बलरामपुर अस्पताल में गोल्डन वन अवर विषय पर कार्यशाला
57 विभिन्न अस्पतालों के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर रहे शामिल

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। आपातकालीन चिकित्सा के लिए डॉक्टरों द्वारा कार्यशाला की गई। शनिवार को बलरामपुर चिकित्सालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में ‘गोल्डन वन ऑवर इन इमरजेंसी’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। जिसका संचालन डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम द्वारा किया गया। जिसमें राजधानी के विभिन्न अस्पतालों के 57 आपातकालीन चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया। वहीं कार्यशाला के मुख्य अतिथि महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन, अस्पताल निदेशक एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कुमार तेवतिया, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी उपस्थित रहे। इसके अलावा वरिष्ठ सलाहकार डॉ. एमएच उस्मानी सहित कई विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में विभिन्न चिकित्सा आपात स्थितियों के त्वरित और प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने गोल्डन ऑवर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में रोगी की जान बचाने के लिए सबसे निर्णायक समय होता है। एयरवे इमरजेंसी डॉ. लोकेन्द्र लाइफ सेविंग तकनीक,हृदय रोग आपात स्थिति डॉ. रवि रंजन सीने में दर्द, एसीएस (स्टेबल एंजाइना, एसटीईएमआई, एनएसटीईएमआई),एरिदमिया (ब्रेडीएरिदमिया एवं टैचीएरिदमिया), हृदय गति रुकना, श्वसन तंत्र आपात स्थिति डॉ. मुस्तहसिन अस्थमा और सीओपीडी का तीव्र प्रकोप, न्यूमोनिया,दम घुटना,न्यूरोलॉजी आपात स्थिति डॉ. लोकेन्द्र, स्ट्रोक (इस्केमिक व हेमोरेजिक), थ्रोम्बोलाइसिस, मिर्गी (स्टेटस एपिलेप्टिकस),एंडोक्राइन एवं इलेक्ट्रोलाइट आपात स्थिति डॉ. शुभंकर हाइपो हाइपरग्लाइसीमिया, डीकेए, एचएचएस, हाइपो,हाइपरनेट्रेमिया, यूरोलॉजी आपात स्थिति – डॉ. मुस्तहशिन मलिक टेस्टिकुलर टॉर्शन, तीव्र मूत्र अवरोध, गुर्दे की पथरी,संक्रामक रोग आपात स्थिति डॉ. शुभंकर,सेप्सिस (1-ऑवर बंडल), शॉक के प्रकार, सैप्टिक शॉक, नीडल स्टिक इंजरी पाचन तंत्र आपात स्थिति डॉ. मुस्तहशिन मलिक तीव्र जठरांत्रशोथ, हेपेटिक एन्सेफालोपैथी, तीव्र लिवर फेलियर, पर्यावरणीय एवं आपदा चिकित्सा डॉ. अंशु सिंह,हीट स्ट्रोक, जलने और विद्युत आघात, आपदा प्रबंधन और ट्रायेज, विषविज्ञान एवं जहर का उपचार – डॉ. पंकज,अज्ञात विषाक्तता, विषाक्त लक्षण, स्नेक बाइट, रेबीज, दुर्घटना एवं आघात चिकित्सा – डॉ. उत्सव एटीएलएस प्रोटोकॉल, प्राइमरी एवं सेकेंडरी सर्वे, एबीसीडीई दृष्टिकोण,संचार एवं मानसिक आघात प्रबंधन डॉ. रवि रंजन शोक की अवस्थाएँ, चिकित्सा कानूनी पहलू, एमएलसी केस शामिल किया। जिसका मुख्य उद्देश्य आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाना और चिकित्सकों को त्वरित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करना था। सभी विशेषज्ञों ने इस विषय पर अपने गहन अनुभव साझा किए और चिकित्सकों को आपातकालीन परिस्थितियों में सही एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए। कार्यक्रम के अंत में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कुमार तेवतिया ने सभी उपस्थित चिकित्सकों को धन्यवाद दिया और भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया।