उत्तर प्रदेशजीवनशैलीबड़ी खबर

शिक्षक सिर्फ मार्गदर्शक ही नहीं, बल्कि एक दोस्त – मुक्तिनाथानंद

 विवेकानंद हॉस्पिटल में मना शिक्षक दिवस

 

 लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राजधानी में शिक्षक दिवस पर गुरु की विशेषता बताई गई। शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

यह दिन शिक्षकों और गुरूओं के समर्पण का दिन है। शुक्रवार को

शिक्षक दिवस के अवसर पर विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक आयुर्विज्ञान संस्थान में पैरामेडिकल छात्रों एवं नर्सिग छात्राओं द्वारा डाक्टर व अन्य गणमान्य अतिथियों मौजूद रहे। वहीं विवेकानन्द कॉलेज ऑफ नर्सिग के स्राइन हॉल में अपने शिक्षकों को सम्मान देने के लिए एक भव्य आयोजन किया। वहीं कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द द्वारा दीप प्रज्ज्वलित व वैदिक मन्त्रोच्चारण के साथ किया गया।

इस दौरान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक, विभिन्न विभागों के शिक्षक, पैरामेडिकल पाठयक्रम के अधीक्षक, कार्मिक अधिकारी,व छात्र छात्राओं से भरा रहा। साथ ही संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने विद्यार्थियों एवं शिक्षको को संबोधित करते हुए बताया कि शिक्षा विन्रम होकर ही प्राप्त की जा सकती है।

शिक्षक सिर्फ एक मार्गदर्शक नहीं, बल्कि एक दोस्त, एक फिलॉसफर और एक प्रेरणा भी होते हैं। वे हमें किताबी ज्ञान से परे, जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं। जब हम असफल होते हैं, तो वे हमें फिर से उठकर चलने का हौसला देते हैं। जब हम भ्रमित होते हैं, तो वे हमें सही रास्ता दिखाते हैं।

स्वामी ने बताया कि रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ, हावड़ा के 15वें अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानन्द महाराज डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिष्य थे। वर्षों बाद एक बार किसी काम के सिलसिले में उनकी मुलाक़ात हुई। उन्हें देखकर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन खड़े हो गए। पूज्य महाराज ने सोचा कि राधाकृष्णन अपने पूर्व शिष्य को पहचान ही नहीं पाए होंगे।

जैसे ही उन्होंने अपना परिचय देने की कोशिश की, राधाकृष्णन ने कहा कि उन्हें वह अच्छी तरह याद है। पूज्य महाराज ने उनसे पूछा, “तो फिर आप खड़े क्यों हो गए। आप मेरे गुरु हैं, मेरे गुरु हैं।“ राधाकृष्णन ने उत्तर दिया, “जब आप शिष्य थे, तब मैं आपका गुरु था, आपका शिक्षक था। लेकिन आज आप संन्यासी हैं, जगद्गुरु हैं।

उन्होंने गीता में उल्लेखित गुरू शब्द संस्कृत का शब्द है जिसमे ‘‘गु’’ का अर्थ है अंधकार और ‘‘रू’’ का अर्थ है प्रकाश जिसका तात्पर्य यह है कि अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आप हर किसी से भी सीख सकते है वह भी आपका गुरू हो सकता है।

शिक्षक दिवस का महत्व..

राष्ट्रीय शिक्षक दिवस हर साल 5 सितम्बर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है, जो न केवल भारत के प्रसिद्व दूसरे राष्ट्रपति थे बल्कि एक आदर्श शिक्षक भी थे। हमारे देश में शिक्षकों को गुरु कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ भारी होता है। यानी उन्हें कभी भी हल्के में न लें, बल्कि हमेशा उनका सम्मान करें।

शिक्षक सीखने के प्रवेश द्वार हैं। इनके बिना हम कभी कुछ नहीं सीख सकते। पैसे देकर शिक्षकों से शिक्षा नहीं खरीदी जा सकती बल्कि शिक्षकों की कृपा से ही शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। गुरुओं की कृपा केवल तीन तरीकों से प्राप्त की जा सकती है जैसा कि भगवद गीता में सेवा

अर्थात् नम्रता से, ध्यानपूर्वक रहना और शिक्षक के निर्देशों का पालन करना बताया गया।

यह एक पवित्र दिन है। मैं जगद्गुरु का आशीर्वाद चाहता हूंँ कि वे हम सभी पर अपनी आशीर्वाद बनाये रखें।

“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।

गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।“

यह श्लोक हमें बताता है कि शिक्षक ईश्वर के समान होते हैं। तो आइए, हम अपने जीवन में उनका सम्मान करें और उनके आदर्शों पर चलें।

तत्पश्चात डा. राजेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा स्वदेश मंत्र एवं अमृत मंत्र का पाठ किया गया तथा संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द द्वारा केक काटकर औपचारिक रूप से शिक्षक दिवस मनाया गया। साथ ही संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक एवं अन्य शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को उनके जीवन प्रेरक बाते बतायी गयी।

डा राजेश कुमार श्रीवास्तव, पैरामेडिकल के प्रमुख तथा कॉलेज ऑफ नर्सिग एमएससी की छात्रा शना द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। तदुपरान्त पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं व नर्सिग की छात्राओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button