उत्तर प्रदेशधर्म-अध्यात्म

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर झुमनें लगे श्रोता

श्रीमद् भागवत कथा में देवता और दानव का कराया बोध 

 

गंगेश पाठक

अमेठी।लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। श्रीमद् भागवत कथा में कथा वाचक द्वारा देवता और दानव का बोध कराया। रविवार को रामनगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भक्तिमय कथा वाचिका साध्वी सृष्टि लता रामायणी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की लीला की प्रस्तुत देते ही पूरा पंडाल भक्ति के सागर में डूब गया। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य से पूर्व साध्वी ने समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए बताया कि जब समुद्र मंथन हुआ, तब अमृत की बूंदें प्रयागराज, नाशिक, उज्जैन सहित चार स्थानों पर छलकीं, जिससे वहां महाकुंभ की परंपरा प्रारंभ हुई। भगवान श्रीहरि ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत बांटा, किंतु राहु-केतु ने छलपूर्वक इसे ग्रहण कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप आज भी उनकी छाया ग्रह के रूप में जानी जाती है। उन्होंने बताया कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म, अन्याय और अत्याचार बढ़ता है, तब-तब भगवान स्वयं अवतरित होते हैं। इसी क्रम में, कंस के अत्याचारों से त्रस्त देवताओं और भक्तों की प्रार्थना सुनकर भगवान श्रीहरि ने देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण रूप में अवतरण लिया। जैसे ही कथा वाचिका ने श्रीकृष्ण जन्म की घोषणा की, संपूर्ण पंडाल ‘नंद घर के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ के जयकारों से गूंजने लगा। महिलाओं ने सोहर गाए, श्रद्धालु भाव-विभोर होकर नृत्य करने लगे, और भगवान के जन्मोत्सव पर भव्य झांकियां प्रस्तुत की गईं। पूरे पंडाल को रंगीन गुब्बारों और पुष्पों से अलौकिक स्वरूप प्रदान किया गया। भगवान के जन्म पर भक्तों को माखन-मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया। इस दिव्य आयोजन में अमेठी भूपति महाराज डॉ. संजय सिंह और महारानी डॉ. अमिता सिंह ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पुण्य लाभ प्राप्त किया। कथा के मुख्य यजमान राजेश कुमार गुप्ता, बाबूलाल गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, जितेंद्र गुप्ता, उमाशंकर मनोज, रमेश गुप्ता, विशाल गुप्ता, आदर्श, अभय अर्जित सहित हजारों श्रद्धालु इस पावन अवसर के साक्षी बने रहे । भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की अलौकिक छटा देखते ही बन रही थी। पूरे रामनगर में भक्ति और उल्लास का ऐसा दिव्य संगम था कि हर भक्त का हृदय प्रेम, श्रद्धा और आनंद से ओतप्रोत हो उठा।

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