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बोन सिस्ट्स का उपचार कराना जरुरी -डॉ अक्षय तिवारी 

इमेंजिंग उपकरणों से इन बीमारियों को पकड़ने में होती आसानी 

 

दिल्ली। लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। हड्डियों में फैलने वाले सिस्ट यानि गांठ को रखना मतलब जिंदगी को जोखिम में डालना होता है। यह जानकारी गुरुवार को हॉस्पिटल साकेत के मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अक्षय तिवारी ने दी। उन्होंने बताया कि बोन सिस्ट्स हड्डी से जुड़ी एक आम समस्या है, जो विभिन्न कारणों और रोग-विज्ञान से संबंधित होती है। यह हड्डी के भीतर तरल पदार्थ से भरे असामान्य गह्वर होते हैं। इनके कारण हड्डी कमजोर हो सकती है, जिससे दर्द, असुविधा और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। बोन सिस्ट्स की विभिन्न उत्पत्तियां और कारण होते हैं। इसके उपचार में सर्जरी, दवाओं का इंजेक्शन,कुछ मामलों में केवल निगरानी जैसे उपाय शामिल हैं। डॉ तिवारी ने कहा कि बोन सिस्ट्स का सटीक कारण अधिकतर मामलों में स्पष्ट नहीं होता। हालांकि, हड्डी के रक्त प्रवाह में गड़बड़ी, आनुवंशिक समस्याएं, चोट, संक्रमण, सौम्य और घातक ट्यूमर, और ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा जैसे चयापचय विकार इनके प्रमुख कारण हो सकते हैं। लक्षणों में हल्के से गंभीर दर्द, सूजन, गांठ, हड्डी के प्रभावित हिस्से को हिलाने-डुलाने में कठिनाई, विकृति, फ्रैक्चर, थकान, या कमजोरी शामिल हो सकते हैं। कुछ मामलों में रोगी को कोई लक्षण महसूस नहीं होते, जिससे समस्या का पता केवल आकस्मिक जांच के दौरान चलता है। डॉ.अक्षय तिवारी ने बताया कि बोन सिस्ट्स के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सरल या युनिकैमरल सिस्ट्स, एन्यूरिज़मल सिस्ट्स, ईसिनोफिलिक ग्रैनुलोमा, टीबी जैसे संक्रमण, और घातक ट्यूमर शामिल हैं। इनका निदान विभिन्न तरीकों से किया जाता है। शारीरिक परीक्षण के अलावा एक्स-रे, सीटी-स्कैन, और एमआरआई जैसे इमेजिंग उपकरण इन सिस्ट्स का सटीक स्थान, आकार और स्थिति निर्धारित करने में सहायक होते हैं। कुछ मामलों में बायोप्सी और रक्त परीक्षणों की मदद से अधिक जानकारी प्राप्त की जाती है। डॉक्टर अक्षय ने बताया कि बोन सिस्ट्स के इलाज के लिए उनकी प्रकृति, आकार, स्थान और रोगी की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हुए विभिन्न उपचार अपनाए जाते हैं। सरल सिस्ट्स के मामलों में निगरानी पर्याप्त हो सकती है, जबकि गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। सिस्ट्स को हटाने के लिए क्युरेटेज और बोन ग्राफ्टिंग की जाती है। कई बार सिस्ट में स्टेरॉयड्स या अन्य दवाओं का इंजेक्शन दिया जाता है। दर्द प्रबंधन के लिए दवाएं और बिसफॉस्फोनेट थेरेपी का उपयोग होता है। एंजियोएम्बोलाइजेशन तकनीक से सिस्ट के रक्त प्रवाह को रोका जाता है, और स्प्लिंटेज का उपयोग विकृति और फ्रैक्चर को रोकने या ठीक करने में मदद करता है। डॉ तिवारी का कहना है कि

फ्रैक्चर, दर्द, और हड्डी की विकृति से बचाव के लिए बोन सिस्ट्स का समय पर उपचार बेहद आवश्यक है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इन सिस्ट्स को हड्डी के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से सही तरीके से अलग किया जा सके।

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