एसजीपीजीआई में कूल्हे के फ्रैक्चर को ले विशेषज्ञों ने की चर्चा
ऑर्थोपेडिक समिति की हुई चौथी वार्षिक संगोष्ठी

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। एसजीपीजीआई के ऑर्थोपेडिक सोसाइटी की चौथी वार्षिक संगोष्ठी आयोजित की गई। रविवार को कूल्हे के फ्रैक्चर के प्रबंधन में हालिया प्रगति पर चर्चा करने के उद्देश्य से बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी आयु समूहों के व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली एक प्रचलित चोट के बारे में विचार विमर्श किया गया। जिसमें डॉक्टरों का मानना है कि हिप फ्रैक्चर एक महत्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि ऑपरेशन के बाद की गतिविधि का स्तर सर्जिकल परिणामों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। हाल के वर्षों में, उल्लेखनीय प्रगति सामने आई है जो सर्जरी की अवधि और अस्पताल में रहने की अवधि दोनों को कम करती है जबकि जल्दी से जल्दी चलने-फिरने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे रोगियों की सामान्य जीवन में वापसी में तेजी आती है। संगोष्ठी के दौरान लखनऊ और आस-पास के जिलों से 200 से अधिक आर्थोपेडिक सर्जन मौजूद रहे। इस मौके पर एशिया पसिफ़िक ट्रामा सोसाइटी एवं भारतीय आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनूप अग्रवाल, एशिया पैसिफिक आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जमाल अशरफ और यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पीयूष कुमार मिश्रा शामिल हुए। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. आरके धीमन ने उपस्थिति रहे। उन्होंने ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कूल्हे के फ्रैक्चर के सटीक और प्रभावी इलाज के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. अनूप अग्रवाल ने प्रतिष्ठित डॉ पीआर मिश्रा ओरेशन दिया। जिसमें बुजुर्गों के लिए व्यापक 360-डिग्री देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ. जमाल अशरफ ने एविडेंस बेस्ड मेडिसिन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मुंबई के सर्जन डॉ. अमित अजगांवकर, एम्स दिल्ली के डॉ. समर्थ मित्तल डॉक्टरों ने व्याख्यान दिए और हिप फ्रैक्चर ट्रीटमेंट पर अपनी विशेषज्ञता साझा करते हुए इस क्षेत्र में सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। कार्यक्रम के विशेष अतिथि पद्म श्री और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित गौरव खन्ना थे। जिन्होंने पैराबैडमिंटन के लिए मुख्य राष्ट्रीय कोच के रूप में कार्य करते हैं और उन्होंने पैरालंपिक पदक हासिल करने के लिए कई एथलीटों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य और गतिशीलता को बनाए रखने में डॉक्टरों के योगदान के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने संभावित पैराबैडमिंटन एथलीट की पहचान करने और उन्हें इंटरनेशनल लेवल का खिलाड़ी बनने के उद्देश्य से “क्वेस्ट फॉर पराबैडमिंटन गोल्ड : 2028 2032 2036 परालिंपिक ” नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया। यह पहल चिकित्सा संस्थानों और स्वास्थ्य केंद्रों में वितरित एक हेल्पलाइन नंबर के साथ शुरू होगा। इस हेल्पलाइन का उपयोग दिव्यांग व्यक्ति या इलाज करने वाले डॉक्टरों दोनों द्वारा किया जा सकता है। इस हेल्पलाइन पर दिव्यांग व्यक्तियों को रेफेर किया जा सकता है, ताकि एक समर्पित टीम द्वारा उनकी स्क्रीनिंग और मूल्यांकन की जा सके। यह सेवा निःशुल्क होगी और यदि व्यक्ति का चयन पैराबैडमिंटन एथलीट के तौर पे हो जाता है तो उसे निःशुल्क प्रशिक्षण, आवास, भोजन, कृत्रिम अंग आदि भी प्रदान किए जाएंगे। बैठक का समापन आयोजन सचिव डॉ. पुलक शर्मा द्वारा आभार व्यक्त करते हुए प्रतिभागियों को उनके अमूल्य सुझावों और संगोष्ठी में दिए गए समय के लिए धन्यवाद प्रस्तुत किया।