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संस्था ने बच्चों को संस्कार से जोड़ने का उठाया बीड़ा

राजधानी में हर रविवार बच्चों के लिए संस्कार पाठशाला शुरू

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। आधुनिक परिवेश में टूटते परिवारों व संस्कारों से दूर होते बच्चों के लिए पाठशाला की शुरुआत की गई। जिसमें भारतीय सनातन संस्कृति परंपरा को आगे बढ़ाने का संस्था द्वारा बीड़ा उठाया गया है।

यह जानकारी डॉ. मंजुषा पांडे ने दी। उन्होंने बताया कि राजधानी के त्रिवेणी नगर तृतीय स्थित त्रिकोणेश्वर शिव मंदिर बंधा रोड पर दिन में 11 बजे हर रविवार बच्चों के लिए निःशुल्क विश्व जागृति मिशन द्वारा संस्कार पाठशाला चलाई जा रही है।

डॉ पाण्डेय ने बताया कि संस्कार ही वह अमूल्य धरोहर हैं जो मानव को मनुष्यत्व प्रदान करती है। ज्ञान हमें जीवन–यापन की दिशा देता है, परंतु संस्कार हमें जीवन–मूल्य सिखाते हैं। जब बचपन में नैतिकता, कृतज्ञता, सेवा–भाव और देश–भक्ति के बीज रोपे जाते हैं, तभी एक सशक्त और उज्ज्वल राष्ट्र का निर्माण संभव हो सकेगा।

इसी उद्देश्य से विश्व जागृति मिशन द्वारा आरम्भ किए गए संस्कृति संस्कार जागरण अभियान के अंतर्गत देशभर में 108 बाल संस्कार केंद्रों की स्थापना का संकल्प पूज्य सद्गुरुदेव सुधांशु महाराज एवं डॉ. आर्चिका दीदी द्वारा लिया गया है। ताकि हमारे नौनिहाल केवल विद्वान ही नहीं, बल्कि संस्कारित नागरिक बनें।

इस संकल्प को पूरा करने के लिए जेएल रस्तोगी के नेतृत्व मे परिवार जोड़ो अभियान टीम आनंदधाम आश्रम नई दिल्ली निरंतर कार्य कर रही है।

जानें संस्कार पाठशाला के नियम..

इन कक्षाओं में 5 वर्ष से 15 वर्ष तक के लगभग 20–25 बच्चे नियमित रूप से भाग लेते हैं। डॉ. मंजुषा पांडेय द्वारा संचालित इन कक्षाओं में बच्चों को सनातन धर्म के संस्कार, त्योहारों का महत्त्व, परिवार,समाज,देश के प्रति कर्तव्य, आत्मविश्वास, एवं जीवन–प्रबंधन जैसे मूल्यों की शिक्षा दी जाती है।

इन कक्षाओं का उद्देश्य बच्चों के भीतर निहित दिव्य गुणों को जागृत करना और उन्हें जीवन में उतारने के लिए प्रेरित करना है, ताकि वे भविष्य में एक सशक्त, संवेदनशील और संस्कारित भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें।

इसके अलावा राजधानी के गोमती नगर सहित अन्य स्थानों पर भी ऐसे बाल संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहाँ निःशुल्क शिक्षा के माध्यम से समाज को सही दिशा प्रदान करने का कार्य सतत् रूप से चल रहा है।

विश्व जागृति मिशन चाहता है कि प्रत्येक बालक के जीवन में सद्गुण, संवेदना और संस्कारों की सुगंध देश दुनिया में फ़ैल सके। ऐसे में अपने बच्चों को संस्कार से जोड़ना चाहते हैं तो फिर इस संस्था के माध्यम से सशक्त भारत निर्माण के भागीदार बन सकते हैं।

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