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हैंड हाइजीन आंदोलन चिकित्सकीय रूप से जरूरी- डॉ. देंवेन्द्र गुप्ता

एसजीपीजीआई में हाथों की स्वच्छता पर वैज्ञानिक चर्चा

 

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाथों की स्वच्छता पर वैज्ञानिक चर्चा की। शनिवार को संस्थान के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के पाँचवे तल स्थित सेमिनार हॉल में विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के उपलक्ष्य में वैज्ञानिक कार्यशाला आयोजित की गयी।

कार्यक्रम में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति और अस्पताल संक्रमण नियंत्रण प्रकोष्ठ, अस्पताल प्रशासन विभाग द्वारा, हॉस्पिटल इन्फेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया, लखनऊ चैप्टर तथा एकेडमी ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय चैप्टर के सहयोग से किया गया। कार्यशाला में चिकित्सकों, माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स, संक्रमण नियंत्रण विशेषज्ञों और स्वास्थ्यकर्मियों ने एकजुट होकर हैंड हाइजीन जागरूकता और प्रशिक्षण के माध्यम से संक्रमण रोकथाम रणनीतियों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।

वहीं डॉ. आर हर्षवर्धन अपर चिकित्सा अधीक्षक, एटीसी एवं विभागाध्यक्ष, अस्पताल प्रशासन विभाग के उद्घाटन भाषण से कार्यशाला की शुरुआत की गयी। उन्होंने विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि “हैंड हाइजीन हमारे पास उपलब्ध सबसे कम खर्चीला और प्रभावी साधन है। जिससे हम रोगियों और कर्मचारियों दोनों की रक्षा कर सकते हैं।

यह हमारी संक्रमण नियंत्रण रणनीति का आधार है। साथ ही डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख, एटीसी ने “स्क्रब से क्लोज़र तक सर्जरी के हर चरण में हैंड हाइजीन” विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि सर्जरी की प्रत्येक अवस्था में चाहे वह प्रीऑपरेटिव स्क्रबिंग हो या पोस्टऑपरेटिव केयर, हैंड हाइजीन का पालन अनिवार्य है। इसी क्रम में

डॉ. देवेंद्र गुप्ता मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने हैंड हाइजीन हेल्थकेयर-एसोसिएटेड इंफेक्शन्स के विरुद्ध पहली रक्षा पंक्ति” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने who के आंकड़ों को साझा करते हुए बताया कि दुनिया भर में लाखों मरीज ऐसे संक्रमणों से पीड़ित होते हैं,जिन्हें केवल हाथों की स्वच्छता से रोका जा सकता था।

उन्होंने कहा हैंड हाइजीन आंदोलन प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि चिकित्सकीय रूप से अनिवार्य है। डॉ. ऋचा मिश्रा, प्रोफेसर माइक्रोबायोलॉजी ने“सर्जिकल साइट इन्फेक्शन्स और HAIs” पर व्याख्यान देते हुए बताया कि किस प्रकार उच्चतर संस्थानों में एसएसआई का बोझ बढ़ रहा है और किस तरह उचित एंटीबायोटिक नीतियां एवं रोगाणु पहचान इस संकट से निपटने में मदद कर सकती हैं।

इसके बाद डॉ. वेद प्रकाश मौर्य अपर प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी ने “सिर्फ ग्लव्स पर्याप्त नहीं ऑपरेशन थियेटर में हैंड हाइजीन की वापसी” पर प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने दर्शाया कि ग्लव्स के उपयोग के बावजूद यदि हैंड हाइजीन का पालन नहीं किया गया तो संक्रमण का खतरा बना रहता है।

3एम कंपनी, इस कार्यशाला की नॉलेज पार्टनर के रूप में, संक्रमण नियंत्रण पर केंद्रित दो अत्यंत उपयोगी सत्र लेकर आयी है।

“स्टरलाइज़ेशन एश्योरेंस प्रोग्राम स्टरलाइज़ेशन की सर्वोत्तम प्रथाओ में स्टरलाइजेशन इंडिकेटर्स, लोड वेलिडेशन, दस्तावेजीकरण और CSSD प्रक्रियाओं के महत्व को रेखांकित किया गया।

डॉ. संग्राम सिंह पटेल अपर प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी ने “स्वच्छ हाथ, सुरक्षित रोगी अनुपालन और संस्कृति के माध्यम से संक्रमण में कमी” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने उदाहरणों और अनुसंधान आंकड़ों के माध्यम से स्पष्ट किया कि कैसे संस्थानों में हैंड हाइजीन को संस्कृति बनाकर संक्रमण दर में उल्लेखनीय गिरावट लाई जा सकती है।

सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहार में लाने के लिए दिखिल सीडी, इन्फेक्शन कंट्रोल नर्स, अस्पताल प्रशासन विभाग ने WHO के 7-स्टेप हैंड हाइजीन तकनीक का लाइव डेमोंस्ट्रेशन प्रस्तुत किया गया। यह सत्र में विशेष रूप से नर्सिंग एवं फ्रंटलाइन स्टाफ के लिए उपयोगी रहा।

कार्यशाला का समापन डॉ. क्रिस अग्रवाल, वरिष्ठ रेजिडेंट, अस्पताल प्रशासन विभाग एवं आयोजन सचिव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी वक्ताओं, सहयोगी संस्थाओं, ज्ञान साझेदारों और प्रतिभागियों को इस कार्यशाला को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। कार्यशाला के दौरान

अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति और अस्पताल प्रशासन विभाग के नेतृत्व में 70 से अधिक प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी रही। जिनमें नव नियुक्त नर्सिंग अधिकारी, वरिष्ठ नर्सिंग स्टाफ, तथा एटीसी की नर्सिंग अधीक्षिका शामिल रही।

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