भारत के लाइकेन अनुसंधान में हुई वृद्धि – डॉ. डीके उप्रेती
सम्मेलन में दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने गिनाई शोध की उपलब्धियां
लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में चल रहे सम्मेलन में दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने शोध क्षेत्र की उपलब्धियां गिनाई। मंगलवार को एनबीआरआई और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘अपुष्पी अनुसंधान में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न अनुसंधान एवं विकास कार्यों पर विचार साझा किये।वहीं सीएसआईआर-एनबीआरआई के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और भारतीय लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ डीके उप्रेती ने भारत में लाइकेन विविधता एवं इसके शोध के विभिन्न आयामों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि हाल के कुछ वर्षों में लाइकेन वर्गिकी एवं विविधता के क्षेत्र में नवीन शोधों में काफी वृद्धि हुई है। जिसके कारण भारत में पाए जाने वाली लाइकेन प्रजातियों की कुल संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जो यह दर्शाता है कि न सिर्फ भारत में नवीन प्रजातियों की खोज हुई है, अपितु साथ ही बहुत सारे अल्प अन्वेषित क्षेत्रों की लाइकेन विविधता की समग्र जानकारी भी एकत्र की गयी है। उन्होंने कहा कि जो भविष्य के अनुसंधानों के लिए काफी सहायक होगी। इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पीएल उनियाल ने अपुष्पी पौधों के एक महत्वपूर्ण समूह ब्रायोफाइट पौधों पर चर्चा करते हुए पौधों के पर्यावरण में महत्व एवं देश के विभिन्न स्थानों पर इन पौधों पर किये गये पर्यावरणीय अध्ययनों की जानकारी दी। पौधों के पर्यावरण प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होने के कारण पर्यावरणीय अध्ययनों में इनके महत्त्व एवं साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में हो रहे बदलावों को समझने में इन पौधों की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा की ।
इस अवसर पर सम्मेलन के आयोजन सचिव एवं सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. गौरव मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में आज विभिन्न सत्रों में क्रिप्टोगैमिक शोध के विभिन्न क्षेत्रों पर कुल 40 मौखिक प्रस्तुतियां और विषय विशेषज्ञों द्वारा छह आमंत्रित वार्ताएं आयोजित की गईं।
इस सम्मेलन का समापन 11 दिसंबर को यानि कल समापन समारोह के साथ किया जायेगा।