प्लास्टिक प्रदूषण चिंताजनक – संजय के पाठक
एनबीआरआई में मना विश्व पर्यावरण दिवस समारोह

प्लास्टिक थैलियों के प्रयोग का विकल्प खोजने का किया आह्वान
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेषज्ञों द्वारा प्लास्टिक प्रयोग पर चिंता जताई गई। गुरुवार को राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। जिसे संस्थान और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस समारोह आयोजित किया गया।
जिसमें उत्तर प्रदेश वन निगम के जनरल मेनेजर प्रोडक्शन संजय के. पाठक, आईएफएस मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। साथ ही क्लेम्सन यूनिवर्सिटी, साउथ कैरोलिना, यूएसए के प्रो. पुनीत के. द्विवेदी, समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वहीं संस्थान निदेशक डॉ. एके शासनी ने समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर प्रो. पुनीत के. द्विवेदी ने ‘संयुक्त राज्य अमेरिका में संरक्षण रिजर्व कार्यक्रम भारत के लिए संभावित सबक’ पर एक व्याख्यान भी दिया।
इसके साथ ही इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स ने अपना 30वां स्थापना दिवस भी मनाया। बता दें कि यह सोसाइटी इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंसेज पेरिस का एक वैज्ञानिक सदस्य है एवं सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में 1994 से कार्यरत है। इसी क्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते पर्यावरण दिवस के महत्व पर चर्चा की।
उन्होंने वर्ष की थीम के तहत बीटप्लास्टिकपोलुशन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के बारे में सभी को जागरूक करना होगा। हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होगा। डॉ. शासनी ने प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने, प्रदूषण निवारण के लिए पौधों की पहचान करने के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों पर जानकारी साझा की।
मुख्य अतिथि संजय कुमार पाठक ने संबोधित करते हुए कहा कि आज के दौर में प्लास्टिक प्रदूषण बहुत चिंताजनक है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल के वर्षों पर्यावरण दिवस के अवसर पर में प्लास्टिक प्रदूषण पर आधारित थीम को अधिक महत्व दिया गया है। श्री पाठक ने संस्थान के वैज्ञानिकों से छोटे पौधों या पौध के प्रसार, वृक्षारोपण और बिक्री के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की थैलियों के विकल्प खोजने का आह्वान किया।
श्री पाठक ने यह भी आग्रह किया कि हमें अपने दैनिक जीवन में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उपयोग कम करना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि प्रो. द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में अमेरिका की भूमि संरक्षण पहलों के बारे में बताया, जिनका उपयोग भारत द्वारा स्थायी कृषि और पर्यावरण नीतियों के लिए किया जा सकता है।
प्रो. द्विवेदी ने यूएस कंजर्वेशन रिजर्व प्रोग्राम (सीआरपी) की संरचना, सफलताओं और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की, जो किसानों को वार्षिक किराये के भुगतान के बदले में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भूमि को कृषि उत्पादन से हटाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, प्रो. द्विवेदी ने भारत के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य, विशेष रूप से मृदा संरक्षण, जैव विविधता और जलवायु लचीलेपन के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता और अनुकूलनशीलता पर भी अपने विचार रखे।
इससे पहले आईएसईबी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं सचिव डॉ. सौमित कुमार बेहरा ने संस्थान और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एनबीआरआई और आईएसईबी तीन दशकों से अधिक समय से पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे हैं। समारोह के अंत में आईएसईबी के एमेरिटस वैज्ञानिक एवं संयुक्त सचिव डॉ. आरडी त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।