हनुमान मंदिर से हुआ।

स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा है कि हनुमान जी को ही वर्तमान युग के आदर्श रूप से प्रतिष्ठित करना चाहिए। इससे देश का कल्याण होगा क्योंकि भगवान रामजी की सेवा के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग करके उन्होंने दिखाया कि प्रभु सेवा ही युग धर्म है और प्रभु सेवा ठीक-ठीक करने से प्रभु की कृपा से जीवन मे सब ओर से प्राप्ति हो जाती है। जीवन सफल हो जाता है, पूर्ण हो जाता है, धन्य हो जाता है। हनुमान जी परम् ज्ञानी है और उनके ज्ञान का स्रोत था, प्रभु की सेवा। उन्होंने सभी के लिए लोक कल्याण की कामना की।

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