जिलेवार टीकाकरण में सीतापुर अव्वल
2026 तक खसरा-रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। प्रदेश के जिलेवार टीकाकरण में सीतापुर अव्वल रहा। प्रदेश में शून्य से पाँच वर्ष तक की आयु के ऐसे बच्चों को, जो नियमित टीकाकरण से वंचित रह गए हैं, 24 अप्रैल से 10 मई तक विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान टीकाकरण सत्रों पर टीके से आच्छादित किया गया । इसके अंतर्गत मीजल्स-रूबेला समेत 12 घातक बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए गए।
यह जानकारी रविवार को राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान 75,588 बच्चों को एमआर-1 और 40,608 बच्चों को एमआर-2 की खुराक दी गई। जिलेवार आँकड़ों में सीतापुर सबसे आगे रहा , जहाँ 3604 बच्चों को एमआर-1 तथा 2487 बच्चों को एमआर-2 का टीका लगाया गया। इसके बाद कानपुर नगर (3138 एमआर-1, 1734 एमआर-2) और खीरी (2905 एमआर-1, 1607 एमआर-2) दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।
भारत सरकार का लक्ष्य 2026 तक खसरा-रूबेला उन्मूलन..
डॉ. गुप्ता के अनुसार भारत सरकार ने दिसंबर 2026 तक देश को खसरा और रूबेला मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वर्ष 2017 में संयुक्त एमआर टीके की शुरुआत की गई थी, जो एक ही शॉट में दोनों बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। पहली खुराक: 9 माह की आयु में,दूसरी खुराक: 16 -24 माह की आयु में यदि किसी कारण दो वर्ष से अधिक उम्र का बच्चा जिसकी एमआर वैक्सीन की कोई भी डोज़ छूट गई हो, ऐसे बच्चों को पांच वर्ष की आयु तक एमआर वैक्सीन दी जा सकती है ।
खसरा से नन्हें जीवन के लिए बड़ा खतरा
खसरा पैरामाइक्सो वायरस के कारण होता है और खाँसी, छींक या निकट संपर्क से तेजी से फैलता है। यह रोग न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, बल्कि निमोनिया, दस्त, इन्सेफेलाइटिस जैसी जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार,सूखी खाँसी,गले में खराश,आँखों में लाली या सूजन,चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में फैलने वाले चकत्ते और रूबेला में गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक
रूबेला की चपेट में आने पर गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु की आँखों, मस्तिष्क, हृदय आदि को नुकसान पहुँच सकता है। जिससे बच्चा बहरापन, मोतियाबिंद, मानसिक मंदता या हृदय रोग जैसी जन्मजात विकृतियों के साथ जन्म ले सकता है। इससे जो बच्चे अधिक जोखिम में जिन्हें टीका नहीं लगा,आयु के अनुसार समय पर टीकाकरण न होने वाले बच्चे,कुपोषित बच्चे, विशेषकर विटामिन ए की कमी वाले
सटीक आंकड़े बताते हैं जागरूकता में वृद्धि,2024-25 में अब तक 58.71 लाख बच्चों को एमआर-1 और लगभग 54 लाख को एमआर-2 का टीका लगाया गया था। वर्ष 2023-24 में 56 लाख बच्चों को एमआर-1 और 52 लाख को एमआर-2 का टीका लगा था। उन्होंने
अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करे और एमआर टीका समय पर लगवाना आपकी जिम्मेदारी समझें यह एक छोटा कदम है, जो आपके बच्चे की ज़िंदगी को गंभीर बीमारियों से बचा सकता है।