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आरएमएल में मना 5वां वार्षिक अनुसंधान दिवस

 स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने साझा की अपने-अपने विचार

 

लखनऊ, भारत प्रकाश न्यूज़। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 5वाँ वार्षिक अनुसंधान दिवस अकादमिक ब्लॉक में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर संस्थान के प्रख्यात अध्यापक शोधकर्ता एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ एकत्र हुए और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति में अनुसंधान की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) एनके अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक, द इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल तथा अनुसंधान व्याख्याता डॉ. सुधीर राठौर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, फ्रिमली हेल्थ एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट, सरे, यूके रहे।

अपने संबोधन में प्रो. (डॉ.) एनके अरोड़ा ने “अनुसंधान क्यों आवश्यक है। विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा

“अनुसंधान कोई विकल्प नहीं बल्कि आधुनिक चिकित्सा की आवश्यकता है। यह चिकित्सा अभ्यास को परिष्कृत करता है। रोगी-देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाता है और साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को स्वास्थ्य-सेवा का आधार बनाता है। बिना अनुसंधान के चिकित्सा पद्धति ठहराव का शिकार हो सकती है।

प्रत्येक चिकित्सक का कर्तव्य है कि वह अनुसंधान में योगदान दे ताकि रोगियों को सर्वोत्तम उपचार मिल सके। डॉ. सुधीर राठौर ने हृदय रोगों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला।

“ए.आई. हृदय रोगों के निदान एवं उपचार की दिशा बदल रही है। यह उन लोगों की पहचान करने में सक्षम है जो देखने में स्वस्थ लगते हैं परंतु वास्तव में जोखिमग्रस्त हैं। इसके माध्यम से समय रहते हृदय रोग की आशंका का पता लगाकर व्यक्तिगत स्तर पर सटीक उपचार दिया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में एआई आधारित उपकरण सटीक उपचार रणनीति, जोखिम की भविष्यवाणी और बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग संभव बनाएंगे, जिससे भारत में हृदय-रोगजनित मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा।

निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने संस्थान में विकसित हो रही अनुसंधान संस्कृति की सराहना की और संकाय सदस्यों को नवीन एवं उच्च-गुणवत्ता वाले अनुसंधान परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

हमें केवल रोगियों का उपचार ही नहीं बल्कि चिकित्सा के भविष्य को आकार देने का संकल्प लेना चाहिए। प्रत्येक विभाग को चाहिए कि वह उच्च-गुणवत्ता वाले, बहु-विषयक शोध कार्य करे ताकि संस्थान को वैश्विक पहचान मिल सके। उन्होंने कहा। संकाय एवं विद्यार्थियों द्वारा शोध-पत्र एवं पोस्टर प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं।

क्लिनिकल मेडिसिन, ट्रांसलेशनल रिसर्च और डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक पर विशेष सत्र किए गये।

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