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एनबीआरआई ने किसानों को जैविक खेती की तरफ किया आकर्षित – योगी आदित्यनाथ

केंद्रीय मंत्री ने स्वास्तिक आकार कमल उद्यान का किया उद्घाटन

 

सीएसआईआर कांन्क्लेव का हुआ समापन

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी एनबीआरआई स्थित दो दिवसीय सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 का समापन समारोह किया गया।

जिसमें बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री उप्र योगी आदित्यनाथ उपस्थित रहे। साथ में विशिष्ट अतिथि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह मौजूद रहे। सोमवार को डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में भारत में पहला स्वस्तिक आकार के “कमल उद्यान” का उद्घाटन भी किया। वहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश में सीएसआईआर पहल की सराहना करते हुए राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि एनबीआरआई ने किसानों को जैविक खेती करने के लिए आकर्षित किया है।

हमारा सौभाग्य है कि सीएसआईआर की चार महत्वपूर्ण लैब एनबीआरआई, सीडीआरआई, आईआईटीआर, सीमैप, राजधानी लखनऊ में स्थित हैं। जिसके माध्यम से किसानों की आमदनी आगे बढ़ाने के लिए साथ ही आम नागरिक के मन में एवं जीवन में व्यापक परिवर्तन के लिए अनेक शोध किए गए है।

उन्होंने बधाई देते हुए कॉन्क्लेव में सहभागी सभी संस्थाओं और उद्योग जगत से जुड़े उद्यमियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थानों और कुशल जनशक्ति के बड़े भंडार के साथ उत्तर प्रदेश भारत की विज्ञान और स्टार्टअप यात्रा में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। वहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा कि

930 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला यह स्वस्तिक कमल उद्यान देश में अपनी तरह का पहला है। इसमें विश्वभर से लाए गए 60 प्रजाति के कमल और 50 प्रजाति की जलकुमुदिनी (वॉटर लिली) संरक्षित की गई हैं। संरक्षण के लिए उन्नत आनुवंशिक तकनीक, प्रकाश नियंत्रण और वैज्ञानिक उपचार का उपयोग किया गया है।

इसकी प्रमुख विशेषताओं में ‘एनबीआरआई-नमो 108’ भी शामिल है, जो 108 पंखुड़ियों वाला विश्व का पहला कमल है और लखनऊ में विकसित किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उद्यान जैव विविधता संरक्षण और उद्यमिता का केंद्र बनेगा और एक नए पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरेगा।

उन्होंने कहा, “यह केवल एक अनूठा संरक्षण प्रयास नहीं है, बल्कि यह पुष्पकृषि, वेलनेस और कृषि-आधारित उद्योगों में नए अवसर पैदा करने का मंच भी है।” उन्होंने आगे कहा कि यह सुविधा विज्ञान को आजीविका से जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित को प्रतिबिंबित करती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि लखनऊ में स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित करने का निर्णय विज्ञान और नवाचार कार्यक्रमों का विकेंद्रीकरण करने की दिशा में सरकार का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, “हमने राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों को दिल्ली से बाहर जम्मू, हैदराबाद, मुंबई, भुवनेश्वर और अब लखनऊ तक ले जाने का प्रयास किया है। इससे विज्ञान उन आकांक्षी शहरों तक पहुंचता है, जहाँ संभावनाएँ अपार हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत के लगभग 50 फीसदी स्टार्टअप अब टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रहे हैं। 2015 में शुरू किए गए स्टार्टअप इंडिया अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “सिर्फ 350 स्टार्टअप से बढ़कर आज भारत में 2 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें लगभग 60 प्रतिशत का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं।

यह इस बात का प्रतीक है कि हमने रोजगार और उद्यमिता को देखने का दृष्टिकोण बदल दिया है। लखनऊ की सीएसआईआर संस्थाओं की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने नमो 108 कमल, कीट-रोधी कपास और फ्लोरिकल्चर मिशन के अंतर्गत पुष्पकृषि में नवाचार का उल्लेख किया, जो किसानों और उद्यमियों के लिए नई आजीविका के विकल्प प्रदान कर रहे हैं।

उन्होंने फार्मास्यूटिकल अनुसंधान में शहर के योगदान की भी चर्चा की, जहाँ कैंसर और फैटी लीवर जैसी बीमारियों के लिए 13 नई दवाओं का विकास किया गया है।

मंत्री ने यह भी बताया कि लखनऊ वैश्विक स्तर पर उपयोग होने वाले मेंथॉल उत्पादों और लोकप्रिय पुदीना टैबलेट का जन्म स्थान है। उन्होंने कहा, “दुनिया जिस पुदीना की गोली को जानती है, वह यहीं विकसित हुई थी। आज हमारे वैज्ञानिक हर्बल माउथ फ्रेशनर जैसे नए मूल्यवर्धित उत्पादों पर काम कर रहे हैं, जो बड़े बाजार बना रहे हैं।

लखनऊ की वैज्ञानिक उपलब्धियों को उसकी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “लखनऊ केवल इमामबाड़े जैसे स्मारकों के लिए नहीं जाना जाता। यह 108 पंखुड़ियों वाले कमल और पुदीना आधारित उत्पादों जैसे नवाचारों के लिए भी जाना जाता है। यही नया भारत है।”

मंत्री ने उत्तर प्रदेश में सरकार की दीर्घकालिक पहलों का भी उल्लेख किया, जिनमें नोएडा में पहला राष्ट्रीय क्वांटम मिशन केंद्र, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का लाभकारी इकाई के रूप में पुनर्जीवन, और लखनऊ में एक नए बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्रियल पार्क तथा विज्ञान संग्रहालय की योजनाएँ शामिल हैं।

युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि उद्यमी बनने के लिए पीएचडी डिग्री होना आवश्यक नहीं है। “हमारे कई सफल स्टार्टअप ऐसे युवाओं द्वारा स्थापित किए गए हैं, जिनके पास उच्च डिग्रियाँ नहीं थीं, लेकिन कौशल और फोकस था। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निर्मित इकोसिस्टम किसी भी प्रतिभाशाली व्यक्ति को प्रशिक्षण, फंडिंग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है।

उन्होंने उद्योग और अनुसंधान के बीच मजबूत संबंधों का आह्वान किया और कहा कि हर नए प्रयोग को पहले दिन से ही उद्योग से जोड़ा जाना चाहिए। “आज हम जिन युवाओं को तैयार कर रहे हैं, वे 2047 में, जब हम स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएँगे, भारत का तिरंगा ऊँचा लहराएँगे। यही विकसित भारत की परिकल्पना है,” उन्होंने कहा।

कॉन्क्लेव में वैज्ञानिकों, उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अनुसंधान संस्थानों, उद्योग तथा समाज को मिलकर नवाचार को आगे बढ़ाने की सरकार की दृष्टि को साझा किया।

स्वस्तिक कमल उद्यान के उद्घाटन और सीएसआईआर कॉन्क्लेव में विज्ञान, स्टार्टअप और नीति के संगम के साथ, लखनऊ ने भारत के वैज्ञानिक और उद्यमशील परिदृश्य में एक उभरते केंद्र के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस मौके पर एनबीआरआई निदेशक डॉ एके शासनी समेत अन्य संस्थानों के निदेशक, वैज्ञानिक, किसान, उद्यमी शामिल रहे।

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