केजीएमयू में बढ़ते तापमान के विषय पर की कार्यशाला
देश विदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने साझा की जानकारी

लखनऊ,भारत प्रकाश न्यूज़। केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा बढ़ते तापमान पर कार्यशाला आयोजित की गई। शुक्रवार को संस्थान के शताब्दी फेज-2 चिकित्सालय स्थित सभागार में क्रिटीकल केयर मेडिसिन विभाग एवं सोसाईटी ऑफ प्रीसिजन मेडिसिन एवं इंटेसिव केयर के संयुक्त तत्वाधान में प्रेसिशन टेम्परेचर मैनेजमेंट विथ आईवीटीएम ट्रांसफार्मिंग न्यूरो क्रिटिकल केयर विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देश-विदेश के ख्याति प्राप्त क्रिटीकल केयर, इंटेसिव केयर, न्यूरो एनेस्थिसिया, न्यूरो किटीकल केयर, न्यूरोलोजी, न्यूरो सर्जरी विधाओं के विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग कर अपने कार्य एवं शोध अनुभवों को साझा किया। वहीं कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद, सीएमएस प्रो.बीके ओझा, एमएस, प्रो. सुरेश कुमार, इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सीएमई के आर्गेनाईजिंग चेयरपर्सन, प्रो. हैदर अब्बास, सीएमई के सह-आर्गेनाईजिंग, चेयरपर्सन, प्रो.क्षितिज श्रीवास्तव, ऑर्गेनाईजिंग सिक्रेटरी एवं किटीकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. अविनाश अग्रवाल, डॉ. शांतनु ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की। इस मौके पर प्रो. शोजी याकोबोरी जापान, प्रो. आशिष बिन्द्रा, न्यूरो एनेस्थिसिया, जेपीएन एपेक्स ट्रामा सेण्टर, एम्स, नई दिल्ली, प्रो.दीपक गुप्ता, न्यूरो सर्जरी विभाग, जेपीएन एपेक्स ट्रामा सेण्टर, एम्स, नई दिल्ली मौजूद रहें। इसी क्रम में कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने आयोजक मण्डल को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी। साथ ही प्रो.शोजी याकोबोरी ने हाई क्वालिटी टीटीएम एंड न्यूरोप्रोटेक्शन (टीबीआई, स्ट्रोक, एसएएच) विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो याकोबोरी ने बताया कि आघातजन्य मस्तिष्क चोट को विश्व स्तर पर मृत्यु दर और रूग्णता के एक महत्वपूर्ण कारणों के रूप में जाना जाता है। आघातजन्य मस्तिष्क चोट के रोगियों में प्रतिकूल परिणामों को कम करने के लिए, शोधकर्ताओं द्वारा टीबीआई उपचार में नवाचार के लिए व्यापक प्रयास किए गए। उन्होंने बताया कि कई बुनियादी और नैदानिक अध्ययनों एवं शोधों के परिणामों के साथ आज चिकित्सीय हाइपोथर्मिया सहित लक्षित तापमान प्रबंधन को न्यूरोप्रोटेक्टिव उपचार के सम्भावित विकल्प के रूप में पहचान मिली है एवं अस्पताल में भर्ती रोगियों के जीवन बचाने की सम्भावनाओं में भी सुधार हुआ है। साथ ही प्रो. आशिष बिन्द्रा ने बताया कि टारगेटेड टेम्परेचर मैनेजमेंट: कर्रेंट एविडेंस एंड फ्यूचर परस्पेक्टिव पर जानकारी साझा की। प्रो. दीपक गुप्ता ने मैनेजमेंट ऑफ़ रिफ्रेक्ट्री इंट्राक्रेनियल हाइपरटेंशन इंडिया एक्सपीरियंस विथ यूरोथर्म 3235 एंड फ्यूचर ऑफ़ हाइपोथर्मिया में सेवियर टीबीआई पर व्याख्यान दिया। इसके साथ ही प्रो.अविनाश अग्रवाल ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होने कहा कि हमें विश्वास है कि यह कार्यशाला हमारे ज्ञान को विस्तार देने में नवीनतम अनुसंधान और तकनीकों पर चर्चा करने तथा आपसी संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक उत्तम मंच प्रदान करेगा। हम उम्मिद करते हैं कि यह सत्र सभी प्रतिभागियों के लिए ज्ञानवर्धक व प्रेरणादायक सिद्ध होगा। प्रो.अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में बताया कि ग्रीष्मकाल में बढते हुए तापमान के कारण हीट स्ट्रोक के साथ मल्टीपल आर्गन फेल्योर के मरीजों में तापमान नियंत्रित कर मरीजों का जीवन बचाने में यह विधा की अहम साबित होगी।